राजनीतिक यात्रा और शुरुआती संघर्ष
सहरसा के सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक रत्नेश सदा को जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने चौथी बार उम्मीदवार घोषित किया है। यह घोषणा पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह का कारण बनी है। रत्नेश सदा का राजनीतिक सफर 1987 में शुरू हुआ था। वे सहरसा के महिषी थाना क्षेत्र के बलिया सिमर गांव के मूल निवासी हैं और वर्तमान में कहरा कुटी स्थित वार्ड नंबर 6 में निवास करते हैं। प्रारंभिक जीवन में उन्होंने आजीविका के लिए रिक्शा चलाया और उनके पिता लक्ष्मी सादा खेतिहर मजदूर थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद रत्नेश सदा ने अपने राजनीतिक करियर को मजबूती से आगे बढ़ाया।
पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिकाएं और विधायक बनना
राजनीतिक जीवन में करीब 30 वर्षों के अनुभव के साथ, रत्नेश सदा ने JDU में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव और सुपौल जिला संगठन प्रभारी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वर्ष 2009 में उन्होंने सहरसा के पटेल मैदान में महादलितों का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया, जिससे उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी नेतृत्व की नजर में लाया गया। इसके बाद 2010 के चुनाव में सोनवर्षा सीट को सुरक्षित मानते हुए पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा और वे पहली बार विधायक बने। उनके नेतृत्व और जनता के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें लगातार चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया।
सामाजिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
रत्नेश सदा महादलित समुदाय से आते हैं और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वे शिक्षित भी हैं, उन्होंने ग्रेजुएशन के साथ-साथ संस्कृत में आचार्य की डिग्री प्राप्त की है। करीब 54 वर्ष के रत्नेश सदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। 2023 में, संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद, उन्हें बिहार सरकार में मंत्री पद भी सौंपा गया। उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियां हैं। इस राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि ने उन्हें सोनवर्षा से JDU का भरोसेमंद और अनुभवी उम्मीदवार बना दिया है।
रत्नेश सदा का नाम बिहार की राजनीति में मजबूती और स्थिरता का प्रतीक बन चुका है। उनके लगातार चौथी बार टिकट मिलने से यह संकेत मिलता है कि पार्टी उन्हें अपने नेतृत्व और जनता के साथ उनके मजबूत संबंधों के कारण चुनावी मोर्चे पर महत्वपूर्ण मानती है।