बेतिया में बुधवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने महागठबंधन और राजद नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “बिहार में इस समय झूठों की जबरदस्त खेती हो रही है, और इस खेती के मुखिया खुद तेजस्वी यादव हैं।” उन्होंने महागठबंधन के घोषणा पत्र को “तेजस्वी यादव का पर्सनल दस्तावेज” बताते हुए कहा कि यह न तो गठबंधन की साझा सोच को दर्शाता है और न ही इसमें किसी ठोस नीति का उल्लेख है। जायसवाल के अनुसार, यह घोषणा पत्र पूरी तरह भ्रम फैलाने वाला है और इसमें सिर्फ दिखावे की बातें की गई हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “महागठबंधन के साथी दलों को खुद इतनी शर्मिंदगी हुई कि उन्हें इसे तेजस्वी यादव के नाम से जारी करना पड़ा।” बीजेपी सांसद ने दावा किया कि यह दस्तावेज़ बिहार की जनता के हितों को कमजोर करता है और केवल सत्ता की लालसा से प्रेरित है। उनके मुताबिक, यह घोषणा पत्र राज्य की वास्तविक चुनौतियों जैसे रोजगार, उद्योग विकास और सामाजिक न्याय से ध्यान हटाने की एक राजनीतिक चाल है।
सरकारी योजनाओं पर सवाल: ‘क्या 4 दिसंबर के बाद राशन और आवास योजना बंद हो जाएगी?’
डॉ. जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि तेजस्वी यादव का यह कहना कि वे 20 दिनों के भीतर हर परिवार को सरकारी नौकरी देंगे, केवल जनता को गुमराह करने की रणनीति है। उन्होंने पूछा कि “जब हर किसी को सरकारी नौकरी मिल जाएगी तो क्या फिर गरीब जनता से सरकारी योजनाएं छीन ली जाएंगी? क्या प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला गैस योजना, किसान सम्मान निधि और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का अंत हो जाएगा?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि सबको नौकरी दी जाती है, तो क्या राज्य में किसान, मजदूर या व्यापारी जैसे वर्गों का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाएगा? सांसद ने कहा कि इस तरह के वादे न केवल अव्यावहारिक हैं, बल्कि यह जनता को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने की साजिश है। उन्होंने जनता को आगाह करते हुए कहा कि ऐसे वादों के झांसे में आना बिहार के विकास के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जायसवाल ने महागठबंधन पर आरोप लगाया कि वह विकास की ठोस योजना देने में नाकाम रही है और जनता के कल्याणकारी अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार ने गरीबों और किसानों के लिए कई ऐतिहासिक योजनाएं चलाईं, लेकिन विपक्ष सिर्फ खोखले वादों और झूठे दावों से जनता को बहकाने में लगा है।
‘दीपांकर भट्टाचार्य पर भी तरस आता है’ – जनता से किया सच पहचानने का आग्रह
अपने संबोधन के दौरान सांसद जायसवाल ने भाकपा-माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य का नाम लेते हुए कहा कि “मुझे सबसे ज्यादा तरस अगर किसी पर आता है, तो वह दीपांकर भट्टाचार्य हैं, जो ऐसे गठबंधन के साथ खड़े हैं जो गरीबों के अधिकारों को खत्म करने की सोच रखता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि महागठबंधन का यह घोषणापत्र गरीबों के घर छीनने, किसानों को सम्मान निधि से वंचित करने और मजदूर वर्ग को सरकारी सुरक्षा जाल से बाहर करने की योजना है। उन्होंने कहा कि जनता अब बहुत समझदार है और वह झूठे वादों की इस राजनीति को बखूबी पहचान चुकी है। जायसवाल ने यह भी दावा किया कि इस बार बिहार की जनता महागठबंधन को करारा जवाब देगी और राजद को 10 सीटें भी नहीं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि जनता अब विकास की राजनीति चाहती है, न कि वादों की नौटंकी। सांसद ने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में विकास की रफ्तार तेज हुई है, और आने वाले दिनों में यह और मजबूत होगी। जायसवाल के बयान ने यह साफ कर दिया कि बीजेपी अब विपक्ष के वादों को झूठ और भ्रम की राजनीति के तौर पर पेश करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। उनके इस बयान ने चुनावी माहौल में एक नई बहस छेड़ दी है और बेतिया की इस सभा को स्थानीय राजनीति में अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।




