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Dusshera 2025 : विजयादशमी पर नकारात्मक शक्तियां हो जाती हैं परास्त इसलिए दुर्भाग्य को दूर करने के लिए दशहर पर करें ये उपाय

Dusshera 2025 Upay : विजयादशमी पर रावण की आसुरी शक्ति राम और सीता में समाहित हो जाती हैं इसलिए जिनको भी जीवन में कष्ट है, वे आज के दिन सच्चे मन से प्रार्थना एवं उपाय कर जीवन की शुभ शुरुआत कर सकते हैं।


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शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन इन्द्र भगवान ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। महाभारत का युद्ध भी इसी दिन प्रारम्भ हुआ था। अर्जुन ने अपनी निपुणता के आधार पर द्रोपदी को स्वयंवर में भी विजयादशमी के दिन ही जीता था। महाराजा छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन देवी दुर्गा को प्रसन्न कर तलवार प्राप्त की थी। राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन ही देवी की पूजा की थी।

इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था। इस पर्व पर माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन, अपराजिता देवी का पूजन, शस्त्र पूजन, विजय यात्रा, शमी पूजन, श्रीराम पूजन, नीलकंठ दर्शन आदि क्रियाएं अपनी-अपनी मान्याताओं एवं परम्परा के अनुसार सम्पन्न की जाती है। विजयादशमी के विजय मुहूर्त में व्यापार, प्रतिष्ठान आदि कोई भी नया कार्य प्रारम्भ करने पर उसमें सौ प्रतिशत सफलता मिलती है। अतः अपनी पूरी योग्यता के साथ कर्म करके विजयादशमी के अबूझ मुहूर्त का लाभ अवश्य लें।

रावण की शक्ति समाहित होती है राम और सीता में – 
विजयादशमी पर्व भगवान राम द्वारा रावण का वध और माता सीता अर्थात् उनकी शक्ति उनके केन्द्र बिन्दु में है। सीता समस्त स्त्री वर्ग को परिभाषित करती है, ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार सीता न सिर्फ प्रभु राम की भार्या हैं, बल्कि नारी रूपी दिव्य शक्ति हैं, इस शक्ति को अनेक नामों से जाना गया है, मातुलुंगी, अग्निगर्भा, रत्नावली, धरणीजा, भूमिसुता, जानकी, वैदेही, सीता, पद्मा, मैथली, अयोनिजा, रामवल्लभा आदि। स्पष्ट है कि जहां कहीं भी शक्ति का वास है, वहीं सीता का निवास है। यही कारण है कि शारदीय नवरात्र में नौ दिन पर्यन्त शक्तिस्वरूपणी सती, सीता की नौदुर्गों के रूप में आराधना, उपासना कर सम्पूर्ण सृष्टि को शक्ति का एहसास कराने की मान्यता दी गई है। कृष्ण की राधा, राम की सीता और दुर्गा के नाना रूपों में कोई विभेद नहीं है। रावण स्वयमेव शिव और शक्ति का उपासक था, अतएव उसका वध नहीं अपितु उसकी शक्ति राम और सीता की शक्ति में समाहित हो गई, यही रावण वध का दर्शन है।

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