Delhi News, दिल्ली की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। बुधवार की सुबह राजधानी में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले ने न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सियासी हलकों में भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच इस मुद्दे पर जमकर बयानबाज़ी हो रही है।
हमला और उसके बाद का राजनीतिक माहौल
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हुए हमले की घटना के बाद बीजेपी ने सीधा आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा। बीजेपी विधायक हरीश खुराना ने एक तस्वीर साझा करते हुए दावा किया कि इस हमले का संबंध सीधे AAP से है। उनके अनुसार, हमलावर की एक फोटो सामने आई है जिसमें वह आप विधायक गोपाल इटालिया के साथ खड़ा दिख रहा है।
इस पोस्ट ने राजनीति में हलचल मचा दी। बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए सवाल उठाया कि आखिर इस हमलावर का आम आदमी पार्टी से क्या रिश्ता है। सोशल मीडिया पर भी इस तस्वीर को लेकर जमकर बहस छिड़ गई।
गोपाल इटालिया का पलटवार
बीजेपी विधायक के आरोपों का जवाब देते हुए AAP विधायक गोपाल इटालिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ कहा कि यह तस्वीर असली नहीं है, बल्कि उनके पुराने वीडियो से स्क्रीनशॉट लेकर उसे एडिट कर पेश किया गया है। इटालिया ने हरीश खुराना पर हमला बोलते हुए कहा कि “पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा होकर भी आप इतनी घटिया हरकत कर रहे हैं, यह शर्म की बात है।”
गोपाल इटालिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो लिंक भी साझा किया, जिसमें उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि उनके साथ खड़ा व्यक्ति हमलावर नहीं बल्कि कोई दूसरा शख्स है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी ट्रोलर जैसी हरकत कर रही है और जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
व्यक्तिगत कटाक्ष और राजनीतिक हमला
इटालिया ने अपनी प्रतिक्रिया में सिर्फ आरोपों का खंडन नहीं किया, बल्कि हरीश खुराना पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर डाली। उन्होंने कहा कि “दो रुपए प्रति ट्वीट करने वाले ट्रोलर्स से भी नीचे का स्तर आपने दिखाया है।” इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि “दिवंगत मदनलाल खुराना जी अपने बेटे की इस तरह की राजनीति देखकर क्या सोच रहे होंगे?”
इस बयान ने सियासी जंग को और अधिक तीखा बना दिया। बीजेपी खेमे ने इटालिया की टिप्पणियों को मर्यादा से बाहर बताया, जबकि आप समर्थकों ने इसे पलटवार की सही रणनीति करार दिया।
बीजेपी का आरोप और सवाल
हरीश खुराना ने अपने पोस्ट में लिखा था कि “जिसका शक था वही हुआ।” उन्होंने कहा कि तस्वीर में जो शख्स AAP विधायक गोपाल इटालिया के साथ नजर आ रहा है, वही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर हमलावर है। खुराना ने यह भी कहा कि यह तस्वीर बहुत कुछ कहती है और अरविंद केजरीवाल को इस रिश्ते पर जवाब देना चाहिए।
उनके इस बयान से साफ है कि बीजेपी इस घटना को सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रही है। इससे न केवल राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है, बल्कि जनता के बीच AAP की छवि को भी नुकसान पहुंचाने की रणनीति अपनाई जा रही है।
AAP की सफाई और रणनीति
वहीं, AAP ने इसे साजिश करार दिया। पार्टी का कहना है कि बीजेपी इस घटना को राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। इटालिया ने यह भी कहा कि विधायक बनने के बाद उन्हें ऐसे ‘ट्रोलर्स’ को जवाब देना पड़ रहा है, जो लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
AAP का दावा है कि बीजेपी जनता को गुमराह करने के लिए फर्जी सामग्री फैला रही है, जबकि असली मुद्दा मुख्यमंत्री पर हुए हमले की सुरक्षा चूक का है।
जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया की भूमिका
इस पूरे विवाद में सोशल मीडिया की भूमिका अहम रही। तस्वीर और बयान कुछ ही मिनटों में वायरल हो गए। बीजेपी समर्थकों ने इस फोटो को हमलावर और AAP के कनेक्शन के तौर पर पेश किया, जबकि AAP कार्यकर्ताओं ने इसे एडिटेड और झूठा बताया।
जनता के बीच भी इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने बीजेपी पर प्रोपेगैंडा फैलाने का आरोप लगाया तो कुछ ने AAP से पारदर्शिता की मांग की।
सियासी निहितार्थ
दिल्ली की राजनीति में इस विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि किसी भी घटना को चुनावी और राजनीतिक फायदे-नुकसान से जोड़कर देखा जाता है। मुख्यमंत्री पर हमला सुरक्षा का बड़ा मुद्दा है, लेकिन इसका राजनीतिकरण होने से असली प्रश्न – यानी सुरक्षा चूक और प्रशासनिक जिम्मेदारी – पीछे छूट गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह विवाद और गहराएगा क्योंकि दोनों पार्टियां इसे जनता के बीच अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करेंगी।
सीएम रेखा गुप्ता पर हमला दिल्ली की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है। मगर इस मुद्दे पर जिस तरह से AAP और BJP के बीच आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, वह इस बात को दर्शाता है कि राजनीति में सच्चाई से ज्यादा छवि और धारणा मायने रखती है। अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच के बाद सच्चाई क्या सामने आती है और जनता किस पर भरोसा करती है।