बिहार के सीमांचल क्षेत्र में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को यहां एक बड़ा झटका लगा है, जब पार्टी के कई प्रमुख नेता राजद का दामन थाम चुके हैं। ठाकुरगंज विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार मुफ्ती अतहर जावेद, कोचाधामन के प्रखंड अध्यक्ष और संभावित उम्मीदवार जफर असलम तथा पार्टी प्रवक्ता नेहाल अख्तर ने AIMIM से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होने का ऐलान किया। इन नेताओं ने पटना में राजद के नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिलों में 11 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव से ठीक पहले AIMIM के मजबूत नेताओं का पाला बदलना पार्टी के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। सीमांचल में AIMIM की पकड़ पहले से कमजोर होती दिख रही है, और अब इन नेताओं के जाने से राजद को संगठनात्मक और सामाजिक रूप से लाभ मिलने की संभावना है।
टिकट बंटवारे को लेकर मचा था घमासान, नेताओं ने लगाए गंभीर आरोप
AIMIM में टिकट वितरण को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से लगातार असंतोष बढ़ रहा था। कई स्थानीय नेताओं ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और प्रवक्ता आदिल हसन पर टिकट बेचने और संगठन की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इस विवाद के बीच दर्जनों कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि अख्तरुल ईमान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा था कि पार्टी में उम्मीदवार चयन पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है, लेकिन असंतोष थमा नहीं। धीरे-धीरे यह बगावत सार्वजनिक रूप ले चुकी थी। किशनगंज और आसपास के इलाकों में AIMIM के बैनर और पोस्टर हटाए जाने लगे। संगठन के भीतर असंतोष इस कदर गहराया कि जफर असलम, मुफ्ती अतहर और नेहाल अख्तर जैसे प्रभावशाली चेहरे भी खुद को अलग करने पर मजबूर हो गए। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, AIMIM के अंदरूनी विवाद का सीधा फायदा राजद को मिल रहा है, जो सीमांचल में मुस्लिम मतदाताओं के बड़े वर्ग को फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटी है।
जफर असलम बोले – “हमारे साथ धोखा हुआ, झूठे वादों से तंग आ गए”
राजद में शामिल होने के बाद किशनगंज में समर्थकों के स्वागत के बीच जफर असलम ने AIMIM नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पार्टी में ईमानदारी और सिद्धांत की जगह व्यक्तिगत स्वार्थ ने ले ली है। अख्तरुल ईमान ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने का भरोसा दिलाया था, जिसके बाद वे महीनों तक क्षेत्र में प्रचार और जनसंपर्क में जुटे रहे। लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा के समय उन्हें दरकिनार कर दिया गया। असलम ने कहा, “हमारे सदर अख्तरुल ईमान जब 2001 में जिला परिषद बने थे, तो तस्लीमुद्दीन साहब का साथ था। आज वही परंपरा भूलकर उन्होंने अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी। हमारे साथ धोखा हुआ, इसलिए हमने पार्टी छोड़ दी।” उन्होंने AIMIM पर सीमांचल के मुस्लिम वोटों को विभाजित करने का भी आरोप लगाया और कहा कि अब वे राजद प्रत्याशी मास्टर मुजाहिद आलम के साथ मिलकर काम करेंगे क्योंकि “वह जमीनी स्तर के नेता हैं और जनता की समस्याओं को समझते हैं।” मुफ्ती अतहर जावेद और नेहाल अख्तर ने भी AIMIM पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने और चुनाव के समय केवल दिखावे की राजनीति करने का आरोप लगाया। तेजस्वी यादव ने इन नेताओं का स्वागत करते हुए कहा कि राजद सीमांचल में सबका प्रतिनिधित्व करेगी और किसी वर्ग या समुदाय की उपेक्षा नहीं होगी। आगामी चुनाव से पहले इन नेताओं के शामिल होने से सीमांचल का राजनीतिक समीकरण एक बार फिर पलटने की संभावना जताई जा रही है।




