नवरात्रि (नौ रातों का त्योहार) हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो देवी पार्वती या मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी को समर्पित है। मां कात्यायनी को साहस, शक्ति और संकट निवारण की देवी माना जाता है।
मां कात्यायनी का स्वरूप तेजस्वी, शक्तिशाली और सुंदर होता है। वे विशेष रूप से उन भक्तों की रक्षा करती हैं, जो धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते हैं।
मां कात्यायनी कथा (Maa Katyayani Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि हुआ करते थे। उनके पुत्र का नाम ऋषि कात्य था। आगे जाकर ऋषि कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ और ऋषि अपने तप के कारण विश्व प्रसिद्ध हुए। ऋषि कात्यायन की इच्छा थी, कि देवी भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें। इसलिए, उन्होंने कई वर्षों तक देवी भगवती की कठोर तपस्या भी की। मान्यता है कि ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी भगवती ने तब उनकी इच्छा का मान रखते हुए, उनके घर पर जन्म लिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी भगवती, देवी कात्यायनी कहलाईं। महर्षि कात्यायन ने बड़े प्रेम से देवी कात्यायनी का पालन पोषण किया था। कुछ समय पश्चात, पृथ्वी पर दुराचारी महिषासुर का उपद्रव सारी सीमाएं लांघ रहा था। महिषासुर को ये वरदान मिला हुआ था, कि कोई भी पुरुष कभी उसे पराजित या उसका अंत नहीं कर पाएगा। इसलिए उसे किसी का डर नहीं था और देखते ही देखते उसने देवलोक पर भी अपना अधिकार कर लिया था। तब भगवान विष्णु, प्रजापति ब्रह्मा और देवाधिदेव महादेव ने उसका विनाश करने के लिए, अपने-अपने तेज से मिलित एक देवी को उत्पन्न किया। मान्यता है, कि महर्षि कात्यायन ने ही इस देवी की सर्वप्रथम विधिवत पूजा की थी। देवी कात्यायनी के इस स्वरूप ने महिषासुर का वध किया। महिषासुर का अंत करने के कारण देवी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना गया।
कात्यायनी मां का मंत्र
चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा के समय आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं –
- ॐ ह्रीं नमः
- चन्द्रहासोज्जवलकराशार्दुलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी
- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
- या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
- कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कात्यायनी स्तुति
साहस और शक्ति की देवी,
शत्रु नाश और संकट हरने वाली।
भक्तों के जीवन में सुख और स्थिरता लाने वाली,
कात्यायनी, तेरी शरण में हृदय अर्पित॥
ये भी पढ़ें: कात्यायनी माता की आरती
मां कात्यायनी पूजा विधि
- स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
- मूर्ति स्थापना और पूजा: मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और पूजा करें।
- पुष्प और अक्षत: मां कात्यायनी को फूल और अक्षत अर्पित करें।
- दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और आरती करें।
- मंत्र जाप: मां कात्यायनी के मंत्र “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” का जाप करें।
- भोग: मां कात्यायनी को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
मां कात्यायनी साहस और शक्ति की देवी हैं। उनकी पूजा से भय दूर होता है, जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
मां कात्यायनी पूजा के लाभ
- साहस और शक्ति: मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
- शत्रु नाश और सुरक्षा: नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
- सफलता और स्थिरता: जीवन में स्थिरता, सुख और सफलता आती है।