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बगहा में 15 हजार वोटर्स का मतदान से इनकार: सड़क, बिजली और शिक्षा की कमी पर गांवों में लगाया ‘वोट नहीं’ का पोस्टर, 18 बूथों पर छाया सन्नाटा

रामनगर विधानसभा के दोन पंचायत में 22 गांवों के लोगों ने किया सामूहिक वोट बहिष्कार, प्रशासन की अपील के बावजूद नहीं पिघला जनमानस

Villagers in Bagaha boycott voting demanding roads electricity education

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में जहां पूरे राज्य में मतदान को लेकर उत्साह नजर आ रहा है, वहीं पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा में लोकतंत्र का यह पर्व ठहर सा गया। रामनगर विधानसभा क्षेत्र के दोन पंचायत के करीब 22 गांवों के लोगों ने एक साथ वोट बहिष्कार कर दिया। इस पंचायत के लगभग 15 हजार मतदाताओं ने मतदान से दूरी बनाते हुए कहा कि जब तक सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक वे वोट नहीं देंगे। सुबह 11 बजे तक बने 18 मतदान केंद्रों पर एक भी वोट नहीं पड़ा। मतदान केंद्रों पर सिर्फ सुरक्षाकर्मी और चुनावकर्मी मौजूद रहे। ग्रामीणों ने अपने गांवों और गलियों की दीवारों पर पोस्टर लगाए, जिन पर लिखा था – “सड़क नहीं तो वोट नहीं”, “बिजली नहीं तो वोट नहीं”, “शिक्षा नहीं तो वोट नहीं” और “स्वास्थ्य सुविधा नहीं तो वोट नहीं।” इस सामूहिक बहिष्कार ने प्रशासन और राजनीतिक दलों दोनों को चौंका दिया है। कहा जा रहा है कि इन गांवों में थारू समाज की आबादी प्रमुख है, जो लंबे समय से विकास से वंचित हैं।

ग्रामीणों ने लौटाई मतदाता पर्चियां, कहा- हर बार वादे मिलते हैं, विकास नहीं

इस विरोध की तैयारी ग्रामीणों ने मतदान से पहले ही शुरू कर दी थी। स्थानीय बीएलओ द्वारा जब मतदाता पर्चियां बांटी गईं, तो लोगों ने उन्हें लौटा दिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ग्रामीण साफ तौर पर कहते नजर आए कि “जब तक हमारे गांव में सड़क और बिजली नहीं आएगी, तब तक हम वोट नहीं देंगे।” ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि आजादी के 78 साल बीत जाने के बाद भी उनके इलाके में न सड़क बनी, न पुल-पुलिया, न ही मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है। कई गांवों में बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, वहीं गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचने में भारी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय नेता गांवों में वादों की झड़ी लगा देते हैं, लेकिन जीतने के बाद कोई वापस नहीं लौटता। इस बार लोगों ने तय किया कि यदि बुनियादी विकास कार्यों की गारंटी नहीं मिलेगी, तो मतदान से पूरी तरह दूरी बनाए रखी जाएगी। यही कारण है कि आज दोपहर तक रामनगर विधानसभा के दोन पंचायत के 18 बूथों पर सन्नाटा पसरा रहा।

प्रशासन ने की कई कोशिशें, लेकिन ग्रामीणों ने ठान लिया ‘पहले विकास, फिर मतदान’

वोट बहिष्कार की खबर मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। रामनगर के बीडीओ, सीओ और जीविका प्रखंड समन्वयक मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से संवाद किया। उन्होंने मतदाताओं से लोकतंत्र में भागीदारी की अपील की, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अडिग रहे। इसके बाद बगहा एसपी खुद गांव पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, मगर नतीजा वही रहा। बताया जा रहा है कि रामनगर क्षेत्र के गर्दी दोन, नौरंगिया दोन, खैरहनी दोन, लक्ष्मीपुर दोन, गोबरहिया दोन, बेतहानी दोन समेत कुल 22 गांवों के लोगों ने एक साथ मतदान का बहिष्कार किया है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि वे स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं और मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि स्थानीय लोग कहते हैं कि जब तक सरकार उनकी बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं करेगी, वे किसी भी दल को वोट नहीं देंगे। दोन पंचायत की गलियां, जो कभी चुनावी नारों से गूंजा करती थीं, आज पूरी तरह शांत हैं। इस घटना ने राज्य में विकास और जनसंतोष के बीच के अंतर को उजागर कर दिया है। बगहा का यह सामूहिक निर्णय अब राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा संदेश बन गया है कि जनता अब सिर्फ वादों पर नहीं, ठोस काम पर भरोसा करेगी।

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