बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से ठीक पहले काराकाट विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति सिंह के होटल में प्रशासन की देर रात छापेमारी ने सियासी माहौल गर्मा दिया है। यह कार्रवाई सासाराम के बिक्रमगंज स्थित एक होटल में की गई, जहां ज्योति सिंह पिछले कुछ दिनों से ठहरी हुई थीं। देर रात पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस की टीम ने होटल के कई कमरों की तलाशी ली, जिसमें ज्योति सिंह का कमरा भी शामिल था। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसमें ज्योति सिंह एसडीएम से सवाल करती नजर आईं कि आखिर बिना महिला पुलिसकर्मियों के उनके कमरे की जांच क्यों की गई। वीडियो में वे हाथ जोड़कर अधिकारियों से कहती दिखीं कि “मैं कोई अपराधी नहीं हूं, फिर मुझे क्यों परेशान किया जा रहा है?” उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी कार्रवाई उन्हें चुनावी दौड़ से मानसिक रूप से कमजोर करने के लिए की गई है। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह छापेमारी आदर्श आचार संहिता के तहत नियमित जांच अभियान का हिस्सा थी। हालांकि, इस घटना ने चुनावी माहौल में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है क्योंकि ज्योति सिंह इसे अपने खिलाफ रची गई राजनीतिक साजिश बता रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर यह नियमित जांच थी, तो महिला उम्मीदवार के कमरे में बिना महिला पुलिसकर्मियों के तलाशी क्यों ली गई।
पवन सिंह विवाद फिर सुर्खियों में, रिश्ते से राजनीति तक की जंग
छापेमारी के बाद एक बार फिर भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह तथा उनकी पत्नी ज्योति सिंह के बीच का पुराना विवाद चर्चा में आ गया है। दोनों के रिश्ते की खींचतान पिछले कुछ महीनों से लगातार सुर्खियों में रही है। अक्टूबर की शुरुआत में ज्योति सिंह ने लखनऊ में पवन सिंह के घर जाकर मुलाकात की थी, जहां बाद में पुलिस पहुंचने से माहौल गरमा गया था। ज्योति ने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो साझा करते हुए कहा था कि वे अपने हक और सम्मान के लिए लड़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि पवन सिंह ने उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए इस्तेमाल किया और बाद में उन्हें छोड़ दिया। इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई थी, वहीं पवन सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि वे जनता की भावनाओं का सम्मान करते हैं और परिवारिक मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर लाना सही नहीं मानते। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि लखनऊ में ज्योति की मौजूदगी के दौरान पुलिस केवल सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए थी। इस विवाद के बाद दोनों के बीच सार्वजनिक बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया, जिसने उनके निजी जीवन को राजनीतिक मुद्दा बना दिया। अब जब ज्योति सिंह चुनाव मैदान में हैं, पवन सिंह से जुड़ा यह विवाद एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में आ गया है।
आरोपों और सियासत के बीच प्रशासन की भूमिका पर सवाल
ज्योति सिंह ने छापेमारी को लेकर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उन्हें चुनाव प्रचार से रोकना और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने मीडिया से कहा कि “बिना महिला पुलिस के मेरे कमरे की तलाशी लेना कानून का उल्लंघन है। मुझे डराने और अपमानित करने की कोशिश की जा रही है।” ज्योति का दावा है कि उन्हें शुरू से ही सत्ता समर्थित उम्मीदवारों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, जबकि प्रशासन अपने बचाव में यह कह रहा है कि यह सिर्फ चुनावी जांच थी, जिसमें किसी विशेष प्रत्याशी को निशाना बनाने का कोई उद्देश्य नहीं था। दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के दौरान प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर निष्पक्षता पर सवाल उठना स्वाभाविक है, लेकिन इसके लिए सबूतों की जांच जरूरी है। इस घटना के बाद स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या यह केवल चुनावी निगरानी थी या किसी उम्मीदवार को कमजोर करने की रणनीति। इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार चुनावी राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है, जहां हर कदम को सियासी चश्मे से देखा जा रहा है। ज्योति सिंह ने यह साफ कर दिया है कि वे पीछे हटने वाली नहीं हैं और न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगी। उन्होंने कहा, “अगर प्रशासन निष्पक्ष होता तो महिला उम्मीदवार के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता।” जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, काराकाट सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।




