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तेजस्वी यादव ने EC पर उठाए सवाल: BJP शासित राज्यों से फोर्स बुलाने पर आपत्ति, बोले- प्रधानमंत्री ने बाहुबलियों के लिए किया प्रचार

मतदान से पहले सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज, तेजस्वी बोले- ‘जनता बदलाव के मूड में है’, BJP ने कहा- ‘हार की हताशा में कहानी गढ़ रहे’

Tejashwi Yadav addressing press conference in Patna ahead of voting

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले सोमवार को पटना के पोलो रोड में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। उनके साथ राजद सांसद मीसा भारती भी मौजूद थीं। तेजस्वी ने अपने संबोधन में दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग पर अब निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने जानबूझकर ज्यादातर फोर्स बीजेपी शासित राज्यों से मंगाई है, जिससे मतदान प्रक्रिया को प्रभावित करने की आशंका पैदा होती है। उन्होंने बताया कि कुल 208 कंपनियां ऐसी हैं जो बीजेपी सरकार वाले प्रदेशों से भेजी गई हैं और लगभग 68% पुलिस ऑब्जर्वर भी उन्हीं राज्यों से हैं। तेजस्वी ने भास्कर की 9 नवंबर की उस खबर का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत 14 बीजेपी शासित राज्यों से 14,560 जवान बिहार के मतदान केंद्रों पर तैनात किए गए हैं। तेजस्वी ने कहा कि यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए ठीक नहीं है क्योंकि इससे पक्षपात की आशंका बनती है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की भूमिका पर अब जनता भी सवाल उठाने लगी है क्योंकि पहले चरण के मतदान के चार दिन बीत जाने के बावजूद आयोग ने यह नहीं बताया कि कितने पुरुष और कितनी महिलाओं ने वोट डाले हैं। यह आंकड़े छिपाने की कोशिश यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं पारदर्शिता की कमी है।

पीएम पर हमला: ‘बाहुबलियों के लिए प्रचार, अपराधियों से मुलाकात’

तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “हम विकास की बात करते हैं और प्रधानमंत्री कट्टे की, शायद उन्हें किसी वेब सीरीज़ का असर हो गया है।” तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आपराधिक छवि वाले नेताओं के साथ मंच साझा किया, सृजन घोटाले के मुख्य आरोपी विपिन शर्मा से एयरपोर्ट पर मुलाकात की और पीठ थपथपाई। उन्होंने अनंत सिंह और हुलास पांडे जैसे बाहुबलियों के लिए प्रचार करने का भी आरोप लगाया। तेजस्वी ने कहा कि “बिहार की जनता सब देख रही है और अब बदलाव के मूड में है। मैंने अब तक 171 सभाएं की हैं और हर जिले में गया हूं। जनता 20 साल की पुरानी और थकी हुई सरकार को उखाड़ फेंकने को तैयार है।” उन्होंने कहा कि राज्य में 2 उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन जब सदन में उनसे पूछा गया कि बिहार किस चीज में आगे है, तो वे कोई जवाब नहीं दे सके। तेजस्वी ने दावा किया कि 14 नवंबर को नतीजे आने के बाद 18 नवंबर को महागठबंधन की सरकार शपथ लेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि “बिहार अब एक नए युग की ओर बढ़ेगा, जहां न अपराध होगा, न पलायन, बल्कि हर घर में रोजगार और सुरक्षा होगी।” तेजस्वी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार बनने पर 26 नवंबर से 26 जनवरी के बीच बिहार के सभी अपराधियों को जेल के पीछे डाला जाएगा और राज्य की छवि बदली जाएगी।

BJP और जदयू का पलटवार: ‘हार की हताशा में कहानी गढ़ रहे तेजस्वी’

तेजस्वी यादव के तीखे आरोपों का जवाब बीजेपी और जदयू नेताओं ने भी तुरंत दिया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि “विपक्ष की यह हताशा दिखाती है कि उन्हें हार का डर सताने लगा है। तेजस्वी यादव अब बहाने खोजने में जुटे हैं।” उन्होंने तंज कसा कि “राहुल गांधी की संगत का असर तेजस्वी पर साफ दिख रहा है। जैसे राहुल होमवर्क नहीं करते, वैसे ही तेजस्वी भी बिना तथ्य के बातें कर रहे हैं।” रविशंकर प्रसाद ने कहा कि “हम 20 साल बाद भी जीत रहे हैं क्योंकि जनता को मोदी और नीतीश पर भरोसा है, और यही हमारा ट्रस्ट फैक्टर है।” वहीं, बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि “चुनाव आयोग किस राज्य से फोर्स बुलाएगा, यह उसका तकनीकी और प्रशासनिक निर्णय होता है। आमतौर पर वही फोर्स मंगाई जाती है जो अतिरिक्त बल के रूप में उपलब्ध हो और तनावमुक्त हो।” उन्होंने कहा कि “जब कोई हारने वाला होता है तो इस तरह की कहानियां गढ़ता है।” उन्होंने प्रधानमंत्री पर लगाए गए बाहुबली प्रचार के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, “रीतलाल यादव कौन है? उसके प्रचार में कौन घूमता है? सीवान में जब अपराधी की हत्या हुई तो विपक्षी नेता हेलिकॉप्टर लेकर पहुंचे, यह कौन सा संदेश था?” अशोक चौधरी ने कहा कि “एनडीए की सरकार ने 20 साल में बिहार को स्थिरता, विकास और सुरक्षा दी है, जबकि विपक्ष सिर्फ नकारात्मक राजनीति कर रहा है।”
तेजस्वी और एनडीए नेताओं के बीच यह जुबानी जंग अब चुनावी माहौल को और तेज करती दिख रही है। मतदान से पहले जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, उससे स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां हर बयान अगले दौर की रणनीति तय कर रहा है। जनता अब दोनों पक्षों के दावों और तथ्यों के बीच फैसला सुनाने को तैयार है, और 14 नवंबर को आने वाले नतीजे यह बताएंगे कि बिहार की दिशा आखिर किस ओर मुड़ेगी।

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