Hindi News / Uncategorized / Navratri Day 9: मां सिद्धिदात्री की कथा और महत्व | Maa Siddhidatri Story

Navratri Day 9: मां सिद्धिदात्री की कथा और महत्व | Maa Siddhidatri Story

Navratri Day 9, Maa Siddhidatri ki Katha: नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। आइए जानते हैं सिद्धिदात्री माता की कथा और महत्व।

Maa Siddhidatri Mata - Navratri Day 6 Goddess with mantra, aarti, images and Kalratri Mata worship

नवरात्रि (नौ रातों का त्योहार) हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो देवी पार्वती या मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। नवरात्रि का नौवां दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित है। मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियाँ और पूर्णता देने वाली देवी माना जाता है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांत, तेजस्वी और दिव्य होता है। वे अपने भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं।

मां सिद्धिदात्री कथा (Maa Siddhidatri Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वो अर्धनारीश्वर कहलाएं। मां दुर्गा के नौ रूपों में ये रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप माना जाता है। कहा जाता है कि, मां दुर्गा का ये रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कथाओं के अनुसार जब महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता गण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तब वहां मौजूद सभी देवी-देवताओं के तेज से एक देवी का जन्‍म हुआ, जिन्‍हें मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत ही दिव्य है। माता का वाहन सिंह है। ये कमल पर व‍िराजमान रहती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र,ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है।

सिद्धिदात्री मां का मंत्र

नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा में आप मां सिद्धिदात्री के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं –

  • या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
  • ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः
  • सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी
  • ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः
  • सिद्ध गंधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिद्धिदात्री स्तुति

सिद्धियों और पूर्णता की दायिनी,
भक्तों के जीवन में सुख और सफलता लाने वाली।
संकट और बाधा नाश करने वाली,
सिद्धिदात्री, तेरी भक्ति से हृदय अर्पित॥

ये भी पढ़ें:  सिद्धिदात्री माता की आरती

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

  1. स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  2. मूर्ति स्थापना और पूजा: मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और पूजा करें।
  3. पुष्प और अक्षत: मां सिद्धिदात्री को फूल और अक्षत अर्पित करें।
  4. दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और आरती करें।
  5. मंत्र जाप: मां सिद्धिदात्री के मंत्र “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” का जाप करें।
  6. भोग: मां सिद्धिदात्री को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियाँ और जीवन में पूर्णता देने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में सफलता, समृद्धि, शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

मां सिद्धिदात्री पूजा के लाभ

  • सिद्धियाँ और पूर्णता: जीवन में हर प्रकार की सफलता और पूर्णता मिलती है।
  • सुख और समृद्धि: भोग और पूजा से जीवन में समृद्धि आती है।
  • संकट और बाधा नाश: जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
ये भी पढ़ें:  Navratri 2025 Day 4: आज होगी माँ कुष्मांडा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, रंग और पूजा विधि
Share to...