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Navratri Day 7: मां कालरात्रि की कथा और महत्व | Maa Kalaratri Story

Navratri Day 7, Maa Kalaratri ki Katha: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। आइए जानते हैं कालरात्रि माता की कथा और महत्व।

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नवरात्रि (नौ रातों का त्योहार) हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो देवी पार्वती या मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है। नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही भयंकर और शक्तिशाली है।

मां कालरात्रि को भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। उनका रूप अँधेरे में चमकता हुआ और शक्ति से परिपूर्ण होता है।

मां कालरात्रि कथा (Maa Kalaratri Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज नाम के दैत्यों ने अपना आतंक तीनों लोकों में फैलाना शुरू कर दिया था। सभी देव गण, भगवान शिव के पास गए। जब भगवान शिव ने सभी देवताओं को चिंतित देखा, तो उनसे उनकी चिंता का कारण पूछा। तब देवताओं ने भगवान शंकर से कहा “हे भोलेनाथ, शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज नामक दानवों ने अपने उत्पाद से हम सभी को परेशान कर रखा है। कृपया कर हमारी मदद करें।” ये सुनते ही भोलेनाथ ने अपने समीप बैठी माता पार्वती की ओर देखा और उनसे, उन दानवों का वध करने की प्रार्थना की। भगवान शंकर की विनती सुनकर, देवी पार्वती ने उनके सामने नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद लिया और वहां से जाने की आज्ञा मांगी और दानवों का वध करने निकल पड़ीं। माता पार्वती ने दानवों का वध करने के लिए, मां दुर्गा का रूप धारण किया। इस रूप में वो सिंह पर सवारी करती हुईं अति मनमोहक और शक्तिशाली प्रतीत हो रही थी । माता को देख सभी राक्षस अचंभित हो गए। उन तीनों ने माता के साथ एक घमासान युद्ध शुरू किया। दैत्यों ने अपना पूरा बल लगा दिया, परंतु माता के सामने नहीं टिक पाए। आदिशक्ति ने शुंभ और निशुंभ का वध कर दिया। इसके पश्चात, मां ने रक्तबीज के साथ युद्ध करना शुरू किया। रक्तबीज कोई मामूली दानव नहीं था। उसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान प्राप्‍त किया था। भगवान ब्रह्मा ने उसे ये वरदान दिया था, कि जब भी उसे कोई मारने का प्रयत्न करेगा, तब उसके शरीर से निकली खून की बूंदें जैसे ही धरती को स्पर्श करेगी, वैसे ही अनेक रक्तबीजों का जन्म होगा। इसी वरदान के अनुसार, जैसे ही माता ने उस पर प्रहार किया, उसकी खून की बूंदे धरती पर गिरीं और अन्‍य रक्तबीज प्रकट हो गए। उसी क्षण मां दुर्गा के शरीर से एक ऊर्जा का संचार हुआ और मां कालरात्रि का निर्माण हुआ। भले ही वो दानव अति शक्तिशाली था, परंतु माता से जीत पाने का सामर्थ्य उसके अंदर नहीं था। मां कालरात्रि ने रक्तबीज को अपनी कटार से मार गिराया और जैसे ही उसके शरीर से खून बहने लगा, उन्होंने उसका रक्त पान कर लिया। मां कालरात्रि की पूजा सप्तमी के दिन करने के पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है। ऐसा कहा जाता है कि 6 दिन देवी की पूजा करने के बाद सातवें दिन हमारा मन सहस्त्रर चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में हमारा मन सबसे साफ और शुद्ध स्थिति में होता है। इस दौरान कालरात्रि की पूजा करने से हमें ब्रह्मांड की सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और सारी असुरी शक्तियां हमसे दूर भाग जाती हैं।

कालरात्रि मां का मंत्र

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन आप मां कालरात्रि के इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं –

  • ॐ कालरात्र्यै नमः
  • एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी
  • वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी
  • जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि
  • जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते
  • ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी
  • एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ
  • दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे
  • चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते
  • या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कालरात्रि स्तुति

भयंकर रूप में भी, जीवन रक्षक।
भक्तों के संकट हरने वाली,
साहस, शक्ति और सुरक्षा देने वाली,
कालरात्रि, तेरी शरण में हृदय अर्पित॥

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मां कालरात्रि पूजा विधि

  1. स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  2. मूर्ति स्थापना और पूजा: मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और पूजा करें।
  3. पुष्प और अक्षत: मां कालरात्रि को फूल और अक्षत अर्पित करें।
  4. दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और आरती करें।
  5. मंत्र जाप: मां कालरात्रि के मंत्र “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” का जाप करें।
  6. भोग: मां कालरात्रि को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां कालरात्रि भय और नकारात्मक शक्तियों को हराने वाली देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में साहस, शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है।

मां कालरात्रि पूजा के लाभ

  • साहस और शक्ति: मानसिक और शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
  • भय और नकारात्मकता नाश: डर और बुराई दूर होती है।
  • सुरक्षा और स्थिरता: जीवन में सुरक्षा और स्थिरता आती है।
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