सासाराम के काराकाट विधानसभा क्षेत्र के सिकरियां गांव में बुधवार को ग्रामीणों ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मतदान बहिष्कार की घोषणा की। यह कदम काव नदी पर दशकों से पुल न बनने के विरोध में उठाया गया। ग्रामीणों ने ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’ के बैनर और पोस्टर के साथ प्रदर्शन किया, जिसमें महिलाएं, पुरुष और स्कूली बच्चे शामिल थे। ग्रामीणों का कहना है कि पुल न बनने के कारण गांव तक पहुंचना कठिन है और इसके चलते उनका जीवन और विकास प्रभावित हुआ है।
दशकों से उपेक्षित गांव और स्थानीय समस्याएं
सिकरियां गांव दशकों से काव नदी के पार पहुंचने के लिए बांस के बने अस्थायी चचरी पुल और कच्ची सड़क पर निर्भर है। स्थानीय लोगों के अनुसार, आजादी के बाद से इस नदी पर पुल और गांव के लिए सड़क का निर्माण नहीं हुआ। ग्रामीण बताते हैं कि चुनाव के समय नेता विभिन्न वादे करते हैं, लेकिन बाद में लौटकर समस्या का समाधान नहीं करते। वे हर साल अपने खर्च पर बांस के पुल बनाते हैं, जिसमें हजारों रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और बुजुर्गों के लिए पुल पार करना जोखिम भरा है, खासकर बरसात के मौसम में जब नदी में बाढ़ आती है।
प्रशासन से जवाबदेही और ग्रामीणों की अड़ान
मतदान बहिष्कार की सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन का एक दल ग्रामीणों को समझाने पहुंचा, लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि जब तक जिले के आला अधिकारी काव नदी पर पुल और सड़क निर्माण का ठोस आश्वासन नहीं देते, तब तक वे बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार जारी रखेंगे। इस प्रदर्शन ने प्रशासन और नेताओं पर ग्रामीणों की नाराजगी और विकास की मांग को जोरदार तरीके से पेश किया है।




