बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भागलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा में आंतरिक विवाद सामने आ गया है। पार्टी ने साल 2020 के उम्मीदवार रोहित पांडे पर फिर से भरोसा जताया है, लेकिन इस फैसले से संगठन के भीतर दो गुट उभर कर सामने आए हैं। एक ओर रोहित पांडे के समर्थक उन्हें निरंतर समर्थन दे रहे हैं, वहीं दूसरा गुट पार्टी नेता प्रीति शेखर के पक्ष में खड़ा हो गया है। प्रीति शेखर समर्थकों का मानना है कि इस बार उनका नाम सर्वे रिपोर्ट में शीर्ष पर था और उन्हें टिकट मिलना चाहिए था। पार्टी के फैसले से नाराज यह गुट अब कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय करने जा रहा है। प्रीति शेखर ने भी भास्कर से बातचीत में कहा कि कार्यकर्ता आहत हैं और बैठक के माध्यम से उनकी राय के आधार पर रणनीति तैयार की जाएगी। बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारी और महिला मोर्चा की सदस्य भी शामिल होंगी।
जातीय समीकरण और चुनावी पृष्ठभूमि
भाजपा ने अंतिम समय में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण चेहरे रोहित पांडे को उम्मीदवार चुना है। भागलपुर विधानसभा में कुल 3,51,000 मतदाता हैं, जिनमें लगभग 40,000 ब्राह्मण, 25,000 राजपूत, 35,000 दलित, 75,000 मुस्लिम और 2,500 अन्य मतदाता शामिल हैं। ओबीसी वर्ग में यादव 12,000, कुर्मी 15,000 और मांझी 14,000 मतदाता हैं। राजनीतिक विश्लेषक कोकिला वर्मा का कहना है कि ब्राह्मण मतों की मजबूती और परंपरागत भाजपा समर्थन को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने रोहित पांडे पर भरोसा जताया। 2020 में रोहित पांडे ने कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा के खिलाफ केवल 1,113 वोटों से हार का सामना किया था। इस बार पार्टी ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाकर उनकी मेहनत और जनसंपर्क को मान्यता दी है।
प्रीति शेखर और पार्टी के लिए आगे की चुनौती
प्रीति शेखर, जो भागलपुर की स्थायी निवासी और अनुभवी भाजपा नेता हैं, ने 2012 में वार्ड पार्षद के रूप में राजनीति में शुरुआत की थी और बाद में नगर निगम की उपमहापौर भी रह चुकी हैं। वर्तमान में वह दोबारा वार्ड पार्षद हैं और उनके समर्थक उन्हें टिकट के प्रबल दावेदार मानते थे। टिकट की घोषणा के बाद भाजपा संगठन में असंतोष बढ़ गया है और सोशल मीडिया पर दोनों गुट खुलकर नजर आ रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि पार्टी समय रहते दोनों गुटों में तालमेल नहीं बैठा पाती है, तो इसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। भाजपा नेतृत्व भागलपुर की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है और पार्टी के प्रदेश नेताओं द्वारा दोनों पक्षों को संतुलित करने की कोशिश जारी है। 2025 के चुनाव में चुनौती रोहित पांडे के लिए केवल विपक्ष से नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर मतभेदों को साधने की भी होगी।