नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र से जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ विधायक हरिनारायण सिंह ने पिछले पांच वर्षों में अपनी संपत्ति में भारी वृद्धि दर्ज की है। चुनाव आयोग में प्रस्तुत उनके हलफनामों के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में उनकी और उनके परिवार की कुल संपत्ति 3.51 करोड़ रुपए थी, जो 2025 में बढ़कर 6.07 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है। यह लगभग 73 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जिसमें मुख्य भूमिका रियल एस्टेट बाजार में आए तेज उछाल की रही है। हलफनामे के अनुसार, पांच साल में संपत्ति में कुल 2.56 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है, जो बिहार में राजनीतिक और वित्तीय दृष्टि से एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है।
अचल और चल संपत्ति में उछाल
विधायक की संपत्ति वृद्धि में सबसे बड़ी छलांग अचल संपत्ति में देखी गई है। 2020 में उनके परिवार के पास 1.95 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन और मकान थे, जो 2025 में 4 करोड़ रुपए तक पहुंच गए। इसमें पटना और नालंदा के कृषि, गैर-कृषि और व्यवसायिक उपयोग की जमीनें शामिल हैं, जिनका मूल्य 2020 में 1.35 करोड़ रुपए था और अब यह बढ़कर 3.25 करोड़ रुपए हो गया है। इसके साथ ही चल संपत्ति में भी इजाफा हुआ है। 2020 में परिवार की कुल चल संपत्ति 1.56 करोड़ रुपए थी, जो 2025 में बढ़कर 2.08 करोड़ रुपए हो गई। इस दौरान उनके वाहनों के बेड़े में भी नई महिंद्रा स्कॉर्पियो S11 (2021 मॉडल) शामिल हुई, जो उनकी बढ़ती आर्थिक स्थिति को दर्शाती है।
वित्तीय निवेश, आय और राजनीतिक छवि
विधायक और उनके परिवार के वित्तीय निवेश में भी काफी वृद्धि देखी गई है। म्यूचुअल फंड और बैंक में जमा राशि मिलाकर कुल वित्तीय संपत्ति अब 2 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है। इसके अलावा, सोने में मामूली वृद्धि हुई है; 2020 में परिवार के पास 410 ग्राम सोना था, जो अब 430 ग्राम हो गया है। आय के मामले में भी सुधार हुआ है। हरिनारायण सिंह की वार्षिक आय 2020 में 6.35 लाख रुपए थी, जो 2025 में बढ़कर 8.31 लाख रुपए हो गई, जबकि उनके आश्रित की वार्षिक आय 8.04 लाख से बढ़कर 11.07 लाख रुपए हो गई। राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह है कि 78 वर्षीय विधायक ने दोनों हलफनामों में अपने विरुद्ध किसी भी आपराधिक मामले की अनुपस्थिति घोषित की है, जो उनकी राजनीतिक छवि के लिए सकारात्मक संकेत है।
कुल मिलाकर, जदयू विधायक हरिनारायण सिंह की संपत्ति में पिछले पांच वर्षों में दोगुनी वृद्धि हुई है, जिसमें जमीन-जायदाद, वित्तीय निवेश और आय में उछाल शामिल है। यह बिहार में राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में संपत्ति वृद्धि के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।