कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड के खेल मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा में भोजपुरी अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद मनोज तिवारी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि यह चुनाव केवल एक विधानसभा सीट का नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य का चुनाव है। उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत मां मुंडेश्वरी की जयकारा लगाकर की और कहा कि जनता अब विकास और राष्ट्रवाद की राजनीति को आगे बढ़ा रही है। तिवारी के संबोधन को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में समर्थक मैदान में मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी से अलग थे, लेकिन इस बार वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकजुट होकर जनता के बीच हैं। यह दर्शाता है कि राजनीति में दुश्मनी नहीं होती, केवल विचारधारा बदलती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध होना स्वाभाविक है, लेकिन राष्ट्रहित और विकास के लिए सबको साथ आना चाहिए। बिहार की जनता समझदार है, जो अब जाति की राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र की भलाई के लिए मतदान करती है। तिवारी ने कहा कि यह चुनाव बिहार को नई दिशा देने वाला साबित होगा और केंद्र सरकार के विकास कार्यों की जीत तय करेगा।
‘जय शहाबुद्दीन’ नहीं, ‘जय अब्दुल कलाम’ का नारा हो
अपने संबोधन के दौरान मनोज तिवारी ने महागठबंधन और खासतौर पर तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज कुछ नेता अपराधियों का महिमामंडन कर रहे हैं और उनके समर्थन में नारे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के मंच से ‘शहाबुद्दीन जिंदाबाद’ का नारा लगाया जाता है, जबकि शहाबुद्दीन जैसे लोगों ने समाज में भय और हिंसा फैलाई थी। तिवारी ने याद दिलाया कि शहाबुद्दीन के आतंक के दिनों में लोगों को दिनदहाड़े तेजाब डालकर जला दिया जाता था और तत्कालीन लालू सरकार ने उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि अब समय आ गया है जब बिहार को अपराधियों की नहीं बल्कि देशभक्तों की जय बोलनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अब ‘जय शहाबुद्दीन’ नहीं, ‘जय अब्दुल कलाम’ का नारा लगना चाहिए, क्योंकि अब हमारे नायक वे लोग हैं जिन्होंने देश को गौरव दिलाया, न कि जिन्होंने उसे शर्मसार किया।” तिवारी ने कहा कि बिहार हमेशा से बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों और राष्ट्रनिर्माताओं की भूमि रही है, इसलिए यहां से नफरत नहीं बल्कि विकास और प्रेरणा का संदेश जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को अब रोजगार, शिक्षा और तकनीकी विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा और ऐसे नेताओं को चुनना होगा जो देश को आगे ले जा सकें।
विकास और राष्ट्रवाद पर फोकस, चुनाव में नया जोश
मनोज तिवारी ने अपने भाषण में निषाद समाज और मछुआरा समुदाय के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले इस समाज को मछली पालन के लिए मात्र 4500 रुपए की सहायता मिलती थी, जो अब बढ़ाकर 9000 रुपए कर दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हर वर्ग के उत्थान के लिए योजनाएं चलाई हैं, चाहे वह गरीब हो, किसान हो या पिछड़ा वर्ग। तिवारी ने जनता से अपील की कि वे जाति-पाति की दीवारों को तोड़कर राष्ट्रहित को प्राथमिकता दें और ऐसे उम्मीदवारों को चुनें जो बिहार को आत्मनिर्भर बना सकें। उन्होंने महागठबंधन पर आरोप लगाया कि वे बांग्लादेश के लोगों को भी बिहार के वोटर सूची में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे लोकतंत्र की पवित्रता पर सवाल उठता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में ‘जय श्रीराम’ बोलना अपराध जैसा बना दिया गया है, लेकिन बिहार की धरती पर ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि यहां के लोग सनातन संस्कृति और आस्था के रक्षक हैं। अपने संबोधन के अंत में मनोज तिवारी ने अपने प्रसिद्ध गीत “जिया हो बिहार के लाला, 11 नवंबर के कमल के बटन दबाव हो भैया” गाकर सभा में उत्साह भर दिया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी भी यह गीत गुनगुनाते हैं और जब जनता कमल का बटन दबाएगी, तो बिहार फिर से विकास की राह पर अग्रसर होगा। मनोज तिवारी के भाषण के दौरान जनसभा में जोश और उत्साह का माहौल देखने को मिला, जहां समर्थकों ने बार-बार ‘मोदी-मोदी’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। कैमूर की यह सभा बीजेपी के चुनावी अभियान में ऊर्जा का संचार करने वाली साबित हुई, जहां मनोज तिवारी ने स्पष्ट संदेश दिया कि बिहार अब बदलाव की राह पर है और यह बदलाव विचारधारा से शुरू होकर विकास पर खत्म होगा।




