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Shiv Ji Ki Aarti: ‘ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा…’ जरूर करें भगवान शिव की ये आरती

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: सावन माह में भगवान शिव की पूजा दौरान उनकी आरती भी जरूर करनी चाहिए। ऐसे में यहां पढ़ें शिव जी की पूरी आरती…

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Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: सनातन धर्म में सावन का महीना शिव आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। यह महीना सम्पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस पूरे महीने में भोलेनाथ और माता पार्वती की आराधना करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। वहीं, सावन में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है। इस दौरान शिव भक्त गंगाजल लेकर लंबी यात्रा करते हुए शिवधाम पहुंचते हैं और भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि महादेव बेलपत्र और जल चढ़ाने से ही अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान आपको शिवजी की आरती भी अवश्य करनी चाहिए। क्योंकि इस माह में शिवजी की शिव चालीसा, शिवाष्टक, और आरती का पाठ करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। मान्यता है कि इससे न केवल भगवान प्रसन्न होते हैं। तो चलिए यहां पढिए भगवान भोलेनाथ की पूरी आरती।

ॐ जय शिव ओंकारा की आरती (Om Jai Shiv Omkara Lyrics in Hindi)

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥