उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान में इन दिनों बिहार चुनाव के प्रत्याशियों की जीत के लिए विशेष तंत्र क्रियाएं आयोजित की जा रही हैं। देशभर के तांत्रिक इन अनुष्ठानों के लिए जिम्मेदार हैं और इसमें विजय प्राप्ति, कछुआ साधना और शव साधना जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। तांत्रिक भय्यू महाराज ने बताया कि जिन प्रत्याशियों के लिए ये क्रियाएं की जाती हैं, उनके नाम गुप्त रखे जाते हैं। इस तरह के अनुष्ठान चुनावों में पहली बार नहीं किए गए हैं; पहले भी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों ने अपने चुनावी भाग्य के लिए तंत्र साधना कराई थी।
तंत्र साधना की विधि और खर्च
भय्यू महाराज के अनुसार, तंत्र साधना में खर्च लगभग 25 से 30 हजार रुपए आता है। बिहार के राष्ट्रीय जनता दल के दो प्रत्याशियों ने अब तक उज्जैन के श्मशान में यह साधना कराई है, जबकि महागठबंधन के प्रत्याशी भी इस प्रक्रिया के संपर्क में हैं। नलखेड़ा के बगलामुखी पीठ में भी विजय अनुष्ठान और मिर्ची अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने इसी स्थान पर हवन कर युद्ध में सफलता प्राप्त की थी। दिवाली की रात को विशेष रूप से भैरव और बगला मुखी साधना आयोजित की गई, जिससे प्रत्याशियों के लिए जीत के मार्ग को सुगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
इतिहास और देशभर में तंत्र साधना
उज्जैन का चक्रतीर्थ जाग्रत श्मशान तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है। भय्यू महाराज ने बताया कि 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों में भी यहां तंत्र साधना और विजय अनुष्ठान कराए गए थे। इसमें बगलामुखी, भैरवी, भैरव और पुतली साधना शामिल रही है। देश में सबसे अधिक तंत्र साधना असम के कामाख्या पीठ में होती है, जहां दूर-दूर से लोग तंत्र साधना कराते हैं और चुनावी जीत के लिए भी इस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे अनुष्ठान प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लिए एक आध्यात्मिक विश्वास और मनोवैज्ञानिक शक्ति का स्रोत भी बनता है।




