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सिक्किम में कुदरत का कहर: भूस्खलन में चार लोगों की मौत, तीन लापता, रेस्क्यू जारी

पश्चिमी यागसांग क्षेत्र में देर रात हादसा, मौसम विभाग ने चेताया—लगातार बारिश से बढ़ सकता है खतरा

Sikkim landslide rescue operation after heavy rainfall

गोरखपुरउत्तर प्रदेश – सिक्किम के पश्चिमी यागसांग इलाके में बुधवार की देर रात अचानक भूस्खलन होने से चार लोगों की मौत हो गई और तीन अब भी लापता बताए जा रहे हैं। यह घटना तब हुई जब भारी बारिश के कारण पहाड़ी ढलान अचानक खिसक गई और मलबे ने कई घरों व रास्तों को अपनी चपेट में ले लिया। घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लोगों को मलबे में दबे घरों और बहती गाद को देखते देखा जा सकता है। हादसे के बाद तुरंत स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने राहत कार्य शुरू किया। पेड़ की लकड़ियों से अस्थाई पुल बनाकर दो महिलाओं को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन उनमें से एक महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। दूसरी गंभीर रूप से घायल बताई जा रही हैं और उनका इलाज जारी है। राहत और बचाव टीमें अब भी लापता लोगों की तलाश में लगी हुई हैं, जबकि खराब मौसम उनके काम में बड़ी चुनौती बना हुआ है।

लगातार प्राकृतिक आपदाओं से जूझता सिक्किम

यह कोई पहली बार नहीं है जब सिक्किम में इस तरह की तबाही देखने को मिली हो। पिछले कुछ वर्षों में इस राज्य ने बार-बार प्रकृति की मार झेली है। कभी बादल फटने, कभी ग्लेशियर टूटने और कभी अचानक भारी बारिश ने स्थानीय आबादी को संकट में डाल दिया है। 2023 में लाचेन इलाके में ग्लेशियर फटने से भीषण तबाही हुई थी, जिसमें कई पर्यटक फंस गए थे और जवानों की जान चली गई थी। हाल की इस घटना ने एक बार फिर लोगों की यादें ताजा कर दीं और क्षेत्र में भय का माहौल बना दिया। स्थानीय लोग बताते हैं कि मानसून के महीनों में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और हर साल दर्जनों जानें जाती हैं। इस बार भी लोगों को अपने घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है, जबकि यातायात और संचार व्यवस्था प्रभावित हो गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पहाड़ी इलाकों में अनियोजित निर्माण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी आपदाओं की तीव्रता बढ़ी है।

मौसम विशेषज्ञों की राय और भविष्य का खतरा

मौसम विशेषज्ञ डॉ. गोपी नाथ का कहना है कि लैंडस्लाइड केवल एक दिन की अधिक बारिश की वजह से नहीं होते, बल्कि लगातार होने वाली बारिश से जमीन की पकड़ कमजोर हो जाती है और ढलानों का संतुलन बिगड़ जाता है। उन्होंने बताया कि यदि तीन से चार सेंटीमीटर बारिश लगातार होती रहे तो उसके प्रभाव कई गुना बढ़ सकते हैं और तबाही की संभावना अत्यधिक होती है। यही वजह है कि सिक्किम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में छोटे-छोटे जलवायु बदलाव भी बड़े खतरे में बदल जाते हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में यदि बारिश का सिलसिला जारी रहा तो स्थिति और बिगड़ सकती है। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और ऊंचाई वाले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी है। वहीं, सरकार ने प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है और राहत शिविर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सिक्किम में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति यह संकेत देती है कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय लापरवाहियों को रोकने के ठोस उपाय जल्द से जल्द करने होंगे, वरना भविष्य में और गंभीर त्रासदी देखने को मिल सकती है।

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