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Bihar News : पटना में बिहार कांग्रेस की इमरजेंसी मीटिंग, सीट शेयरिंग पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव में फोन पर चर्चा, राजेश राम बोले- कांग्रेस ने अपनी सीटों की रूपरेखा तय कर ली है

Bihar news in hindi : इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर फंसे पेंच के बीच बिहार कांग्रेस ने ऑनलाइन इमरजेंसी बैठक बुलाई, राहुल-तेजस्वी की बातचीत के बाद फॉर्मूले पर सहमति के संकेत

Bihar Congress leaders Krishna Allavaru and Rajesh Ram during emergency meeting | Bihar News

‘इंडिया गठबंधन में पेंच, कांग्रेस ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग’

बिहार की राजनीति में सीट शेयरिंग को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच कांग्रेस ने शनिवार को अचानक एक इमरजेंसी बैठक बुलाई। यह बैठक ऑनलाइन मोड में हुई, जिसमें दिल्ली से पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक, स्क्रीनिंग कमिटी के सदस्य और बिहार कांग्रेस के शीर्ष नेता शामिल हुए। बैठक का मुख्य एजेंडा आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का फार्मूला तय करना था। सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक तब बुलाई गई जब गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों की संख्या को लेकर मतभेद गहराते जा रहे थे। कांग्रेस चाहती है कि पिछली बार की तुलना में इस बार उसे अधिक प्रभावशाली सीटें मिलें, वहीं राजद अपने पारंपरिक गढ़ों में किसी भी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में न सिर्फ सीट शेयरिंग पर चर्चा हुई बल्कि संभावित उम्मीदवारों के नामों पर भी गहन मंथन किया गया। कुछ प्रत्याशियों को वन-टू-वन स्क्रीनिंग के लिए बुलाया गया है ताकि टिकट वितरण में किसी भी तरह की गड़बड़ी या असंतोष की स्थिति न बने। दिल्ली से जुड़े नेताओं ने स्पष्ट किया कि पार्टी इस बार उम्मीदवार चयन में योग्यता, जमीनी पकड़ और संगठनात्मक सक्रियता को प्राथमिकता देगी।

‘राहुल गांधी और तेजस्वी यादव में फोन पर बातचीत’

बैठक के बीच खबर आई कि कांग्रेस की नाराजगी को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खुद राहुल गांधी से फोन पर बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने इस बातचीत में गठबंधन के तालमेल पर चर्चा की और स्पष्ट निर्देश दिया कि इस बार सीटों की “क्वालिटी” से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यानी, कांग्रेस अपने हिस्से की सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतारेगी जो जीतने की क्षमता रखते हों, न कि केवल प्रतीकात्मक रूप से। तेजस्वी यादव ने भी आश्वासन दिया कि गठबंधन में सहयोग की भावना बनाए रखी जाएगी। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब बिहार कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को संदेश भेजा था कि यदि सीटों का वितरण निष्पक्ष नहीं हुआ, तो संगठन के भीतर असंतोष फैल सकता है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को भी निर्देश दिए हैं कि सीटों के चयन में स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखा जाए। इसी कड़ी में प्रदेश नेतृत्व ने आज की बैठक बुलाई ताकि राहुल गांधी की रणनीति को जमीन पर लागू किया जा सके। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल और तेजस्वी की बातचीत से गठबंधन में तनातनी कुछ कम हुई है और अगले कुछ दिनों में सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा संभव है।

‘कांग्रेस ने तैयार की सीटों की रूपरेखा, दिल्ली रवाना होंगे तेजस्वी’

बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने बैठक के बाद कहा कि पार्टी ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की हिस्सेदारी वाली सीटों पर रूपरेखा फाइनल हो चुकी है और अब केवल सामूहिक घोषणा का इंतजार है। राजेश राम ने कहा, “हमारे उम्मीदवार तय हो चुके हैं, अब बस आधिकारिक घोषणा बाकी है। सभी को बहुत जल्द सब कुछ पता चल जाएगा।” यह बयान कांग्रेस की उस रणनीति की पुष्टि करता है जिसमें पार्टी पहले से ही अपने संभावित उम्मीदवारों को तैयार कर चुकी है ताकि घोषणा के तुरंत बाद प्रचार अभियान शुरू किया जा सके।
इधर, तेजस्वी यादव भी दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। 13 अक्टूबर को उन्हें कोर्ट में पेशी के सिलसिले में दिल्ली जाना है, लेकिन माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान वे राहुल गांधी से मुलाकात कर सीट बंटवारे पर अंतिम बातचीत करेंगे। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह मुलाकात गठबंधन के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
बिहार कांग्रेस के अंदर भी यह संदेश स्पष्ट किया गया है कि पार्टी इस बार किसी समझौता नीति पर नहीं चलेगी। वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि कांग्रेस उन सीटों पर फोकस करे जहां जीत की संभावना अधिक है और संगठन मजबूत स्थिति में है। वहीं, राहुल गांधी का रुख यह दर्शाता है कि वे इस बार बिहार को लेकर गंभीर हैं और गठबंधन में कांग्रेस की हिस्सेदारी को संतुलित और सम्मानजनक बनाना चाहते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह बैठक और राहुल-तेजस्वी की बातचीत बिहार में विपक्षी गठबंधन की दिशा तय करेगी। अगर दोनों दलों के बीच समन्वय बन गया, तो भाजपा के लिए मुकाबला और कठिन हो जाएगा, लेकिन अगर मतभेद गहराए, तो इसका असर सीधे चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। फिलहाल कांग्रेस ने अपना संदेश साफ कर दिया है-“सीटें कम हों पर मजबूत हों, उम्मीदवार जीतने लायक हों।”

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