सीट बंटवारे में उथल-पुथल और सियासी दबाव
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन (MGB) दोनों ही पक्षों में सीट बंटवारे को लेकर असमंजस गहरा गया है। नवरात्र और छठ जैसे प्रमुख पर्वों के बीच चुनाव की घोषणा की संभावना नेताओं की रणनीतियों और दावों को और जटिल बना रही है। एनडीए में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-R) किसी भी हाल में 30 सीट से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं है, जबकि भाजपा और जेडीयू प्रयास कर रहे हैं कि सहयोगी दलों को 20-22 सीटों के साथ राज्यसभा या विधान परिषद की पेशकश करके मनाया जाए। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, सहयोगी दलों के भीतर सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा इतनी कड़ी है कि थोड़ी भी कटौती विवाद को जन्म दे सकती है। इस बीच, नेताओं ने प्रचार की बजाय पटना और दिल्ली में उम्मीदवार बनने के लिए अपने कैंप लगाए हैं, जिससे चुनावी हलचल चुनाव आयोग द्वारा ऐलान किए जाने से पहले ही बढ़ गई है।
महागठबंधन में सीटों का विवाद और कांग्रेस की रणनीति
विपक्षी महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर तनातनी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी की यात्रा से उत्साह बढ़ा है और यह स्थिति तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए चिंता का विषय बन गई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस ने केवल 19 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार वे वही संख्या मांग रही हैं। कांग्रेस ने महागठबंधन में अपने दावों के साथ यह संदेश भी दिया है कि सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे, इसलिए उन्हें समझौता करना चाहिए। वहीं लेफ्ट पार्टियों और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने भी पिछली बार के प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट को आधार बनाकर सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि गठबंधन में संतुलन बनाए रखना महागठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि हर दल अपनी ‘जीतने योग्य’ सीटों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है।
बैठकें, रणनीति और आगामी चुनावी समीकरण
एनडीए और महागठबंधन दोनों ही पक्षों में शीर्ष नेताओं की बैठकें लगातार जारी हैं। पटना में अमित शाह और नीतीश कुमार की शिखर वार्ता में एनडीए के सीट गणित को सुलझाने के प्रयास किए गए, लेकिन सहयोगी दलों के बीच संवाद की सीमाएं बनी हुई हैं। वहीं महागठबंधन में कांग्रेस ने सीटों पर समझौते के लिए तेजस्वी यादव पर दबाव बनाया है और अन्य सहयोगी दलों को संतुलित करने का काम भी उसी पर छोड़ दिया गया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, चुनाव आयोग के दशहरा के बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने की संभावना के बीच, सभी दलों के लिए रणनीति और गठबंधन समीकरणों में अंतिम बदलाव होना लगभग तय है। सीट बंटवारे के अंतिम निर्णय तक बिहार की राजनीति में सियासी उथल-पुथल बनी रहने की संभावना है, जो 2025 के विधानसभा चुनावों को और रोमांचक बनाएगी।