IRCTC घोटाले की पृष्ठभूमि और लालू परिवार पर आरोप
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 13 अक्टूबर को IRCTC घोटाले में लालू परिवार और अन्य आरोपियों पर आरोप तय कर दिए। मामला 2004-2009 के बीच RJD सुप्रीमो लालू यादव के केंद्रीय रेल मंत्री रहने के दौरान IRCTC के BNR होटल रांची और पुरी के टेंडर से जुड़ा है। CBI ने आरोप लगाया कि टेंडर प्रक्रिया में धांधली की गई और पटना की कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ मिला। इसके बदले सुजाता होटल्स ने पटना में 3 एकड़ जमीन डिलाइट कंपनी को कम कीमत पर ट्रांसफर की। बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के मालिकाना हक वाली लारा प्रोजेक्ट्स ने इस कंपनी को 65 लाख रुपए में खरीद लिया। कोर्ट ने लालू यादव को भ्रष्टाचार और साजिश के तहत, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को धोखाधड़ी और साजिश के तहत आरोपित किया।
सजा की संभावना और राजनीतिक प्रभाव
अभियोजन के मुताबिक, आरोप सिद्ध होने पर दोषियों को अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। अगर तेजस्वी यादव को दो साल से अधिक की सजा होती है तो जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के अनुसार वे विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इससे RJD के नेतृत्व और भविष्य पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि तेजस्वी यादव वर्तमान में पार्टी के सर्वमान्य नेता हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर तेजस्वी पर सजा होती है, तो RJD में नेतृत्व परिवर्तन और संभावित गुटबाजी का खतरा बढ़ सकता है।
RJD पर असर और पार्टी की संभावित रणनीति
यदि तेजस्वी यादव बरी हो जाते हैं, तो पार्टी के लिए राहत की खबर होगी। इससे RJD और तेजस्वी का करप्शन का दाग हट जाएगा और विरोधी दलों पर राजनीतिक संदेश जाएगा। दूसरी ओर, सजा होने की स्थिति में पार्टी में नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव परिवार की तरह रणनीति अपनाकर पार्टी का नियंत्रण पत्नी राजश्री को सौंप सकते हैं, जिससे RJD की अखंडता बनी रहे। इसके अलावा, परिवार में अन्य सदस्य और संभावित आंतरिक विरोधियों के बीच सत्ता संघर्ष की संभावना भी बढ़ सकती है। ऐसे में IRCTC घोटाले का असर न केवल तेजस्वी यादव के व्यक्तिगत करियर पर, बल्कि RJD की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती पर भी पड़ सकता है।