Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे बड़े और पवित्र पर्वों में से एक है, जिसे साल में चार बार मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि के रूप में लोकप्रिय है, जबकि अन्य दो गुप्त नवरात्रियाँ तंत्र साधकों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। यह पर्व पूरे देश में भक्तिभाव, उपवास और सांस्कृतिक उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
इस बार की नवरात्रि खास है क्योंकि यह 9 नहीं बल्कि 10 दिनों की होगी, और मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जिसे सुख-समृद्धि और शुभ फल का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि 2025: तिथि और देवी (Navratri 2025: Dates and Goddesses)
तारीख | तिथि | देवी (नवदुर्गा) | महत्व | रंग |
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Sept 22 (Mon) | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री | शक्ति और शुरुआत की देवी | White |
Sept 23 (Tue) | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी | तपस्या और भक्ति की देवी | Red |
Sept 24 (Wed) | तृतीया | मां चन्द्रघंटा | बहादुरी और शांति का प्रतीक | Royal Blue |
Sept 25 (Thu) | चतुर्थी | साधना दिवस | – | Yellow |
Sept 26 (Fri) | चतुर्थी (दोहराव) | मां कुष्मांडा | ब्रह्मांड के निर्माता | Yellow |
Sept 27 (Sat) | पंचमी | मां स्कंदमाता | भगवान कार्तिकेय की पालनहार माता | Green |
Sept 28 (Sun) | षष्ठी | मां कात्यायनी | भयंकर योद्धा देवी | Grey |
Sept 29 (Mon) | सप्तमी | मां कालरात्रि | बुराई का नाश करने वाला | Orange |
Sept 30 (Tue) | अष्टमी | मां महागौरी | पवित्रता और शांति की देवी | Peacock Green |
Oct 1 (Wed) | नवमी | मां सिद्धिदात्री | बुद्धि और शक्तियों के दाता | Pink |
Oct 2 (Thu) | विजयादशमी | रावण दहन | – | – |
शारदीय नवरात्रि 2025 – 10 दिन की क्यों है(Sharadiya Navratri 2025 – Why is it for 10 days)
22 सितंबर को प्रतिपदा से नवरात्र की शुरुआत होगी और एक अक्टूबर, बुधवार को महा नवमी के साथ इसका समापन होगा।
इसके अगले दिन, 2 अक्टूबर गुरुवार को विजयादशमी मनाई जाएगी। इस बार श्राद्ध पक्ष में एक तिथि लुप्त हो रही है और चतुर्थी तिथि दो दिन रहने से नवरात्र 9 के बजाय 10 दिन की होगी। पंडितों के अनुसार, तिथि की यह वृद्धि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त: नवरात्रि में कलश पूजन का सही समय
22 सितंबर को प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना होगी। पूरे दिन शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेगा, लेकिन अभिजीत मुहूर्त (सुबह 11:20 से दोपहर 12:09 तक) में स्थापना विशेष फलदायी मानी गई है।
नवरात्रि उपवासी प्रथाएँ (Navratri Fasting Practices)
नवरात्रि का उपवस एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य न केवल शरीर को शुद्ध करना है, बल्कि आत्मा को भी नवीनीकरण की दिशा में अग्रसर करना है। नवरात्रि में उपवस करने के विभिन्न तरीके होते हैं, और यह पूरी तरह से श्रद्धा, उद्देश्य और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं नवरात्रि उपवस की विभिन्न प्रथाओं के बारे में:
कड़े उपवस (Strict Fasting)
- पूर्ण उपवस में व्यक्ति दिन-रात किसी भी प्रकार का भोजन या पानी नहीं ग्रहण करता। यह प्रथा उन श्रद्धालुओं के लिए होती है जो नवरात्रि के नौ दिनों में भगवान दुर्गा की उपासना में पूरी तरह समर्पित होते हैं।
- इस प्रकार के उपवस में केवल निर्जल उपवस (waterless fast) रखा जाता है, जहां न तो भोजन लिया जाता है और न ही पानी। यह बहुत कठिन होता है और केवल बहुत सक्षम और सशक्त भक्त ही इसे करते हैं।
फलाहार उपवस (Fruit-Based Fasting)
- फलाहार उपवस एक हल्का और अधिक सामान्य उपवस प्रकार है जिसमें व्यक्ति केवल फल (जैसे सेब, केला, नारियल, अमरुद, अनार) और कुछ अन्य फलाहार पदार्थ (जैसे फल का रस, दूध, दही, आदि) ग्रहण करता है।
- इस प्रकार के उपवस में शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है, क्योंकि फल और दूध शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
- बहुत से भक्त फलाहार को नवरात्रि में अपने उपवस का मुख्य आधार बनाते हैं, क्योंकि यह ताजगी और हल्के आहार से संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
सात्विक आहार (Satvik Meal)
- नवरात्रि में अधिकांश लोग एक समय का सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जो विशेष रूप से रात के समय होता है। यह भोजन हल्का, शुद्ध और सात्विक होता है, जिससे मन और शरीर दोनों को शांति मिलती है।
- सात्विक भोजन में सब्जियाँ (जैसे आलू, लौकी, टमाटर, शिमला मिर्च), सेंधा नमक (rock salt), समक चावल (barnyard millet), कुट्टू (buckwheat), और राजगीरा (amaranth) जैसे आहार शामिल होते हैं।
- यह भोजन तामसिक तत्वों से मुक्त होता है और शरीर को हल्का महसूस कराता है।
दो हल्के भोजन (Two Light Meals)
- कुछ लोग नवरात्रि में दो हल्के आहार ग्रहण करते हैं, एक सुबह और एक शाम को। इस प्रकार के उपवस में भोजन के बीच पर्याप्त अंतराल होता है, जिससे शरीर को विश्राम और ऊर्जा पुनः प्राप्ति का समय मिलता है।
- सुबह का भोजन फल, दूध, या ताजे रस के रूप में हो सकता है, जबकि शाम का भोजन हल्के सात्विक भोजन जैसे साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू के पराठे या समक चावल के साथ किया जाता है।
व्रत के दौरान शुद्धि (Purification During Fast)
- उपवस के दौरान आध्यात्मिक शुद्धि का ध्यान रखा जाता है। नवरात्रि में उपवासी का मुख्य उद्देश्य केवल आहार पर नियंत्रण नहीं होता, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मानसिक स्थिरता को भी बढ़ावा देता है।
- इस दौरान ध्यान और भजन-कीर्तन से मन की शांति बढ़ाई जाती है, जिससे भक्तों को मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति मिलती है।
- इस उपवस के दौरान व्यक्ति अपनी इच्छाओं और स्वार्थ पर नियंत्रण रखने की कोशिश करता है, और हर एक क्रिया में देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना रहती है।
रात्रि उपवस (Night Fasting)
- कई लोग नवरात्रि में केवल रात को उपवस करते हैं, और दिन में सामान्य रूप से आहार लेते हैं। यह विधि उन लोगों के लिए उपयुक्त होती है जिनके लिए पूरी तरह उपवस करना कठिन हो।
- रात्रि उपवस के दौरान भी वही सात्विक आहार ग्रहण किया जाता है, जिससे रात में देवी दुर्गा की पूजा और ध्यान में अधिक मनोयोग से ध्यान केंद्रित किया जा सके।
जल उपवस (Water Fast)
- कुछ भक्त जल उपवस रखते हैं, जिसमें वे पूरे दिन केवल पानी और कभी-कभी नारियल पानी या फलों का रस पीते हैं। यह एक प्रकार का हल्का उपवस होता है जिसमें शरीर को हाइड्रेशन मिलता रहता है, लेकिन यह भोजन के साथ अधिकता से बचाता है।
- इस प्रकार के उपवस का उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना और देवी दुर्गा की उपासना में पूरी तरह समर्पित रहना है।
व्यक्तिगत उपवस (Individual Fasting)
- नवरात्रि के दौरान हर व्यक्ति अपने शारीरिक क्षमता और श्रद्धा के अनुसार उपवस का पालन कर सकता है। अगर किसी के लिए नौ दिन का उपवस करना संभव नहीं है, तो वह सिर्फ पहले और आखिरी दिन उपवस कर सकता है।
- यह वैकल्पिक उपवस विधि पूरी तरह से भक्त के व्यक्तिगत श्रद्धा और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है।
नवरात्रि उपवासी नियम – Navratri 2025 Fasting Rules
नवरात्रि का उपवस केवल आहार पर नियंत्रण रखने का विषय नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और जीवनशैली से जुड़ी अनुशासन प्रक्रिया है। कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:
- स्वास्थ्य के अनुसार उपवस: बहुत छोटे बच्चे, वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान करने वाली माताओं को कड़े उपवस से बचना चाहिए, क्योंकि यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
- आहार में प्रतिबंध:
- मांस, अंडे, प्याज, लहसुन और सामान्य नमक (सेंधा नमक ही उपयोग करें) का सेवन नहीं किया जाता है।
- शराब, धूम्रपान और सभी नशीले पदार्थों से परहेज किया जाता है।
- उपवासी केवल शाकाहारी भोजन करते हैं, और फल, दूध, फल का रस, और अन्य हलके आहार खाए जाते हैं।
- पानी और तरल पदार्थों का सेवन:
उपवासी को पानी, दूध या ताजे रस का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे। - प्राकृतिक साधन का पालन:
काले वस्त्र पहनने से बचें क्योंकि ये नवरात्रि के लिए अशुभ माने जाते हैं। सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखें, विशेष रूप से पूजा के समय। - नम्रता और साधना:
उपवासी को हर दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और शुद्ध कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि में बाल काटने, नाखून काटने या शेविंग से बचें। - एक समय में केवल एक सात्विक भोजन:
उपवासी दिन में एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। आमतौर पर यह भोजन शाम को होता है, जिसमें फल, दूध और हल्का आहार शामिल होता है। - दान और पुण्य कार्य:
नवरात्रि के दौरान दान और अन्य पुण्य कार्यों में भी भाग लेना चाहिए, क्योंकि यह देवी की कृपा को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। - कन्या पूजन:
अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा होती है, जिसमें छोटी लड़कियों को देवी के रूप में पूजा जाता है।
नवरात्रि के उपवस का उद्देश्य न केवल शरीर की शुद्धि है, बल्कि यह एक आत्मिक साधना भी है, जो श्रद्धा, संयम और समर्पण को बढ़ाती है।
नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले भोजन
नवरात्रि उपवास केवल आत्म-संयम और देवी भक्ति का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह शरीर को शुद्ध, हल्का और ऊर्जावान बनाए रखने का एक प्राकृतिक तरीका भी है। व्रत के दौरान पारंपरिक रूप से ऐसे आहार ग्रहण किए जाते हैं जो सात्विक, सुपाच्य और पोषक होते हैं।
यहाँ हम विस्तार से बता रहे हैं कि नवरात्रि में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं:
नवरात्रि व्रत में उपयोग किए जाने वाले अनाज और आटे
नवरात्रि के दौरान नियमित गेहूं या चावल से बने उत्पादों से परहेज किया जाता है। इसके स्थान पर वैकल्पिक अनाज और आटे का प्रयोग किया जाता है:
- कुट्टू का आटा (Buckwheat Flour)
- इससे पराठे, पुरी या चीला बनाया जा सकता है।
- यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है और व्रत में ऊर्जा बनाए रखता है।
- सिंघाड़े का आटा (Water Chestnut Flour)
- सिंघाड़े के आटे से हलवा, चीला या पूड़ी बनाई जाती है।
- यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और पाचन के लिए हल्का होता है।
- राजगीरा आटा (Amaranth Flour)
- इससे पराठे, बर्फी या हलवा बनाया जाता है।
- यह प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है।
- समक के चावल (Barnyard Millet / Samvat Rice)
- यह उपवास में सामान्य चावल का विकल्प होता है।
- इससे खिचड़ी, पुलाव, खीर आदि बनते हैं। यह हल्का और पौष्टिक होता है।
अन्य प्रमुख व्रत खाद्य
- साबूदाना (Tapioca Pearls)
- साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना वड़ा, साबूदाना खीर या थालीपीठ के रूप में खाया जाता है।
- यह ऊर्जा से भरपूर होता है, लेकिन अधिक मात्रा में खाने से भारी महसूस हो सकता है।
- आलू (Potato)
- उबले आलू, आलू टिक्की, आलू की सब्ज़ी या आलू से बनी चाट व्रत में ली जाती है।
- व्रत में सबसे आम और प्रिय खाद्य है।
- शकरकंद (Sweet Potato)
- शकरकंद उबालकर या तलकर खाई जाती है। इससे टिक्की या हलवा भी बनाया जा सकता है।
- यह आयरन और फाइबर से भरपूर होती है।
दूध और डेयरी उत्पाद
नवरात्रि उपवास में दूध और इससे बने उत्पादों का विशेष स्थान होता है:
- दूध – गर्म या ठंडा दोनों रूपों में लिया जा सकता है।
- दही (Yogurt) – पेट के लिए लाभकारी, पाचन में सहायक।
- मखाना-दूध की खीर – एक लोकप्रिय व्रत मिठाई।
- पनीर (Homemade Paneer) – हल्के तले हुए पनीर क्यूब्स या ग्रेवी में पकाया गया पनीर।
- घी – खाना पकाने में देसी घी का उपयोग व्रत में बहुत शुभ माना जाता है।
फल और फलाहार
फल व्रत में मुख्य आहार होते हैं:
- सेब, केला, अमरुद, अनार, चीकू, अंगूर, नाशपाती, नारियल आदि।
- फल चाट, मिक्स फ्रूट सलाद, ताजे फलों का रस या स्मूदी बहुत उपयोगी होते हैं।
सब्जियाँ
कुछ चुनिंदा सब्जियाँ ही व्रत में खाई जाती हैं:
- आलू (Potato)
- शकरकंद (Sweet Potato)
- लौकी (Bottle Gourd)
- कद्दू (Pumpkin)
- टोमैटो (Tomato)
- शिमला मिर्च (Capsicum)
- पालक (Spinach) – कुछ परिवारों में अनुमति है।
- अरबी (Colocasia) – व्रत विशेष व्यंजनों में।
नमक – व्रत के लिए विशेष
- व्रत में सेंधा नमक (Rock Salt) का ही प्रयोग किया जाता है।
- सामान्य नमक (आयोडीन युक्त) का प्रयोग निषिद्ध होता है क्योंकि वह तामसिक आहार में गिना जाता है।
मिठाई व व्यंजन
- मखाने की खीर
- राजगीरे की बर्फी
- शकरकंदी का हलवा
- नारियल की बर्फी
- साबूदाने की खीर
- सिंघाड़े के आटे का हलवा
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो माँ दुर्गा और उनके नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। भक्तों का मानना है कि इन नौ दिनों में माँ दुर्गा की पूजा करने से जीवन से दुख और कठिनाइयाँ दूर होती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार, माँ दुर्गा के भक्तों की शत्रुओं से सदैव रक्षा होती है और देवी उन्हें निर्भयता का आशीर्वाद देती हैं।
वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं:
- चैत्र नवरात्रि
- शारदीय नवरात्रि
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि
- माघ गुप्त नवरात्रि
इनमें से शारदीय नवरात्रि का सबसे अधिक महत्व है, उसके बाद चैत्र नवरात्रि आती है।
शारदीय नवरात्रि – महत्व और इतिहास
शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है। 2025 में, यह 2 अक्टूबर (गुरुवार) से शुरू होगी।
कलियुग में इसका सबसे अधिक महत्व क्यों है:
- शास्त्रों में वर्णित है कि कलियुग में शारदीय नवरात्रि की सबसे अधिक शक्ति होती है, क्योंकि यह भौतिक सुख और समृद्धि की कामनाओं को पूरा करती है।
- कलियुग में लोग सांसारिक सुखों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं, इसलिए शारदीय नवरात्रि व्यापक रूप से बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।
रामायण से संबंध: इस नवरात्रि के दौरान, भगवान राम ने रावण के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया था।
- विजयदशमी (दशहरा) के दिन, भगवान राम ने रावण को हराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- इस प्रकार शारदीय नवरात्रि न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि विजय और धर्म का उत्सव भी है।
चैत्र नवरात्रि – महत्व और इतिहास
चैत्र नवरात्रि हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (प्रतिपदा) से शुरू होती है। 2025 में, यह 30 मार्च (रविवार) से शुरू होगी।
त्रेता युग में महत्व:
- ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले चैत्र नवरात्रि का व्रत रखा था और माँ दुर्गा की पूजा की थी।
- हिंदू मान्यता के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही ब्रह्मांड की रचना हुई थी।
- चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन (नवमी) महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह भगवान राम के जन्म (रामनवमी) का प्रतीक है।
इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि न केवल एक आध्यात्मिक त्योहार है, बल्कि सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान राम के अवतार से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
यहां पढ़ें: नवरात्रि व्रत कथा | Navratri Vrat Katha
Navratri in 2025 will start on 22nd September (Monday) and end on 1st October (Wednesday), followed by Vijayadashami on 2nd October.
Navratri will begin on 22nd September 2025.
Navratri is celebrated to honor Goddess Durga and her nine divine forms. It symbolizes the victory of good over evil and is observed with fasting, prayers, and cultural festivities.
Navratri is a nine-night Hindu festival dedicated to the worship of Goddess Durga, celebrating her power and divine qualities.
coffee is avoided during Navratri fasting as it can cause acidity and is considered tamasic
We celebrate Navratri to seek the blessings of Goddess Durga for strength, prosperity, and protection from evil forces.
The first day is dedicated to Goddess Shailputri, and the recommended colour to wear is White, symbolizing purity and peace.
There are four Navratris in a year — Chaitra Navratri, Sharadiya Navratri, Ashadha Gupt Navratri, and Magha Gupt Navratri
chocolate is avoided during Navratri fasting as it contains ingredients like milk, sugar, and sometimes additives that may not be allowed. It’s best to consume only permitted fasting foods.
Navratri fast is typically broken after the completion of the ninth day or on Vijayadashami, depending on personal or regional customs.
In 2025, Navratri will end on 1st October (Wednesday) with Navami, followed by Vijayadashami on 2nd October
Navratri lasts for nine days to honor the nine forms of Goddess Durga, each representing different virtues and powers
During Navratri, fasting foods usually include fruits, nuts, milk products, buckwheat (kuttu), amaranth (rajgira), singhara (water chestnut), and simple vegetarian dishes prepared without onion or garlic.
For Navratri 2025, the daily colours followed were traditionally assigned to each day’s goddess, such as White on Day 1, Red on Day 2, Royal Blue on Day 3, Yellow on Day 4, Green on Day5, Grey on Day6, Orange on Day7, Peacock Green on Day8 and Pink on Day 9
नवरात्रि 2025 में 22 सितंबर (सोमवार) से शुरू होकर 1 अक्टूबर (बुधवार) तक चलेगी, और 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।
नवरात्रि 2025 में 22 सितंबर से शुरू होगी।
नवरात्रि माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए मनाई जाती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भक्तों के जीवन में शक्ति, समृद्धि और सुरक्षा लेकर आती है।
नवरात्रि एक नौ दिन का हिन्दू पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है
नवरात्रि के व्रत में कॉफी पीना वर्जित होता है क्योंकि यह व्रत के नियमों के अनुरूप नहीं माना जाता।
नवरात्रि मां दुर्गा की आराधना के लिए मनाई जाती है ताकि वे अपने भक्तों को शक्तिशाली बनाएं और बुरी शक्तियों से रक्षा करें।
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, इस दिन सफेद रंग पहनना शुभ माना जाता है।
साल में चार नवरात्रियाँ होती हैं: चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि।
व्रत के दौरान फल, मेवे, दूध, कुट्टू (बाजरा), राजगिरा, सिंघाड़ा और बिना प्याज-लहसुन के पकाए गए शाकाहारी व्यंजन खाए जाते हैं।