Top Qualities and Teachings of Ravana: दशहरा का उत्सव आ चुका है। इस त्योहार पर रावण के पुतले का दहन होता है। विजयादशमी का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है लेकिन आप जानते हैं कि रावण में कुछ खूबियां भी थीं जो उसे एक महान ज्ञानी, भक्त और शासक के रूप में स्थापित करती हैं। जीवन में सफलता के लिए हम रावण से भी कई गुण सीख सकते हैं, यहां जानिए क्या हैं रावण से सीखने लायक गुण।
विजयदशमी पर इन गुणों को अपनाकर आप भी रावण की तरह महान ज्ञानी और एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं हालांकि रावण के अवगुणों से भी यह सीखा जा सकता है कि जीवन में क्या गलती नहीं करनी चाहिए।
1. शुभस्य कर्म शीघ्रम
रावण ने मरते समय भगवान राम के कहने पर लक्ष्मण को सीख दी थी कि जो काम करना जरूरी है और जिससे लोगों का हित या आपका हित होता है और जो शुभ काम है उसे करने में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि जीवन का कोई भरोसा नहीं है कि कब यह अंत की ओर बढ़ जाए, ऐसे में शुभ कार्य में देरी ना करें।
2. किसी को तुच्छ ना समझें
रावण ने मरते हुए लक्ष्मण को यह भी सिखाया था कि किसी कार्य, या किसी व्यक्ति को कभी भी छोटा या तुच्छ नहीं समझना चाहिए, वरना बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हर जगह बराबर भागीदारी और ध्यान से चीजें करनी चाहिए।
3. निडर होना
रावण का सबसे बड़े गुणों में से एक था भयमुक्त और निडर जीवन जीना और अपने जीवन में जो भी करना चाहते हैं उसके लिए बिना हिचक के आगे बढ़ना। यह गुण छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि वह निडर रहकर बिना असफलता के डर के पढ़ाई में या करियर में आगे बढ़ें।
4. ग्रहों की चाल नियंत्रित करना
ऐसा कहा जाता है कि लंकापति दशानन ग्रहों की गति को भी अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार नियंत्रित करता था ताकि उसके सारे काम अच्छे से हो सकें। रावण ने अपने पूरे जीवन इस बात को साबित किया कि अपनी किस्मत अपने हाथ में होती है और आप अपने कर्म, अपने पुरुषार्थ या अपनी लगन से अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं। आपको भी यह सीख अपनानी चाहिए।
5. तपस्वी और खोजी स्वभाव
रावण का स्वभाव अपनी कार्य सिद्धि के लिए खुद को तपाने यानी तपस्या करने का था और उसके जिज्ञासु खोजी स्वभाव ने भी उसे बहुत सारा ज्ञान अर्जित करने में मदद की। उसने अपने समय के सारे ग्रंथ पढ़ कर महान ज्ञान अर्जित कर लिया। एक छात्र के लिए भी यह गुण बहुत ही ज्यादा आदर्श हैं।