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Breaking News : बिहार और यूपी में आयुष्मान योजना के तहत महिलाओं की बच्चेदानी सर्जरी पर बड़ा घोटाला

बिना बीमारी के ऑपरेशन, 20 हजार रुपए पैकेज और 4 हजार रुपए एजेंट को कमीशन

Private hospitals in Bihar and UP involved in unnecessary uterus removal surgeries

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – पश्चिमी चंपारण की रहने वाली भागमनी को पेट दर्द की शिकायत पर अपेंडिक्स का इलाज मिला था, लेकिन कुछ समय बाद मर्ज खत्म नहीं हुआ। गांव की महिला हेल्थ वर्कर के कहने पर वह 12 दिसंबर, 2024 को यूपी के कुशीनगर स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुईं। भागमनी का आरोप है कि डॉक्टरों ने यूट्रस का इन्फेक्शन बताकर उन्हें डराया और 16 दिसंबर को आयुष्मान कार्ड के तहत उनकी बच्चेदानी निकाल दी। डिस्चार्ज रिपोर्ट में अपेंडिक्स सर्जरी का जिक्र था, जबकि अल्ट्रासाउंड में ‘uterus is surgically removed’ पाया गया। इसी तरह 27 वर्षीय रीना और 28 वर्षीय विद्यावती के साथ भी बिना गंभीर बीमारी के बच्चेदानी निकालने का आरोप है।

इन मामलों में यह सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिला हेल्थ वर्कर, झोलाछाप डॉक्टर और मेडिकल स्टोर वाले मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल तक पहुंचाने में कमीशन कमा रहे हैं। मरीजों को डराकर ऑपरेशन के लिए राजी किया जाता है, जबकि वास्तविक मेडिकल जरूरत नहीं होती। इस खेल में एजेंट, हॉस्पिटल संचालक और सरकारी अस्पतालों का स्टाफ भी शामिल हैं, जो आयुष्मान योजना का लाभ उठाकर व्यक्तिगत कमाई करते हैं।

आयुष्मान योजना के पैकेज और कमीशन का खेल

आयुष्मान योजना में बच्चेदानी की सर्जरी के लिए प्राइवेट अस्पतालों को 20 हजार रुपए मिलते हैं। हॉस्पिटल में ऑपरेशन पर 5-6 हजार रुपए खर्च आते हैं, 4 हजार रुपए एजेंट को कमीशन दिए जाते हैं और बाकी राशि हॉस्पिटल के पास रहती है। बिहार में 40 साल से कम उम्र की महिलाओं की बच्चेदानी निकालने के लिए मेडिकल हिस्ट्री और सरकारी मेडिकल सेंटर से सर्जन की ओपिनियन जरूरी होती है। लेकिन कमीशन के लिए एजेंट बिहार की महिलाओं को यूपी के अस्पतालों में भेज रहे हैं।

घोटाले के प्रभाव और चेतावनी

पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। इस तरह की अवैध प्रैक्टिस न केवल महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि आयुष्मान योजना की मूल भावना को भी कमजोर कर रही है। जांचकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को तुरंत कदम उठाकर इस खेल को रोकना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, ग्रामीण स्तर पर एजेंट और हेल्थ वर्करों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है ताकि महिलाओं को सुरक्षित और योग्य इलाज मिल सके।

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