बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को औरंगाबाद जिले के रफीगंज में आयोजित एक जनसभा में विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें जनता की नहीं, अपने परिवार की सेवा में जुटी थीं। “जब वो सत्ता से हटे तो अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने बिहार के लिए कुछ नहीं किया, सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ाने का काम किया।” मुख्यमंत्री ने कहा कि 2005 से पहले राज्य भय, भ्रष्टाचार और अराजकता की चपेट में था। लोग शाम के बाद घरों से निकलने से डरते थे। सड़कें जर्जर थीं, बिजली की आपूर्ति नाम मात्र थी और सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर थी। नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने इन स्थितियों को पूरी तरह बदल दिया है। “आज बिहार के हर जिले में सड़कें बन चुकी हैं, बिजली हर घर तक पहुंच चुकी है और अस्पतालों में व्यवस्था सुधरी है। पहले लोगों के चेहरों पर भय था, अब आत्मविश्वास है। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी बिना डर के घूम सकते हैं।” उन्होंने कहा कि बिहार ने अब विकास की दिशा में नई पहचान बनाई है, और राज्य देश की प्रगति में अहम भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर व्यंग्य करते हुए कहा कि “जो लोग पहले जनता को डराकर राज करते थे, आज वे खुद जनता के डर से राजनीति कर रहे हैं।”
रोजगार और विकास को लेकर नीतीश कुमार का बड़ा दावा: अगले पांच साल में 1 करोड़ युवाओं को मिलेगा रोजगार
अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने रोजगार के मुद्दे पर विस्तृत जानकारी दी और अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि 2020 में किए गए 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख रोजगार सृजन के वादे को उनकी सरकार ने पूरा कर दिखाया है। “हमने अब तक 10 लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी दी है और 40-50 लाख युवाओं को विभिन्न योजनाओं से रोजगार मिला है। अगले पांच साल में 1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा,” उन्होंने कहा। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में अब तक 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है और औद्योगिक इकाइयों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि युवाओं को अपने ही राज्य में अवसर मिल सकें। नीतीश कुमार ने कहा कि पहले जहां भय और पलायन का माहौल था, अब वही बिहार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सिर्फ नौकरी देना नहीं बल्कि रोजगार के विविध अवसर तैयार करना है, ताकि हर युवा अपने क्षेत्र में सम्मानजनक जीवन जी सके। मुख्यमंत्री ने साथ ही यह भी कहा कि उनकी सरकार ने किसान, मजदूर, व्यापारी और गरीब तबकों के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं ताकि समाज के हर वर्ग को विकास की धारा से जोड़ा जा सके।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता पर नीतीश का फोकस: कहा- ‘हिंदू-मुस्लिम सभी के लिए काम किया’
महिलाओं और सामाजिक सौहार्द पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50% आरक्षण देकर नया इतिहास रचा। इसके बाद 2013 में पुलिस विभाग में 35% और 2016 में सभी सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण महिलाओं के लिए तय किया गया। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि “आज बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या देश में सबसे ज्यादा है।” नीतीश कुमार ने बताया कि 2006 में विश्व बैंक से सहायता लेकर ‘जीविका’ योजना की शुरुआत की गई थी, जो आज 1 करोड़ 40 लाख से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों तक पहुंच चुकी है। “जीविका दीदियों ने न सिर्फ अपना जीवन बदला बल्कि अपने परिवार और गांव की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया,” उन्होंने कहा। मुख्यमंत्री ने सामाजिक सद्भाव को लेकर कहा कि उनकी सरकार ने 2006 में कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू कराई थी ताकि धार्मिक विवादों से बचा जा सके। “2016 में हमने 60 वर्ष पुराने मंदिरों की घेराबंदी भी कराई। हमने हिंदू-मुस्लिम सभी के लिए काम किया, किसी के साथ भेदभाव नहीं किया,” उन्होंने कहा। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि कानून का राज और सामाजिक शांति ही बिहार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पहले जहां दंगे और झगड़े आम बात थे, अब राज्य में अमन और विकास की संस्कृति बनी है। अपने भाषण के अंत में मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे विकास की इस यात्रा को आगे बढ़ाने में सहयोग करें और झूठे वादों के बजाय काम करने वाली सरकार को समर्थन दें। नीतीश कुमार की यह सभा स्पष्ट रूप से राजनीतिक संदेश लेकर आई – कि बिहार अब भय, अंधकार और परिवारवाद की राजनीति से आगे बढ़ चुका है और अब केंद्र में है विकास, रोजगार और समान अवसरों का नया युग।




