Karwa Chauth 2025 : हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस बार यह पर्व 10 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं सुबह स्नानादि नित्य कर्म करके व्रत का संकल्प लेती हैं। साथ ही ईश्वर से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहकर शाम में शुभ मुहूर्त में विधि विधान पूजा करती हैं।
Karwa Chauth 2025 Date & Tithi: 09 या 10 अक्टूबर, कब है करवा चौथ?
Karwa chauth kab hai (कब है करवा चौथ 2025): हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत सबसे पवित्र और कठिन उपवासों में से एक माना जाता है। सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता करवा की पूजा करने के साथ चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ पूजा करने का विधान है। ये व्रत आमतौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर धूमधाम से मनाया जाता है।
- कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ – 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर
- कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन – 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर
- करवा चौथ 2025 तिथि – 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
करवा चौथ 2025 पूजन मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Pujan Muhurat)
Karwa chauth puja time – 10 अक्टूबर को करवा चौथ का पूजन मुहूर्त और कथा सुनने का मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, इस दिन व्रत का समय सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
- करवा चौथ पूजन का मुहूर्त – 05 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 11 मिनट तक
- करवा चौथ का समय – सुबह 6 बजकर 19 मिनट से रात 8 बजकर 13 मिनट तक
आपके शहर में चांद कब दिखेगा (Karwa Chauth 2024 Moonrise Time)
Karwa chauth moon timing delhi/mumbai – करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार करती हैं। नीचे देश के प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का अनुमानित समय दिया गया है।
शहर | चांद निकलने का समय |
---|---|
दिल्ली | 8:13 PM |
नोएडा | 8:14 PM |
गाजियाबाद | 8:11 PM |
जयपुर | 8:23 PM |
अहमदाबाद | 8:47 PM |
कोलकाता | 7:42 PM |
मुंबई | 8:55 PM |
बेंगलुरु | 8:49 PM |
चेन्नई | 8:38 PM |
करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth 2025 Puja Vidhi)
- करवा चौथ के दिन व्रती महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- लाल या गुलाबी परिधान धारण करें और सोलह श्रृंगार करें।
- करवा चौथ की मुख्य पूजा शाम के समय की जाती है।
- पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही एक करवा का चित्र भी रखें।
- पूजा की शुरुआत भगवान शिव की आराधना से करें। उन्हें सफेद चंदन, फूल, माला और भोग अर्पित करें।
- इसके बाद माता पार्वती को सिंदूर, रोली, कुमकुम, चुनरी और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
- फिर घी का दीपक जलाएं, धूप दें, और करवा चौथ की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- इसके बाद एक टोंटीदार करवा (मिट्टी या पीतल का) लें। उसमें गेहूं, चावल, मिठाई और एक सिक्का डालें।
- करवा को ढक्कन से बंद कर दें और ऊपर गेहूं या चावल रखें।
- करवा की टोंटी में कांस (धातु) की सींक लगा दें।
- अब इस करवे की पूरी श्रद्धा और विधि के साथ पूजा करें।
- पूजा पूर्ण होने के बाद छलनी से पति का चेहरा देखें, चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत खोलें। यह क्षण करवा चौथ व्रत का सबसे पवित्र पल माना जाता है।
- अंत में पति का आशीर्वाद लें और परिवार की समृद्धि की कामना करें।
इन बातोंं का करें ध्यान: करवा चौथ के दिन बाल धोना वर्जित होता है, इसलिए एक दिन पहले ही बाल धो लें। वहीं नाखून या बाल काटना इस दिन अशुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें। वहीं करवाचौथ पर इस दिन काले, सफेद रंग के कपड़े न पहनें। इन रंगों को करवा चौथ के दिन अशुभ माना जाता है।
Karwa Chauth Chand Arghya Vidhi: करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र
अर्घ्य देते वक्त जल किसी के पैरों में नहीं गिरना चाहिए। अर्घ्य के साथ सफेद फूल या अक्षत अर्पित करें। अपने पति का नाम लेते हुए प्रार्थना करें कि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और दीर्घायु बनी रहे।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय बोलें ये मंत्र
चंद्र मंत्र:
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नमः।
इस मंत्र का जाप 5 या 11 बार करना शुभ माना जाता है।
चंद्र स्तुति:
ॐ दधि-शंख-तुषाराभं क्षीरोदार्णव-सम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट-भूषणम्॥
व्रत से पहले रखें ये जरूरी बातें – ताकि न लगे प्यास या कमजोरी (Karva Chauth Vrat 2025 Food Rules What is the best thing to eat during a fast? )
करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है, इसलिए तैयारी बेहद जरूरी है। व्रत से एक रात पहले कुछ बातों का ध्यान रखें:
- रात में 2 से 3 लीटर पानी अवश्य पिएं।
- भोजन में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर चीजें शामिल करें।
- तरबूज, खीरा, खरबूजा, अनार, सेब जैसे पानी वाले फल खाएं।
- नारियल पानी या नींबू पानी से शरीर हाइड्रेट रखें।
- व्रत के दिन अधिक बोलने या धूप में घूमने से बचें।
करवा माता की आरती (Karwa Chauth Mata Ki Aarti Lyrics in hindi)
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया।
करवा चौथ की कहानी (Karwa Chauth Ki Kahani in hindi)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये व्रत सबसे पहले शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। कहते हैं इसी व्रत के प्रभाव से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। कहते हैं तभी से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रख रही हैं। इस व्रत से जुड़ी एक कहानी के अनुसार एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। जिसमें राक्षसों की जीत हो रही थी। तभी ब्रह्मा देव ने सभी देवताओं की पत्नियों को करवा चौथ का पावन व्रत रखने के लिए कहा। कहते हैं इसके बाद कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी के दिन सभी देवियों ने अपने पतियों के लिए व्रत रखा जिससे देवताओं की जीत हुई। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद से ही इस व्रत को रखे जाने की शुरुआत हो गई थी। इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
करवा चौथ की पौराणिक कथा (Karwa Chauth Vrat Ki Pauranik Katha in hindi)
करवा चौथ व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा अनुसार, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए थे। स्नान के समय मगरमच्छ ने देवी करवा क पति का पैर पकड़ लिया और वह उन्हें नदी में खींचने लगा। मदद के लिए पति अपनी पत्नी करवा को पुकारने लगे। पति की दर्द भरी पुकार सुनकर करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं। पति की रक्षा के लिए करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ एक कच्चे धागे में ही इस तरह से बंध गया था कि वह थोड़ा भी हिल नहीं पा रहा था। लेकिन अभी भी करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे।
तब करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति के लिए जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की प्रार्थना की। करवा के कहने पर यमराज पधारे और उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की अब आयु पूरी हो चुकी है। इस बात पर करवा को क्रोध आ गया और वो बोलीं, यदि आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दूंगी। करवा के क्रोध को देखकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। कहते हैं करवा चौथ के व्रत में सुहागन महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि ‘हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को बचाया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।
करवा चौथ की कथा लिखी हुई(karwa chauth vrat katha pdf)
एक साहूकार के सात बेटे और सात बेटियां हुआ करती थीं। उसके बेटे अपनी बहनों से बहुत प्यार करते थे। साहूकार की पत्नी के साथ उसकी बहुएं और बेटियां भी करवा चौथ का व्रत रखती थीं।
चौथ के दिन जब भाईयों ने भोजन करना शुरू किया, तो उन्होंने अपनी बहनों से भी भोजन करने के लिए कहा, लेकिन उनकी बहनों ने कहा कि वे चांद को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलेंगी।
इस पर छोटे भाई को अपनी बहनों की हालत नहीं देखी गई और वह एक पेड़ पर चढ़कर एक छलनी में दीपक दिखाने लगा, जिससे बहनों को लगा कि चांद निकल आया। इस पर बहनों ने अपनी भाभियों को भी चांद निकलने के बारे में कहकर व्रत खोलने के लिए कहा।
लेकिन, उनकी भाभियां इस बात पर राजी नहीं हुईं। हालांकि, बहनों ने भाभियों की बात नहीं मानी और दीपक को अर्घ्य देकर व्रत खोलना शुरू किया।
जैसे ही बहनों ने पहला निवाला खाया, तो छींक आ गई।दूसरा टुकड़ा खाया, तो खाने में बाल आ गया। वहीं, तीसरा टुकड़ा खाया, तो पति की मृत्यु की खबर आ गई।
इस पर वे बहुत दुखी हो जाती हैं, तो उनकी भाभियां बताती हैं कि व्रत को गलत तरीके से खोलने से उनके पति की मृत्यु हो गई है।
हालांकि, बहनें बोलती हैं कि वे पति की अंतिम संस्कार नहीं करेंगी और अपनी सतित्त्व से अपनी पति को जीवन देंगी। वह दुखी होकर अपने पति के शव को लेकर एक साल तक बैठी रहीं और उस पर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रहीं।
बहनों ने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया। शाम को सुहिगानों से अनुरोध किया कि यम सूई ले लो, पिय सुई दे दो, मुझे अपने जैसी सुहागिन बना दो।
इसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उनके पति जीवित हो गए। जैसे माता और गणेश जी ने उनके पति को अमर किया और वैसे ही सभी सुहागिनों के पति अमर रहे।
Karwa Chauth 2025 Vrat Niyam: मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान ऐसे रखें करवाचौथ व्रत
करवाचौथ व्रत करते समय महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और धार्मिक मर्यादाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नीचे जानें, मासिक धर्म या गर्भावस्था में व्रत रखने के नियम और सावधानियां।
आपको बता दें कि पीरियड्स में व्रत रखने से इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। चंद्रमा देखने तक व्रत सामान्यतौर पर जैसा रखा जाता है आप वैसे रख सकते हैं।
साथ ही करवा माता की पूजा-अर्चना करने से परहेज करना चाहिए क्योंकि, शास्त्रों में इसे निषेध माना गया है। ऐसे में आप पूजा के समय दूसरी सुहागिन महिला से पूजा करवा सकती हैं।
वहीं आप दूर बैठकर हाथ जोड़कर मन में आराधना कर सकती हैं। वहीं मासिक धर्म में कोई पूजा सामग्री भी स्पर्श नहीं करनी चाहिए। साथ ही चांद के निकलने के बाद विधि-पूर्वक चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है।
Pregnant Women Karwa Chauth Tips: गर्भावस्था में करवाचौथ व्रत कैसे रखें? जानें जरूरी सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को इस दिन सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करनी चाहिए। इसके बाद, कथा का पाठ करके फलाहार, जल और पेय पदार्थ का सेवन कर सकती हैं।
फिर, चांद निकलने पर छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण करें। साथ ही इस दिन मेहंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बिंदी और बिछिया पहनकर ही करवा माता की पूजा करें।
मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं करवाचौथ व्रत की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ ही रखें और अपनी पीठ पश्चिम दिशा की ओर रखें। इसके साथ ही करवा माता की फोटो भी पूर्व दिशा में स्थापित करें।
Karwa Chauth Vrat Ka Mahatva: जानें करवा चौथ व्रत का धार्मिक और वैवाहिक महत्व
करवा चौथ सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि विश्वास और प्रेम का पर्व है। दिनभर व्रत रखने के बाद जब महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर अपने पति का मुख देखती हैं, तो यह पल उनके जीवन का सबसे पवित्र क्षण होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में प्रेम, समर्पण और सौभाग्य बढ़ता है।
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन।
शाम 5:57 से 7:11 बजे तक।
मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं, परंतु अविवाहित महिलाएं भी अपनी मनोकामना के लिए रख सकती हैं।
हाँ, पूजा में भाग न लेकर मानसिक रूप से व्रत रखा जा सकता है।