23 अक्टूबर की दोपहर महागठबंधन ने पटना में आयोजित जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव और डिप्टी CM मुकेश सहनी के रूप में घोषित किया। कांग्रेस ऑब्जर्वर अशोक गहलोत और RJD चीफ तेजस्वी यादव ने इस अवसर पर NDA पर सीधा सवाल दागा कि उन्होंने अभी तक अपना मुख्यमंत्री चेहरा क्यों नहीं बताया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह रणनीति महागठबंधन की तरफ से एक मजबूत दांव थी, जिससे NDA को CM फेस घोषित करने के लिए मजबूर किया जा सके। अमित शाह के पहले बयान और पार्टी के अंदरूनी हलचल को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट संदेश गया कि महागठबंधन चुनाव में अपनी तैयारियों और एकजुटता को जनता के सामने रख रहा है।
मुकेश सहनी को डिप्टी CM फेस बनाना और जातीय समीकरण
महागठबंधन ने VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी को डिप्टी CM चेहरा घोषित कर मल्लाह समाज को साधने का रणनीतिक कदम उठाया। बिहार में मल्लाह/केवट समुदाय की आबादी लगभग 2.6 प्रतिशत है, लेकिन नदी किनारे वाले क्षेत्रों में इनका प्रभाव कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक होता है। सहनी ने शुरू से ही डिप्टी CM पद पर अपनी दावेदारी रखी थी, और महागठबंधन ने देर से ही सही लेकिन सही तरीके से उन्हें यह पद देकर समाज के बीच संदेश भेजा कि उनके नेता का सम्मान किया जा रहा है। इससे मल्लाह वोटरों को महागठबंधन के पक्ष में लामबंद करने की संभावना बढ़ गई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम मल्लाह वोटों में NDA की सेंधमारी को चुनौती देने वाला साबित होगा।
महागठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीति का संदेश
23 अक्टूबर के प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले महागठबंधन में सीट शेयरिंग और CM फेस को लेकर तनाव की खबरें चल रही थीं। तेजस्वी यादव के नाम के ऐलान के बाद यह संदेश स्पष्ट हुआ कि गठबंधन अंदरूनी तौर पर अब एकजुट है और चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे न केवल गठबंधन के समर्थकों में उत्साह बढ़ा, बल्कि विरोधी दलों को भी यह दिखाया गया कि महागठबंधन का संगठन मजबूत है। विश्लेषकों का मानना है कि CM और डिप्टी CM चेहरे का ऐलान, विशेषकर चुनाव नजदीक आने पर, NDA पर दबाव बनाने और विरोधी वोटरों को प्रभावित करने का एक सुनियोजित राजनीतिक कदम है। इसके साथ ही यह भी दिखा कि कांग्रेस और RJD के अंदरूनी तालमेल स्थापित है, और गठबंधन अब अपने प्रचार और चुनावी तैयारी को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।




