बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर सीमांचल क्षेत्र एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम बन गया है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बुधवार को किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। सुबह 11 बजे बेणुगढ़ टीला मैदान में आयोजित होने वाली जनसभा में वे एनडीए प्रत्याशी एमडी कलीमुद्दीन के समर्थन में मतदाताओं से सीधे संवाद करेंगे। यह सभा एनडीए के लिए सीमांचल में जनाधार मजबूत करने का प्रयास मानी जा रही है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक मानी जाती है। सूत्रों के अनुसार, कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ताओं के पहुंचने की संभावना है और लोजपा(रामविलास) के स्थानीय नेताओं ने जनसभा की तैयारियों में पूरी ताकत झोंक दी है। चिराग पासवान के आगमन को लेकर पूरे बहादुरगंज क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गर्म है। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंच पर क्षेत्रीय नेताओं के साथ-साथ एनडीए के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। चिराग पासवान के भाषण के दौरान सीमांचल में विकास और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर देने की संभावना है।
मुस्लिम मतदाताओं पर एनडीए की नजर, कलीमुद्दीन को बनाया गया रणनीतिक चेहरा
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने हाल ही में जारी अपनी 29 सीटों की सूची में बहादुरगंज (विधानसभा संख्या-52) से एमडी कलीमुद्दीन को उम्मीदवार घोषित किया है। कलीमुद्दीन एनडीए के पांच मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक हैं, जिन्हें इस बार मैदान में उतारा गया है। यह निर्णय एनडीए की उस राजनीतिक रणनीति को दर्शाता है जिसके तहत वह सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। सीमांचल का किशनगंज, अररिया और कटिहार क्षेत्र लंबे समय से महागठबंधन का परंपरागत गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में चिराग पासवान का यह दौरा न केवल कलीमुद्दीन के पक्ष में समर्थन जुटाने का प्रयास है, बल्कि मुस्लिम मतदाताओं तक एनडीए का संदेश पहुंचाने की भी कोशिश है कि गठबंधन विकास और प्रतिनिधित्व दोनों के प्रति प्रतिबद्ध है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कलीमुद्दीन का चयन लोजपा(रामविलास) की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें वह जाति और समुदाय से ऊपर उठकर स्थानीय विकास पर जोर देना चाहती है।
सीमांचल की सियासत में चिराग की एंट्री से बढ़ी हलचल, महागठबंधन के लिए नई चुनौती
सीमांचल की राजनीति हमेशा से बिहार के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाती रही है, और इस बार भी तस्वीर कुछ अलग नहीं दिख रही। एनडीए ने जिस तरह से मुस्लिम बहुल क्षेत्र में अपने प्रत्याशी को उतारते हुए चिराग पासवान को प्रचार की जिम्मेदारी दी है, उसे चुनावी समीकरणों में बड़ा कदम माना जा रहा है। लोजपा(रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का युवाओं में खासा प्रभाव है, खासकर सीमांचल जैसे पिछड़े इलाकों में जहां बेरोजगारी और बुनियादी सुविधाओं की कमी अब भी बड़ा मुद्दा बनी हुई है। उनके भाषणों में विकास, शिक्षा और स्थानीय उद्योगों के पुनरुत्थान जैसे विषयों को प्रमुखता दी जाती है। इस कारण कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पासवान का यह दौरा एनडीए को सीमांचल में मजबूत करने में सहायक साबित हो सकता है। दूसरी ओर, महागठबंधन के उम्मीदवारों को अब मुस्लिम मतदाताओं की एकता बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यदि कलीमुद्दीन सीमांचल में एक नया समीकरण तैयार करने में सफल रहे, तो यह बिहार की कुल 243 सीटों के चुनावी परिदृश्य पर दूरगामी असर डाल सकता है। चिराग पासवान का यह जनसंपर्क अभियान आगामी दिनों में एनडीए की चुनावी रणनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि सीमांचल की हर सीट यहां की सामाजिक और धार्मिक संरचना के आधार पर पूरे राज्य की सियासत को प्रभावित करती है।




