Tulsi Mata Ki Aarti: हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। तुलसी माता जगत के पालनहार भगवान विष्णु को अति प्रिय है। मान्यता है कि नियमित रूप से तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, साथ ही घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। तुलसी पूजन के दौरान आपको आरती भी जरूर करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति नियमित रुप से तुलसी माता की आरती करता है तो उसे जीवन में कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। यहां पढ़िए तुलसी माता जी की आरती जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें तुलसी जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और साथ ही अन्य जानकारी।
Tulsi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi (तुलसी माता की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता.
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता.. मैय्या जय तुलसी माता..
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर.
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता. मैय्या जय तुलसी माता..
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या.
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता. मैय्या जय तुलसी माता..
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित.
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता. मैय्या जय तुलसी माता..
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में.
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता..
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी.
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता. मैय्या जय तुलसी माता..
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता.
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता..
तुलसी माता की आरती का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी माता की आरती का विशेष महत्व है। तुलसी माता को धन की देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि नियमित रूप से तुलसी माता की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
तुलसी माता की आरती करने के लाभ
तुलसी माता की आरती करने के कई लाभ हैं। ऐसी मान्यता है कि तुलसी माता की आरती करने से पापों का नाश होता है, देवी की कृपा प्राप्त होती है, तनाव से मुक्ति मिलती है और मानसिक शांति भी मिलती है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी माता की आरती कैसे करें
तुलसी माता की आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। उसके बाद तुलसी माता की आरती के लिए जरूरी सामग्री जैसे तुलसी पत्ते, फूल, धूप, दीप, और प्रसाद तैयार रखें। तुलसी माता के समक्ष धूप और दीप जलाएं। तुलसी माता को फूल और तुलसी पत्ते चढ़ाएं। अब तुलसी माता की आरती करें।
तुलसी माता की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
तुलसी माता की आरती के बाद, तुलसी माता को धन्यवाद दें और उनकी कृपा के लिए आभार व्यक्त करें। फिर आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।
तुलसी माता की आरती अर्थ सहित
आरती – जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता.
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता.. मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता की जय हो, मैय्या तुलसी माता की जय हो, तुलसी माता सारे जगत को सुख देने वाली हैं और सबकी मनोकामना पूरी करने वाली माता हैं।
आरती – सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर.
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता. मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता सभी योगों और रोगों से ऊपर हैं, तुलसी माता अपने भक्तों को रज से रक्षा करती हैं और उनकी भव से रक्षा करती हैं। मैय्या तुलसी माता की जय हो।
आरती – बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या.
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता. मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिय हैं और उनकी पुत्री के रूप में पूजी जाती हैं। जो मनुष्य विष्णु की प्रिय तुलसी माता की सेवा करता है, वह नरक से मुक्त हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है।
आरती – हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित.
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता. मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता भगवान विष्णु (हरि) के शीश पर विराजमान हैं और तीनों लोकों (त्रिभुवन) द्वारा पूजी जाती हैं। तुलसी माता पतित जनों (पापी लोगों) की तारण (बचाव) करने वाली हैं और यह उनकी विख्यात (प्रसिद्ध) विशेषता है। मैय्या तुलसी माता की जय हो।
आरती – लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में.
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता ने जन्म लेकर विजन (संसार) में आईं और दिव्य भवन (स्वर्ग) में स्थापित हुईं। मानव लोक (मानव जगत) तुलसी माता की कृपा से ही सुख और संपत्ति प्राप्त करता है। मैय्या तुलसी माता की जय हो।
आरती – हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी.
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता. मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – तुलसी माता भगवान हरि को अत्यधिक प्रिय हैं और उनका रंग काला है, जो सुंदर हैं। भगवान हरि का तुलसी माता से अजब प्रेम है और उनका नाता कैसा है, यह समझ से परे है। मैय्या तुलसी माता की जय हो
आरती – हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता.
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता..
अर्थ – हे माता तुलसी! हमारी सभी विपदाओं को दूर करो और हम पर कृपा करो। तुलसी माता की जय हो, मैय्या तुलसी माता की जय हो।