समस्तीपुर जिले की प्रतिष्ठित उजियारपुर विधानसभा सीट (संख्या-134) पर इस बार का चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी उम्मीदवारों द्वारा निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपे गए शपथपत्रों के आंकड़ों से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आगामी 6 नवंबर को पहले चरण में यहां मतदान होना है, लेकिन उससे पहले मतदाताओं के लिए यह जानना जरूरी है कि उनके बीच खड़े उम्मीदवारों की प्रोफाइल कैसी है। कुल 15 प्रत्याशी इस सीट से मैदान में हैं, जिनमें 9 करोड़पति हैं और 3 ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस जानकारी ने चुनावी माहौल को और दिलचस्प बना दिया है, क्योंकि यह सीट अब “अमीरों की जंग” के तौर पर चर्चा में है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार का मुकाबला पारंपरिक नहीं बल्कि संसाधनों और छवि की लड़ाई होगी। उजियारपुर के मतदाता भी इस बार सोच-समझकर वोट देने की बात कर रहे हैं ताकि उनका क्षेत्र ईमानदार और विकासोन्मुख प्रतिनिधित्व पा सके।
करोड़पतियों की जंग में जनता की नजर पारदर्शिता पर
आंकड़ों के अनुसार, उजियारपुर विधानसभा से महागठबंधन के तहत राजद प्रत्याशी और मौजूदा विधायक आलोक कुमार मेहता, एनडीए की ओर से प्रशांत कुमार पंकज, निर्दलीय उम्मीदवार रणवीर कुमार चौरसिया, बुलबुल कुमार सहनी, दिनेश प्रसाद चौधरी, निक्की झा, जनशक्ति विकास पार्टी की सुनीता कुमारी, स्वतंत्र उम्मीदवार विकास कुमार और महाशंकर चौधरी वे 9 प्रत्याशी हैं जिनके पास करोड़ों की संपत्ति है। वहीं अन्य उम्मीदवारों के पास लाखों की संपत्ति दर्ज है, जिनमें आम आदमी पार्टी के अंकित कुमार मिश्रा, जन सुराज पार्टी के दुर्गा प्रसाद सिंह, उपेंद्र कुमार, वीरेंद्र कुमार राय और स्वतंत्र उम्मीदवार दिलीप कुमार सहनी शामिल हैं। इस बार के चुनाव में यह साफ नजर आ रहा है कि आर्थिक रूप से संपन्न प्रत्याशी प्रचार अभियान में भी बड़े स्तर पर खर्च कर रहे हैं। होर्डिंग्स, सोशल मीडिया कैंपेन और जनसभाओं में धनबल का असर साफ दिखाई दे रहा है। हालांकि, स्थानीय मतदाता इस बार मुद्दों के आधार पर वोट देने का मन बना रहे हैं। जनता का कहना है कि “पैसेवाले उम्मीदवारों की भी परीक्षा इस बार जनता ही लेगी,” क्योंकि विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे अब चुनावी चर्चा के केंद्र में हैं।
आपराधिक छवि और शैक्षणिक योग्यता बनी चर्चा का विषय
संपत्ति के साथ-साथ प्रत्याशियों की आपराधिक पृष्ठभूमि और शैक्षणिक योग्यता भी इस बार चर्चा में हैं। मौजूदा विधायक और राजद उम्मीदवार आलोक कुमार मेहता पर तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी तरह, निर्दलीय उम्मीदवार रणवीर कुमार चौरसिया पर भी तीन मामले लंबित हैं, जबकि स्वतंत्र प्रत्याशी महाशंकर चौधरी के खिलाफ एक केस दर्ज है। मतदाताओं में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या अपराध के साये में राजनीति को जनता स्वीकार करेगी? वहीं, शिक्षा के मामले में उम्मीदवारों के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला है। अरुण कुमार यादव सबसे अधिक शिक्षित प्रत्याशी हैं, जिन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। इसके विपरीत, दिलीप कुमार सहनी इस चुनाव में सबसे कम शिक्षित उम्मीदवार हैं, जिनकी पढ़ाई कक्षा आठ तक सीमित रही है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, उजियारपुर सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है क्योंकि दिग्गजों के साथ कई नए चेहरे भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मतदाता वर्ग इस बार उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति से ज्यादा उनके काम, ईमानदारी और शिक्षा के आधार पर वोट देने का संकेत दे रहा है। अब देखना यह होगा कि करोड़पतियों और अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के बीच जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और क्या इस बार उजियारपुर वास्तव में बदलाव का गवाह बनेगा।




