मां कुष्मांडा कौन हैं?
मां कुष्मांडा देवी पार्वती का चौथा रूप हैं। उनका नाम “कु” (कौशल), “ष्मांडा” (सृष्टि) से पड़ा है। माना जाता है कि उन्होंने ब्रह्मांड की सृष्टि की शुरुआत की। वे सूर्य की तरह तेजस्वी हैं और जीवन में खुशहाली, शक्ति और ऊर्जा का संचार करती हैं।
मां कुष्मांडा की पूजा से साधक को स्वास्थ्य, समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में उत्साह मिलता है।
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नवरात्रि दिन 4 के शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:35 AM – 05:22 AM
- प्रातः संध्या: 05:02 AM – 06:11 AM
- अभिजीत मुहूर्त: 11:51 AM – 12:39 PM
- विजया मुहूर्त: 02:16 PM – 03:05 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 06:19 PM – 06:43 PM
नवरात्रि दिन 4 के शुभ रंग – पीला (Yellow)
चौथे दिन पीला रंग पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह जीवन में ऊर्जा, सुख, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। पीली चुनरी मां को अर्पित करने से घर में खुशहाली और मानसिक शांति आती है।
मां कुष्मांडा की पूजा विधि
- साफ-सफाई: पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- कलश स्थापना: जल, सुपारी, पान के पत्ते और नारियल से कलश स्थापित करें।
- प्रतिमा स्थापना: मां की प्रतिमा या फोटो को पीली चुनरी से सजाएं।
- अर्पण: चावल, रोली, कुमकुम और पीले फूल चढ़ाएं। घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- पंचामृत से अभिषेक: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से मां का अभिषेक करें।
- मंत्र जाप: “ॐ देवी कुष्मांडायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- आरती व प्रसाद: कपूर से आरती करें और प्रसाद बांटें।