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Dussehra 2025 : विजयादशमी के विजय मुहूर्त में प्रारंभ करें कार्य

Vijayadashmi 2025 : विजयादशमी एक अबूझा मुहूर्त है, पूरे वर्ष में कुछ ऐसी विशेष तिथियां होती हैं जो स्वयं सिद्ध मुहूर्त मानी गई हैं, जिसमें विजयादशमी एक है। विजयादशमी के दिन आप अपना कोई भी नया कार्य प्रारम्भ कर सकते हैं, प्रॉपर्टी अथवा वाहन खरीद सकते हैं या पुस्तक लेखन आदि कार्य भी किया जा सकता है। इस मुहूर्त के प्रभाव से कार्य की सफलता पूर्ण रूप से प्राप्त होती है।


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आश्विन मास शुक्ल पक्ष का दसवां दिन विजय का पर्व होने के कारण विजयादशमी कहलाता है।

शमी पूजा यात्रादौ नक्षत्रोदय व्यापिनी दशमी ग्राह्या ।
नवमीशेष युक्ततयां दशम्यायम पराजिता ।
ददाति विजयं देवी पूजित जयवर्धिनी। (रत्नकोष)

अर्थात जिन दिन श्रवण नक्षत्र के प्रारंभ के समय दशमी तिथि व्याप्त हो उस दिन युद्ध में विजय की कामना रखने वाले राजा की विजय होती है। इस बार 2 अक्टूबर दिन गुरुवार को श्रवण नक्षत्र सुबह 9 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होकर रात्रि 11 बजकर 29 मिनट तक रहेगा, जो विजयादशमी के लिए श्रेयस्कर है।

प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार विजयदशमी अर्थात् आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नाम का मुहूर्त होता है, जो सब कार्यों को सिद्धी प्रदान करता है, इसलिए इसका नाम विजयदशमी रखा गया। इस पर्व को भगवाती के ‘विजया’ नाम के कारण भी विजयादशमी कहते हैं। विजयादशमी पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद ऋतु आरम्भ का सूचक है। विजयादशमी अथवा दशहरा राष्ट्रीय पर्व है। विजयादशमी को समन्वित रूप में शक्ति और मर्यादा का प्रेरक पर्व माना जाता है। भगवान राम की विजय और शक्ति साधना की पूर्ण होने की तिथि एक ही है। देवी पुराण के अनुसार त्रेतायुग में राम-रावण के भीषण युद्ध से पूर्व मां भगवती की आराधना करने पर राम और रावण दोनों के सामने शक्ति प्रकट हुईं थीं। भगवान राम को ‘‘विजयी भवः’’ का आर्शीवाद देवी द्वारा प्राप्त हुआ, वहीं रावण को शक्ति द्वारा विजयश्री का आर्शीवाद न मिलकर कल्याणमस्तु का वरदान मिला। भारतवर्ष में विजयादशमी महोत्सव पर मां दुर्गे के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परम्परा अनेक वर्षों से चली आ रही है। भगवान राम ने माँ दुर्गा के आर्शीवाद के कारण दशहरे के दिन ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। उसी समय से दशहरे पर शक्ति एवं शस्त्र पूजा का विधान है।

दस पाप हरा-दशहरा – 
दशहरा दो शब्दों से मिलकर बना है, दश यानी दस व हरा यानी हार गए हैं। रावण काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, इन्द्रियलोलुपता, दुराचार तथा अहंकार आदि अवगुणों के साक्षात हरण के कारण ही इस पर्व को दशहरा कहा जाता है। विजयदशमी असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है। इस पर्व पर माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन, नवरात्र का पारण, अपराजिता देवी का पूजन, शस्त्र पूजन, विजय यात्रा, शमी पूजन, श्रीराम पूजन, नीलकंठ दर्शन आदि धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होते हैं। चूंकि श्री राम सूर्यवंशी हैं, इसलिए उनके पूजन का उपयुक्त समय मध्याह्न का ही माना जाता है। विजयदशमी के पूजन के लिए भगवान राम की आराधना करनी चाहिए।

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