नवरात्रि 2025 का पहला दिन
शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ आज, सोमवार 22 सितम्बर से हो रहा है और 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के साथ समाप्त होगा।
पहला दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की आराधना के लिए समर्पित है। यह दिन नौ पवित्र रात्रियों की शुरुआत को दर्शाता है।
माँ शैलपुत्री कौन हैं?
माँ शैलपुत्री नौ देवियों में प्रथम हैं और उन्हें प्रकृति तथा समृद्धि की देवी माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद वे हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्मीं और “शैलपुत्री” कहलाईं – ‘शैल’ का अर्थ है पर्वत और ‘पुत्री’ का अर्थ है बेटी।
माँ शैलपुत्री को चंद्रमा का अधिपति माना जाता है, इसलिए उन्हें सभी सौभाग्य का दाता भी कहा जाता है।
घटस्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त
ड्रिक पंचांग के अनुसार आज घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ समय इस प्रकार है –
- मुख्य मुहूर्त: सुबह 6:11 से 7:52 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:51 से 12:39 बजे तक
- प्रतिपदा तिथि: 22 सितम्बर रात 1:23 बजे से 23 सितम्बर रात 2:55 बजे तक
- कन्या लग्न: 6:11 से 7:52 बजे तक
माना जाता है कि इस समय पूजा करने से घर में समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और देवी की कृपा आती है।
नवरात्रि दिवस 1 का रंग – श्वेत
आज का रंग श्वेत (White) है जो पवित्रता, मासूमियत और शांति का प्रतीक है।
माँ शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन सफेद वस्त्र धारण करते हैं।
- सफेद पहनने से मन शांत और स्थिर रहता है।
- वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरता है।
- भय और तनाव दूर होते हैं, सुरक्षा का भाव आता है।
पूजा विधि और सामग्री
नवरात्रि के पहले दिन भक्त घटस्थापना या कलश स्थापना करते हैं।
- मिट्टी के पात्र में नवधन्य (नौ प्रकार के अनाज) बोए जाते हैं।
- पात्र में जल से भरा कलश रखा जाता है, जिसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्के और अक्षत डाले जाते हैं।
- कलश के चारों ओर पाँच आम के पत्ते रखे जाते हैं और नारियल से ढक दिया जाता है।
- पास में दीपक जलाया जाता है जो नौ दिन तक अखंड रहता है।
- धूप, फूल, फल और मिठाई अर्पित की जाती है।
- पहले दिन देसी घी का भोग लगाया जाता है।
महत्व
माँ शैलपुत्री की पूजा से आत्मिक शक्ति, धैर्य और स्थिरता मिलती है।
भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नए अवसर आते हैं।
पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है।
आज का रंग श्वेत है, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है।
पहले दिन माँ शैलपुत्री को देसी घी का भोग लगाया जाता है।