बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल तथा राजद सांसद एडी सिंह ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि हरियाणा से छह विशेष ट्रेनों के जरिए करीब छह हजार लोगों को बिहार भेजा गया। उनका कहना है कि ये सभी लोग तथाकथित “प्रोफेशनल वोटर्स” हैं, जिन्हें चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए भेजा गया। दोनों सांसदों ने आरोप लगाया कि 3 नवंबर को हरियाणा से छह स्पेशल ट्रेनें रवाना हुईं, जिनमें से दो करनाल से और बाकी चार गुरुग्राम से चलीं। सिब्बल ने कहा कि सुबह 10 बजे करनाल से बरौनी और 11 बजे करनाल से भागलपुर के लिए ट्रेनें भेजी गईं, वहीं दोपहर बाद 3 और 4 बजे गुरुग्राम से भागलपुर जाने वाली ट्रेनें रवाना की गईं। प्रत्येक ट्रेन में लगभग 1,500 यात्री सवार थे। इस आधार पर कुल करीब 6 हजार लोगों के बिहार पहुंचने का दावा किया जा रहा है। सांसदों का आरोप है कि इन लोगों के पास फर्जी पहचान पत्र हैं और इन्हें भाजपा के नेताओं की मदद से चुनाव वाले क्षेत्रों में भेजा गया है। उन्होंने चुनाव आयोग से तत्काल जांच की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या वाकई में किसी राजनीतिक दल द्वारा संगठित तरीके से वोटरों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सीधा हमला है और यदि इस तरह की गतिविधियां बिना रोकटोक जारी रहीं, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेगा। उन्होंने कहा कि आयोग और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए यह जांच करनी चाहिए कि हरियाणा से बिहार गए यात्रियों की पहचान क्या थी और क्या उनका किसी राजनीतिक दल से सीधा संबंध है। सिब्बल ने सवाल उठाया कि जब बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना था, तब ठीक उससे पहले इतनी बड़ी संख्या में ट्रेनों का संचालन कैसे और क्यों हुआ।
आरजेडी सांसद ने भाजपा पर साधा निशाना, बोले- फर्जी वोटरों का नेटवर्क तैयार किया गया
राजद सांसद एडी सिंह ने भी इस पूरे मामले को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सब एक सोची-समझी साजिश है, जिसमें फर्जी वोटरों को व्यवस्थित तरीके से चुनावी राज्यों में भेजा जा रहा है। उनके मुताबिक इन सभी तथाकथित वोटरों के पास फर्जी एपिक कार्ड हैं और इन्हें वोट डालने के बाद वापस हरियाणा भेज दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि रेलवे अधिकारियों से संपर्क कर इन ट्रेनों की व्यवस्था हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहनलाल और प्रदेश महामंत्री अर्चना गुप्ता के माध्यम से की गई। एडी सिंह ने कहा कि अब जनता सब देख रही है और आने वाले समय में इस तरह की चालें लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक और सामाजिक असंतुलन की वजह से जनता अब जागरूक हो रही है और किसी भी तरह की हेराफेरी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार है। सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि जैसे श्रीलंका और बांग्लादेश में आर्थिक संकट के बाद जनता सड़कों पर उतर आई, वैसे ही भारत में भी अगर जनता के अधिकारों से छेड़छाड़ हुई तो लोकतंत्र के लिए यह गंभीर खतरा होगा।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें बिहार जाने वाले कुछ यात्री यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा टिकटें मुफ्त में दी गईं ताकि वे बिहार जाकर वोट डाल सकें। वीडियो में यात्रियों का यह भी कहना है कि उन्हें जाने की टिकट तो मुफ्त में मिली लेकिन लौटने की नहीं। वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस ने इसे भाजपा की चुनावी रणनीति बताते हुए चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की है। विपक्षी दलों का कहना है कि यदि इन ट्रेनों का संचालन सचमुच सामान्य त्योहारों की यात्रा के तहत हुआ होता, तो किसी राजनीतिक पार्टी के नेता उन्हें फ्लैग ऑफ करने क्यों पहुंचे।
रेल मंत्रालय का स्पष्टीकरण और बढ़ता सियासी संग्राम
रेल मंत्रालय ने इस पूरे विवाद पर सफाई देते हुए कहा है कि त्योहारों के मौसम में यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए 12 हजार विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जिनमें से करीब 10,700 निर्धारित और 2,000 अनिर्धारित हैं। मंत्रालय के अनुसार विभिन्न जोन और मंडल स्तर पर वॉर रूम बनाए गए हैं ताकि अचानक किसी स्टेशन पर भीड़ बढ़ने पर तुरंत ट्रेनें लगाई जा सकें और यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि हरियाणा से बिहार जाने वाली ट्रेनों का संचालन इसी विशेष योजना का हिस्सा है और इसका किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, इस स्पष्टीकरण के बावजूद विपक्षी दल इस मामले को लेकर हमलावर हैं और इसे सत्ता पक्ष द्वारा चुनाव प्रभावित करने की साजिश बता रहे हैं।
वहीं, करनाल रेलवे स्टेशन से रवाना की गई एक ट्रेन के कार्यक्रम में भाजपा जिला अध्यक्ष प्रवीण लाठर की मौजूदगी ने विवाद को और हवा दे दी। फोटो और वीडियो में उन्हें ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए देखा गया, जिसके बाद विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह केवल त्योहारों की ट्रेन नहीं बल्कि “राजनीतिक ट्रेन” थी। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा कि यदि ट्रेनें केवल यात्रियों की सुविधा के लिए थीं, तो उनमें राजनीतिक नेताओं की भूमिका क्यों दिखाई दी।
जैसे-जैसे बिहार चुनाव का दूसरा चरण नजदीक आ रहा है, यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए बड़ा हथियार बन गया है। सत्ताधारी भाजपा इस पर सफाई दे रही है जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है। अब नजर चुनाव आयोग और प्रशासन पर है कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच कैसे और कब तक पूरी करते हैं। जनता के बीच यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या वाकई चुनावी प्रक्रिया में ऐसे बाहरी तत्वों की भूमिका बढ़ती जा रही है या यह केवल राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा है। बिहार की जनता के लिए अब यह चुनाव केवल सरकार बदलने का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की साख बचाने का भी प्रतीक बन गया है।




