‘टिकट से पहले ही पवन सिंह का बैकफुट पर आना’
भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार और बीजेपी से संभावित उम्मीदवार पवन सिंह ने टिकट ऐलान से पहले ही चुनाव मैदान से हटने का ऐलान कर सबको चौंका दिया है। हाल ही में उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं जेपी नड्डा, अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की थी, जिसके बाद यह चर्चा तेज हो गई थी कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देने जा रही है। सोशल मीडिया पर भी पवन सिंह ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी, यहां तक कि उन्होंने कुछ पोस्ट में जातिवादी राजनीति पर निशाना साधते हुए खुद को ‘विकसित बिहार’ का समर्थक बताया था। लेकिन अचानक उनके चुनाव न लड़ने के निर्णय ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं- क्या पवन सिंह ने स्वेच्छा से कदम पीछे खींचा, या फिर बीजेपी ने विवादों के कारण उनका टिकट काट दिया? राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, दोनों ही संभावनाएं बराबर हैं क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में पवन सिंह लगातार निजी विवादों, सोशल मीडिया आलोचनाओं और महिला आरोपों के घेरे में रहे।
सबसे पहले विवाद उस वक्त गहराया जब पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह लखनऊ में उनके फ्लैट पर पहुंचीं और दोनों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। इसके बाद ज्योति सिंह ने सोशल मीडिया पर भावुक वीडियो जारी कर पति पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने खुद को प्रताड़ित बताया और आत्महत्या जैसे कदम की चेतावनी तक दे डाली। ज्योति ने आरोप लगाया कि पवन सिंह ने उन्हें चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया और अब उन्हें न तो घर में जगह दी जा रही है और न सम्मान। पवन सिंह ने जवाब में कहा कि उनकी पत्नी चुनावी मौसम में नाटकीय तरीके से सामने आ रही हैं ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला लगातार जारी है, जिसने पवन सिंह की राजनीतिक छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया है। बीजेपी सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व इस पारिवारिक विवाद को लेकर असहज था और महिला मतदाताओं के बीच गलत संदेश जाने से बचना चाहती थी।
‘ज्योति सिंह की प्रशांत किशोर से मुलाकात और विवादों का नया दौर’
ज्योति सिंह ने हाल ही में जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर से पटना में मुलाकात की, जिसने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी। सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात लगभग 20 मिनट तक चली और इसमें किसी चुनावी रणनीति की नहीं, बल्कि ज्योति के निजी मुद्दों की चर्चा हुई। मुलाकात के बाद ज्योति ने कहा कि वे टिकट या राजनीतिक लाभ के लिए नहीं आईं, बल्कि उन महिलाओं की आवाज बनना चाहती हैं जिन्हें अन्याय झेलना पड़ रहा है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को पवन सिंह के लिए एक और झटका माना जा रहा है। प्रशांत किशोर ने भी स्पष्ट किया कि यह मामला निजी है और जनसुराज इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा, परंतु उन्होंने यह भी कहा कि “ज्योति सिंह बिहार की महिला हैं, इसलिए उनकी बात सुनी जानी चाहिए।”
इससे पहले ज्योति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि “मेरे सिंदूर की रक्षा कीजिए।” इसके बाद उन्होंने अपने समाज के प्रभावशाली नेताओं, जिनमें बृजभूषण शरण सिंह और धनंजय सिंह शामिल हैं, से भी न्याय की अपील की थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ जब पवन सिंह बीजेपी के टिकट की उम्मीद कर रहे थे। इस मुलाकात के केवल 20 घंटे बाद पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर चुनाव से हटने का ऐलान कर दिया। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी नहीं चाहती थी कि परिवारिक विवाद या महिला उत्पीड़न जैसे मुद्दे चुनावी मंच पर सामने आएं। इससे विपक्ष को मौका मिल जाता और बीजेपी के “महिला सम्मान” अभियान पर सवाल उठते। प्रशांत किशोर से ज्योति की मुलाकात और बढ़ते विवाद ने पवन सिंह के लिए स्थिति और कठिन बना दी।
‘हरियाणवी एक्ट्रेस विवाद, सोशल मीडिया ट्रोलिंग और पॉलिटिकल दबाव’
पवन सिंह पहले से ही एक और विवाद में फंसे हुए हैं- हरियाणवी एक्ट्रेस अंजलि राघव ने उन पर मंच पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था। यह मामला अब दिल्ली साइबर पुलिस स्टेशन तक पहुंच चुका है, जहां करीब 20 इंस्टाग्राम आईडी की जांच हो रही है जिनसे अंजलि को ट्रोल किया गया था। महिला आयोग ने भी इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। इस विवाद ने पवन सिंह की छवि पर गहरा असर डाला है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें निशाने पर लिया, वहीं भोजपुरी गायिका नेहा राठौर ने भी व्यंग्यात्मक पोस्ट कर बीजेपी पर कटाक्ष किया कि “भाजपा प्रत्याशी कैसा हो…पवन सिंह जैसा हो।” इन विवादों के कारण पवन सिंह न केवल सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए बल्कि पार्टी नेतृत्व की नजरों में भी विवादास्पद बन गए।
इस बीच ज्योति सिंह ने करवा चौथ पर अकेले पूजा करते हुए वीडियो शेयर किया और लिखा, “पत्नी होने के नाते अपना कर्तव्य निभाती रहूंगी, बस भगवान से यही दुआ है कि मेरी जैसी अभागन कोई और न बने।” यह वीडियो वायरल होते ही पवन सिंह पर आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पूरे विवाद ने पवन सिंह की राजनीतिक साख को गहरा नुकसान पहुंचाया है। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के अनुसार, “बीजेपी के लिए पवन सिंह को टिकट देना जोखिम भरा होता। उनकी पत्नी ने जिस तरह से खुलकर आरोप लगाए, उससे पार्टी महिला वोटरों के बीच बैकफुट पर आ जाती। इसलिए संभव है कि बीजेपी ने उन्हें चुनाव से दूर रहने की सलाह दी हो।”
अब सवाल यह है कि क्या पवन सिंह भविष्य में राजनीति में वापसी करेंगे या यह अध्याय यहीं समाप्त हो जाएगा। फिलहाल यह स्पष्ट है कि निजी विवादों, महिला आरोपों और सोशल मीडिया ट्रोलिंग के चलते भोजपुरी स्टार की राजनीतिक पारी शुरू होने से पहले ही रुक गई।