बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बैकुंठपुर विधानसभा सीट से एक बार फिर से मिथलेश तिवारी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। पार्टी ने अपने अनुभवी नेता पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। यह निर्णय आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई और क्षेत्रीय राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि मिथलेश तिवारी की सक्रियता, संगठनात्मक क्षमता और क्षेत्र में लोकप्रियता उन्हें इस सीट पर NDA की संभावित जीत के लिए मजबूत दावेदार बनाती है।
मिथलेश तिवारी का चुनावी अनुभव और चुनौती
मिथलेश तिवारी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में बैकुंठपुर सीट से जीत दर्ज की थी और विधायक बने थे। उस समय उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार मंजीत कुमार सिंह को हराकर BJP के लिए यह सीट पहली बार जीती थी। हालांकि 2020 के चुनाव में उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रत्याशी प्रेम शंकर प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, पार्टी ने उनकी निरंतर सक्रियता और संगठन के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें पुनः मौका दिया है। इसके अलावा, हाल ही में उन्हें बक्सर लोकसभा सीट से भी उम्मीदवार बनाया गया था, हालांकि वहां भी वे जीत नहीं सके। इस बार मिथलेश तिवारी को न केवल हार की चुनौती का सामना करना है, बल्कि उन्हें अपनी पुरानी जीत की छवि को भी दोहराना है।
आगामी चुनाव रणनीति और मुकाबला
इस बार बैकुंठपुर सीट पर उनका सीधा मुकाबला मुख्य विपक्षी दल के प्रत्याशी से होने की संभावना है, जिससे चुनाव एक हाई-प्रोफाइल और प्रतिस्पर्धात्मक मोड़ लेने जा रहा है। NDA का मकसद है कि पुराने विश्वसनीय चेहरों को मैदान में उतारकर जीत सुनिश्चित की जा सके। मिथलेश तिवारी वर्तमान में BJP संगठन में प्रदेश महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत हैं और पार्टी उनके सांगठनिक कौशल और क्षेत्रीय पकड़ पर पूर्ण भरोसा जताती है। क्षेत्र में विकास कार्यों और जनता से जुड़ाव को लेकर उनकी सक्रियता को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि यह सीट इस बार भी NDA के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। चुनावी तैयारियों और रणनीति पर BJP के वरिष्ठ नेता और स्थानीय संगठन सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, ताकि मिथलेश तिवारी पिछले प्रदर्शन की छवि को बनाए रखते हुए एक बार फिर बैकुंठपुर में विजय सुनिश्चित कर सकें।