दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की दशकों से जमी गाद और प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने फिनलैंड की अत्याधुनिक ड्रेजिंग मशीन मंगाने का निर्णय लिया है जो दिसंबर 2025 तक राजधानी में पहुंच जाएगी। यह मशीन नदी की तलहटी में 6 मीटर की गहराई तक जाकर मिट्टी, प्लास्टिक और ठोस कचरे को हटाने में सक्षम होगी। जल की गुणवत्ता सुधारने और यमुना को फिर से जीवंत बनाने की दिशा में यह परियोजना दिल्ली सरकार की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना मानी जा रही है। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने बताया कि इस मशीन की कार्यप्रणाली और तकनीकी क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए वह स्वयं विभागीय इंजीनियरों के साथ फिनलैंड गए थे। उनका कहना है कि पल्ला से लेकर ओखला बैराज तक लगभग 22 किलोमीटर लंबे हिस्से की सफाई के लिए मास्टरप्लान तैयार किया गया है। फिलहाल यमुना की सतह पर तैरते कचरे और खरपतवार को हटाने का काम मैनुअल और सीमित मशीनों से किया जा रहा है, लेकिन तलहटी की सफाई अब तक संभव नहीं हो पाई थी। यही कारण है कि इस बार फिनलैंड की उन्नत ड्रेजिंग तकनीक से उम्मीदें जुड़ी हैं, जो नदी के गहराई वाले हिस्सों तक पहुंचकर वास्तविक सफाई सुनिश्चित करेगी।
कैसे काम करेगी फिनलैंड की हाई-टेक ड्रेजिंग मशीन
यह मशीन उन्नत सक्शन और डिस्पोजल तकनीक से लैस है, जो नदी की तलहटी से गाद, रेत, प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट को खींचकर लगभग 500 मीटर दूर तक पहुंचा सकती है। ड्रेजिंग प्रक्रिया के दौरान मशीन तल की मिट्टी को पाइपलाइन सिस्टम के माध्यम से बाहर निकालती है और इसे सूखे क्षेत्रों में डाल देती है, ताकि बाद में उसका सुरक्षित निपटान हो सके। यदि तलहटी की मिट्टी बहुत कठोर हो गई हो, तो मशीन में लगे ब्लेड उसे तोड़कर छोटे टुकड़ों में बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया से नदी की गहराई एक समान बनी रहती है, जिससे पानी का प्रवाह सुचारू होता है और ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक ड्रेजिंग मशीन मात्र एक चालक के सहारे प्रति घंटे करीब 500 मीटर नदी क्षेत्र की सफाई कर सकती है, जिससे मैनपावर पर निर्भरता घटेगी और समय की बचत होगी। मंत्री ने बताया कि यदि मशीन की कार्यक्षमता उम्मीदों पर खरी उतरी, तो ऐसी और मशीनें फिनलैंड से मंगाई जाएंगी। इस तकनीक का प्रयोग पहले नजफगढ़ ड्रेन की सफाई में भी किया गया था, जहां परिणाम उत्साहजनक रहे। दिल्ली सरकार अब उसी तकनीक को यमुना परियोजना में अपनाने जा रही है।
नई नीति और जनभागीदारी से बदलेगा यमुना का स्वरूप
यमुना की सफाई केवल मशीनों का काम नहीं, बल्कि यह एक दीर्घकालिक नीति और जनभागीदारी पर आधारित मिशन है। सरकार ने इसके लिए नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) की स्थापना की है और पुराने प्लांट्स को अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि नालों से गिरने वाले प्रदूषित पानी को पहले ही साफ किया जा सके। वर्तमान में कई स्थानों पर आंशिक रूप से शुद्ध जल छोड़ा जा रहा है, जिससे प्रदूषण स्तर में थोड़ी कमी आई है, परंतु असली चुनौती नदी के भीतर जमी गाद और अपशिष्ट को हटाने की है। फिनलैंड की मशीन इसी दिशा में एक तकनीकी समाधान के रूप में सामने आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रेजिंग तकनीक से न केवल जल प्रवाह में सुधार होगा, बल्कि नदी के किनारों पर जमा रासायनिक अवशेष भी कम होंगे। पर्यावरणविदों ने इसे “टर्निंग पॉइंट” बताया है और उम्मीद जताई है कि इससे आने वाले वर्षों में यमुना को अपनी पुरानी स्वच्छता और जीवन्तता लौटाने में मदद मिलेगी। वहीं सरकार का दावा है कि यह परियोजना पारदर्शिता के साथ चरणबद्ध रूप से लागू की जाएगी। नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे नदी में कचरा न डालें और सफाई मिशन में सहयोग करें। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह मॉडल न केवल दिल्ली बल्कि देश के अन्य प्रदूषित नदियों जैसे हिंडन, गोमती और साबरमती के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। यमुना का पुनर्जीवन अब केवल सपना नहीं, बल्कि विज्ञान, नीति और जनसहयोग का संयुक्त प्रयास बनने जा रहा है।




