तेजस्वी यादव का नया फॉर्मूला और RJD की रणनीति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में RJD अपनी परंपरागत MY समीकरण (मुस्लिम-यादव) से आगे बढ़ते हुए A to Z फॉर्मूले को लागू करने जा रही है। पार्टी अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने इस बार चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
उनका उद्देश्य अब केवल यादव और मुस्लिम वोट बैंक तक सीमित नहीं रहना, बल्कि सभी समुदायों को पार्टी के पाले में लाना है। RJD सूत्रों के अनुसार, इस बार पार्टी लगभग 130-135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इसमें सवर्णों, खासकर भूमिहारों, कुशवाहा और EBC समुदाय को ज्यादा टिकट देने की योजना है। यह रणनीति पिछले चुनावों के अनुभव और यूपी में समाजवादी पार्टी के सफल PDA फॉर्मूले से प्रेरित है।
तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकाल में पार्टी में कई बदलाव किए हैं। लालू यादव की तस्वीर वाले पोस्टर हटाना, तेज प्रताप को पार्टी से निकालना और कैंडिडेट चयन में नए फॉर्मूले को अपनाना ऐसे कदम हैं, जो उनकी नई सोच को दर्शाते हैं।
RJD के पुराने MY समीकरण ने लालू यादव को सत्ता दिलाई थी, लेकिन समय के साथ मुस्लिम और यादव वोट बंट गए और पार्टी सत्ता से दूर हो गई। अब तेजस्वी इस समीकरण को सिर्फ विस्तार देने के बजाय उसे पूरी तरह से A to Z फॉर्मूले में बदलना चाहते हैं, ताकि सभी समुदायों का समर्थन हासिल किया जा सके।
सवर्ण और भूमिहारों पर बढ़ा फोकस
इस बार RJD की रणनीति में सबसे बड़ा बदलाव सवर्ण और भूमिहार समुदाय पर फोकस करना है। 2020 के विधानसभा चुनावों में RJD ने सिर्फ एक भूमिहार और कुछ ब्राह्मण व राजपूत उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन इस बार पार्टी 20 सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार उतार सकती है, जिसमें 8 से 10 भूमिहार शामिल होंगे। इसका मकसद पिछली हार के दौरान पार्टी पर लगे “सवर्णों की अनदेखी” का आरोप दूर करना और उन्हें अपने पाले में लाना है।
साथ ही, कुशवाहा समुदाय पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में RJD ने इस समुदाय से जुड़े उम्मीदवारों को अवसर देकर सफल परिणाम हासिल किए थे। इसी अनुभव को तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव में भी लागू कर सकते हैं। EBC समुदाय को भी पहले से अधिक टिकट दिए जाएंगे। पिछले चुनाव में 23 सीटें दी गई थीं, जबकि इस बार यह संख्या बढ़कर 30 तक पहुंच सकती है। इन सभी बदलावों का उद्देश्य पार्टी के वोट बैंक को व्यापक बनाना और अति पिछड़ा वोटिंग सेक्शन में मजबूत पैठ बनाना है।
नए उम्मीदवार और चुनावी संभावनाएं
RJD इस बार कम से कम 20 मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। इसमें ऐसे विधायक शामिल हैं जिनके कामकाज को पार्टी संतोषजनक नहीं मानती। इसके साथ ही, सहयोगी पार्टियों के साथ तालमेल में सीटें बदलने की संभावना भी है।
नवादा, रजौली और मोकामा जैसी सीटों पर नए उम्मीदवारों को उतारा जा सकता है। पार्टी का प्रयास है कि वह उन समुदायों को भी अपने पाले में लाए जो पहले RJD से दूर रहे, जैसे राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा और EBC।
विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस्वी यादव की यह रणनीति MY समीकरण से आगे बढ़कर A to Z फॉर्मूले को अपनाने की कोशिश है। इसका उद्देश्य सभी वर्गों और समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।
इस रणनीति के सफल होने पर RJD को न सिर्फ वोट बैंक में मजबूती मिलेगी, बल्कि विपक्षी दलों पर भी दबाव बढ़ सकता है। इस बार की चुनावी लड़ाई में यह देखा जाएगा कि तेजस्वी यादव का नया फॉर्मूला कितना असरदार साबित होता है और पार्टी सत्ता की वापसी में कितनी सफल रहती है।