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लेसी सिंह ने लगाया चुनाव में बाधा डालने का गंभीर आरोप, वीडियो को बताया साक्ष्य

वोटिंग प्रभावित करने की साजिश का आरोप, जिला प्रशासन और चुनाव आयोग को भेजा वीडियो

Lesi Singh addressing media with allegations against political rivals

NDA की धमदाहा सीट से प्रत्याशी लेसी सिंह ने प्रेसवार्ता में जोरदार बयान देकर कहा है कि मतदान के दिन उनकी हार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रतिद्वंद्वी गठबंधन के नेताओं और समर्थकों द्वारा सुनियोजित साजिश रची जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नॉमिनेशन के बाद से सोशल मीडिया और यूट्यूब के माध्यम से उनके खिलाफ निराधार आरोप, गालियाँ और भ्रामक प्रचार तेज किया गया है, जिससे उनकी साख पर असर डालने का प्रयास चल रहा है। थमी नहीं दिखने वाली इस राजनीतिक जंग के बीच उन्होंने कहा कि 8 नवंबर की रात दमगड़ा इलाके में हुई घटनाओं से जुड़ा एक वीडियो उनके पास पहुँचा है, जिसमें कथित तौर पर सांसद और राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी एक बैठक में कार्यकर्ताओं के साथ योजना बनाते दिख रहे हैं। लेसी ने आरोप लगाया कि इस बैठक में यह साजिश रची गई कि कुछ बाहरी लोगों को लाकर मतदान के मौके पर विवाद या मारपीट करवाई जाएगी और बाद में उन्हें जदयू कार्यकर्ता बताकर नैरेटिव बदल दिया जाएगा, जिससे एनडीए के वोट बैंक को नुकसान पहुँचे और मतदान पर प्रभाव डाला जा सके। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ धमकी नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से वोटिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप की कोशिश है और इसे गंभीर माना जाना चाहिए। इस दौरान लेसी सिंह ने दावा किया कि उनके खिलाफ यह अभियान इसलिए तेज हुआ क्योंकि महागठबंधन के दावेदारों को अब क्षेत्र में उनका जनाधार कमजोर दिख रहा है और दहशत में वे ऐसे कदम उठा रहे हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि उनके पास मौजूद वीडियो में सांसद पप्पू यादव और राजद के प्रत्याशी संतोष कुशवाहा के समर्थक योजनाबद्ध रूप से चर्चा करते नजर आ रहे हैं, और इसीलिए उन्होंने यह सामग्री तुरंत चुनाव आयोग और जिला प्रशासन को सौंप दी है तथा कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन से सुरक्षा व निगरानी की मांग और स्थानीय चिंता

लेसी सिंह ने जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि मतदान के दिन हर प्रत्याशी के साथ मौजूद रहने के लिए वीडियो ग्राफर और पुलिसकर्मी नियुक्त किए जाएँ ताकि किसी भी तरह के अनुचित घटनाक्रम पर तुरंत नज़र रखी जा सके और समय रहते रोका जा सके। उनका कहना था कि यदि मतदान के समय बाहर से अपराधी बुला कर विवाद कराया गया और बाद में किसी निर्दोष पर साजिश रची गई तो लोकतंत्र की प्रक्रिया ही प्रभावित होगी। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि ऐसी योजनाएँ न सिर्फ राजनीतिक प्रतियोगिता को गंदा करती हैं बल्कि मतदाताओं की सुरक्षा और मतदान के शांतिपूर्ण संचालन को भी खतरे में डाल सकती हैं। लेसी ने आगाह किया कि पहले भी इस निर्वाचन क्षेत्र में सुरक्षासंबंधी चिंताएँ रही हैं और 2020 के चुनाव से जुड़ी एक हिंसात्मक घटना उनकी याद में ताजा है, इसलिए प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वीडियो के आधार पर निर्वाचन अधिकारी और पुलिस को तत्काल प्रभाव से सत्यापन कराना चाहिए और यदि कोई आपराधिक साजिश पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी माँगा कि चुनाव आयोग निगरानी बढ़ाए और सभी प्रत्याशियों के हर कान्टैक्ट-पॉइंट पर तैनाती सुनिश्चित करे ताकि किसी भी प्रकार के दुरुपयोग और हिंसा की आशंका समाप्त की जा सके। लेसी के इस अनुरोध ने स्थानीय राजनीतिक तापमान को और तेज किया है और प्रशासनिक मशीनरी से जल्द और पारदर्शी कदम उठाने की मांग बढ़ गई है, ताकि मतदाता भयमुक्त वातावरण में अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें।

राजद प्रत्याशी की प्रतिक्रिया और राजनीतिक निहितार्थ

दूसरी ओर राजद के प्रत्याशी संतोष कुशवाहा ने लेसी के आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए इसे राजनीतिक साजिश और जमीन खिसकने की प्रतिक्रिया करार दिया है। संतोष ने कहा कि यदि किसी प्रकार का वीडियो मौजूद है तो उसे तत्काल सार्वजनिक कर दिया जाए ताकि सत्य सामने आ सके और “दूध का दूध पानी का पानी” जैसा हाल बन जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि धमदाहा में पिछले पंद्रह वर्षों से एक तरह का भय और राजनीतिक दबाव रहा है, जिसका लाभ उठाकर कुछ लोग क्षेत्र पर आधिपत्य बनाए हुए थे, लेकिन इस बार उनकी जमीन कमजोर हो रही है और इसलिए विरोधी एजेंडा अपनाया जा रहा है। संतोष ने यह भी माना कि 2020 के दौरान हुई हिंसक घटना ने इलाके में पहले से ही तनाव का इतिहास बना दिया है और ऐसे में किसी भी संकेत को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, परन्तु उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके विरुद्ध लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं और जनता उन्हें नकार चुकी है। संतोष ने आशंका जताई कि परिसीमन या चुनावी रणनीति में बदलाव के कारण विरोधियों की नीतियाँ तेज हुई हैं, पर साथ ही उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि यदि कोई प्रमाण है तो औपचारिक रूप से साझा किया जाए और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से सत्य स्थापित किया जाए। इस बयान ने स्थानीय राजनीति में नए सियासी सवाल खड़े कर दिए हैं-प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और सुरक्षा को लेकर बढ़ती सावधानी से यह स्पष्ट होता है कि चुनावी रक्षा, मतदाता सुरक्षा और निष्पक्ष मतदान को लेकर निगाहें तेज कर दी गयी हैं। जिला प्रशासन और निर्वाचन आयोग पर अब दबाव है कि वे तेज समय में स्थिति की वास्तविकता का मूल्यांकन कर सार्वजनिक विश्वास बने रहने दें और किसी भी तरह के अनियंत्रित घटनाक्रम को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएँ।

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