करवा चौथ 2025 की तिथि (Karwa Chauth 2025 Date and Time)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर 2025 को रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर 2025 को शाम 7:38 बजे समाप्त होगी।
इस तिथि को उदया तिथि के अनुसार 10 अक्टूबर को व्रत रखना शुभ माना गया है।
विवरण | समय / तिथि |
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चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 9 अक्टूबर 2025, रात्रि 10:54 बजे |
चतुर्थी तिथि समाप्त | 10 अक्टूबर 2025, शाम 07:38 बजे |
पूजा मुहूर्त | शाम 06:06 से 07:19 तक |
व्रत समय | सुबह 06:21 से रात्रि 08:34 तक |
चंद्रोदय (Moonrise) | रात्रि 08:34 बजे |
व्रत दिवस | शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 |
करवा चौथ 2025 पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi 2025)
- सरगी और संकल्प:
सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी खाकर निर्जला व्रत का संकल्प लें।
इसमें सूखे मेवे, फल, मिठाई, फेनिया, और श्रृंगार की वस्तुएं शामिल हों। - माता पार्वती और शिव की पूजा:
शुभ मुहूर्त (06:06 से 07:19) में करवा माता, भगवान शिव, गणेश जी और कार्तिकेय की पूजा करें।
करवे में जल भरकर, दीपक जलाएं और सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। - व्रत कथा श्रवण:
करवा चौथ की कथा का पाठ करें या सुनें। सिद्धि योग में कथा श्रवण से व्रत का फल अनेक गुना बढ़ जाता है। - चंद्र दर्शन और अर्घ्य:
चंद्रोदय के समय (08:34 PM) छन्नी में दीपक रखकर चंद्रमा को देखें, अर्घ्य अर्पित करें और पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलें।
करवा चौथ की सरगी क्या होती है? (What is Sargi in Karwa Chauth)
सरगी वह थाली है जो सास अपनी बहू को सूर्योदय से पहले व्रत से पूर्व देती हैं। इसमें ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जो दिनभर ऊर्जा बनाए रखें – जैसे सूखे मेवे, फल, मिठाई, सेवईं, और दूध। यह परंपरा विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्रचलित है। अगर सास दूर हैं, तो वे पैसे या सामान भेजकर इस परंपरा को निभाती हैं।
यह न केवल पोषण का प्रतीक है, बल्कि सास-बहू के प्रेम और आशीर्वाद का भी प्रतीक मानी जाती है।
करवा क्या होता है? (What is Karwa in Karwa Chauth)
“करवा” का अर्थ है मिट्टी या तांबे का छोटा पात्र जिसमें जल या दूध भरा जाता है।
पूजन में दो करवे प्रयोग होते हैं –
- एक करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है
- दूसरा सास को “बायना” स्वरूप दिया जाता है
मिट्टी का करवा शुभ माना जाता है क्योंकि उसे पूजा के बाद विसर्जित किया जा सकता है। इसी करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री के नाम पर इस पर्व का नाम “करवा चौथ” पड़ा।
करवा चौथ को करवा चौथ क्यों कहा जाता है? (Why is it called Karwa Chauth)
यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है – इसीलिए इसे “चतुर्थी” कहा गया और करवा यानी मिट्टी का पात्र जो इस दिन पूजा में प्रमुख होता है, इस प्रकार इसका नाम पड़ा “करवा चौथ” (करवा + चतुर्थी)।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें शिव का साथ मिला और तब से यह व्रत अखंड सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक बन गया।
करवा चौथ 2025 चांद निकलने का समय (Karwa Chauth 2025 Moonrise Time)
इस वर्ष चांद का उदय 10 अक्टूबर 2025 की रात 08:34 बजे होगा। विभिन्न शहरों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
करवा चौथ पूजा सामग्री सूची (Karwa Chauth Puja Samagri List 2025)
- करवा (मिट्टी/तांबा)
- दीया, अगरबत्ती, घी, कपूर
- फूल, चंदन, अक्षत, हल्दी-कुमकुम
- चुनरी, सोलह श्रृंगार की वस्तुएं (मेहंदी, चूड़ी, सिंदूर, बिंदी)
- कथा पुस्तक और पूजा थाली
- मिठाई और फल
- चंद्र अर्घ्य के लिए चलनी, जल से भरा लोटा, दीपक
करवा चौथ का धार्मिक महत्व (Significance of Karwa Chauth)
यह दिन विवाहित महिलाओं के अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन की गई पूजा और व्रत से पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास बढ़ता है। सिद्धि योग और शिववास योग जैसे संयोग इसे और भी पवित्र बनाते हैं।
करवा चौथ की पौराणिक कथा (Mythological Story of Karwa Chauth)
प्राचीन कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पति भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उनकी भक्ति और व्रत के प्रभाव से उन्हें शिव का आशीर्वाद मिला। इसी कथा से प्रेरित होकर विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं।
सिद्धि योग और शिववास योग का शुभ संयोग (Karwa Chauth 2025 Shubh Yogas)
इस बार करवा चौथ पर दो अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं –
सिद्धि योग और शिववास योग, जो व्रत के पुण्य और फल को कई गुना बढ़ा देंगे।
सिद्धि योग
- अर्थ: सफलता और कार्य सिद्धि का योग।
- समय: सूर्योदय से शाम 5:41 तक।
- फल: इस योग में किया गया व्रत और पूजन बिना किसी विघ्न के पूर्ण होता है।
पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शिववास योग
- अर्थ: भगवान शिव का कैलाश पर्वत पर वास।
- समय: सूर्योदय से शाम 7:38 बजे तक।
- फल: इस योग में पूजा करने से शिव-पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
दांपत्य जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
करवा चौथ 2025 से जुड़े प्रश्न
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को।
रात्रि 08:34 बजे।
सिद्धि योग और शिववास योग।
फल, मेवे, फेनिया, दूध, मिठाई और श्रृंगार का सामान।
मिट्टी या तांबे का पात्र जिसमें जल या दूध भरकर पूजा की जाती है।
यह व्रत माता पार्वती के तप और अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।
वर्ष 2025 का करवा चौथ व्रत न केवल सौंदर्य और भक्ति का संगम है, बल्कि सिद्धि योग और शिववास योग जैसे दुर्लभ संयोग इसे और भी शक्तिशाली बनाते हैं।सही मुहूर्त में की गई पूजा, श्रद्धा से रखा गया व्रत, और पति के लिए किया गया यह संकल्प – महिलाओं के जीवन में अखंड सौभाग्य, सुख-शांति और प्रेम का आशीर्वाद लाता है।