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Navratri Day 2: मां ब्रह्मचारिणी की कथा और महत्व | Maa Brahmacharini Story

Navratri Day 2, Maa Brahmacharini ki Katha:नवरात्री के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। आइए जानते हैं ब्रह्मचारिणी मां की कथा

Navratri Day 2 Maa Brahmacharini – Story, Puja Vidhi, Significance and Vrat Katha in Hindi | Navratri Second Day Goddess

नवरात्रि (नौ रातों का त्योहार) हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी पार्वती या माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और भक्त इसे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी या ब्रह्मचारिणी माँ को समर्पित है, जो देवी पार्वती का दूसरा रूप है। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है जिसका आचरण वैसा हो। इसलिए तपस्या करने वाली माँ दुर्गा का रूप ब्रह्मचारिणी माँ कहलाता है। ब्रह्मचारिणी माता को देवी योगिनी और देवी तपस्विनी के नाम से भी जाना जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी कथा (Maa Brahmacharini Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने नारद मुनि के कहने पर भगवान शंकर की कठिन तपस्या की थी और इसके प्रभाव से ही उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसके साथ ही कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि तपस्या के दौरान देवी ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए थे। वे हर दुख सहकर भी शंकर जी की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने बिल्व पत्र का भी त्याग कर दिया था। फिर कई हजार वर्षों तक उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर तपस्या की, जब उन्होंने पत्तों को खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया। घोर तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया।

जिसे देखकर देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की और कहा कि ”हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी”। फिर कुछ समय के बाद ऐसा ही हुआ। बता दें, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है।

ब्रह्मचारिणी मां का मंत्र

  • या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
  • ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
  • ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
  • दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्मचारिणी स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

श्री ब्रह्मचारिणी स्तोत्रम्

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

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मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

  1. स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  2. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
  3. पुष्प और अक्षत: मां ब्रह्मचारिणी को पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  4. दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
  5. मंत्र जाप: मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें।
  6. भोग: मां ब्रह्मचारिणी को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में वितरित करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और आत्मसंयम की देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है। वह ज्ञान और विवेक की देवी भी हैं, और उनकी पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा के लाभ

  1. तपस्या और आत्मसंयम: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से तपस्या और आत्मसंयम की प्राप्ति होती है।
  2. ज्ञान और विवेक: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  3. जीवन में स्थिरता: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है
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