Hindi News / Religion / Aarti / nag devta ki aarti lyrics aarti kije naag devta ki aarti

Nag Devta Ki Aarti: नाग देवता की आरती, आरती कीजे श्री नाग देवता की

Naag Devta Ki Aarti Lyrics In Hindi: यहां पढ़िए नाग देवता की आरती आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें लाभ और आरती की विधि

naag panchami, naag ki aarti, nag ki arti, nag devta aarti nag panchami, nag panchami aarti, nag devta ki aarti, , Astrology Today, Astrology Today In Hindi, नाग देवता की आरती, नाग पंचमी पर करें ये आरती, सारे कष्ट होंगे दूर, नाग पंचमी आरती, नाग आरती

Nag Devta Ki Aarti: हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। नाग पंचमी के दिन नागों की विधिवत पूजा करने के साथ दूध पिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन नाग देवता के मंदिरों में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके अलावा नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करने के साथ-साथ अंत में इस आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसे करने से आपकी पूजा पूर्ण होती है। इसके साथ ही आपको कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। यहां पढ़िए नाग देवता की आरती आरती कीजे श्री नाग देवता की लिरिक्स इन हिंदी, साथ ही जानें नाग देवता की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और अन्य जानकारी…

Nag Deta Ki Aarti Lyrics In Hindi ( नाग देवता की आरती लिरिक्स इन हिंदी)

आरती कीजै नाग देवता की,
भूमि का भार वहन करता की।
फन फैला जग का रखवाला,
धरती पर रहता है मतवाला॥


दूध चढ़ावें लोटा भर के,
फूल चढ़ावें प्रेम उमड़ के।
मनोकामना पूर्ण कर दे,
जो सच्चे मन से दर पे चढ़े॥


वासुकि तक्षक कर्कोटक नागा,
भुजंग धारण करे सुर भागा।
शेषनाग जो छत्र बनाए,
श्रीहरि विष्णु शयन सुख पाए॥


शिव के गले लिपटकर जो आये,
नागराज तब भस्म रमाए।
गंगाधर बन शिव मुसकाए,
नागदेवता पूजन पाए॥


नाग पंचमी पर्व महान,
पूजें सब नर-नारी जान।
घर में सुख-शांति बरसाए,
दोष, भय, विष दूर भगाए॥


जो जन श्रद्धा से गुण गाते,
नाग देवता मन भाते।
सर्प दोष न उसको सतावे,
कालसर्प भी भागे जावे॥


आरती पूर्ण करें तुम्हारी,
कृपा करो अब हमारी।
नित्य पूजें तुम्हें मन लागे,
जीवन में दुःख-दर्द न लागे॥


आरती कीजै नाग देवता की,
भूमि का भार वहन करता की।


नाग देवता की आरती का महत्व

हिंदू धर्म में नाद देवता को पूज्नीय माना जाता है। हर साल नाद पंचमी के अलावा श्रावण मास और कालसर्प दोष से निवारण करने के लिए पूजा के साथ आरती करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। नागों का उल्लेख वेद-पुराणों में मिलता है। भगवान विष्णु की शैय्या स्वयं शेषनाग है, जिन्हें वासुकि नाग कहा जाता है। इसके अलावा समुद्र मंथन के दौरान भी वासुकि नाग से अहम भूमिका निभाई थी। इनकी पूजा करना पृथ्वी के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। नाग को कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा करने से भय, क्रोध, डर आदि का अंत हो जाता है।

नाग देवता की आरती करने के लाभ

  • नाग देवता की आरती करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
  • राहु-केतु का प्रभाव काफी कम हो जाता है।।
  • जीवन में अगर नकारात्मकता, भय, बुरे सपने आदि आते हैं, तो नाग देवता की आरती करने से लाभ मिलेगा।
  • नाग देवता की कृपा से घर में सुख-शांति और सदस्यों के बीच प्रेम बना रहता है।
  • नाग देवता को विष का स्वामी कहा जाता है। इसलिए इनकी आरती करने से विष दोष और विष से जुड़े रोगों में राहत मिलती है।

नाग देवता की आरती कैसे करें

नाग देवता की पूजा करने के लिए स्नान आदि करने के बाद शुद्ध कपड़े पहन लें। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा आरंभ करेंगे। सबसे पहले नाग देवता आक आवाहन करें। इसके बाद जल, दूध से अभिषेक करने के बाद चंदन, हल्दी, रोली, फूल आदि चढ़ाने के बाद दूर्वा चढ़ा दें। इसके बाद नारियल का दूध या कोई मिठाई चढ़ा दें। फिर दीपक और कपूर जलाकर आरती आरंभ करेंगे।

नाग देवता की आरती का सही समय?

नाग देवता की आरती नाग पंचमी, सोमवार और कालसर्प के दोष से बचने के लिए करना चाहिए। इसे सुबह 5-7 के बीच और शाम 6 से साढ़े सात के बीच करें।

नाग देवता की आरती के बाद क्या करना चाहिए?

आरती करने के बाद हाथ जोड़कर  प्रार्थना करते हुए कहें कि हे नाग देवता… मेरे घर, परिवार और वंश की रक्षा करें। सर्प दोष, भय और रोगों से मुक्ति दिलाएं। हमसें पूजा करते समय कोई भूल चूक हो गई है, तो माफ करें।

नाग देवता की आरती अर्थ सहित

आरती-आरती कीजै नाग देवता की,
अर्थ- भूमि का भार वहन करता की।
नाग देवता की आरती करें, जिन्होंने इस धरती का भार अपने फनों पर उठाए हुआ है।

आरती- फन फैला जग का रखवाला,
धरती पर रहता है मतवाला।
अर्थ- अपने फन को फैलाकर आप पूरे संसार की रक्षा करते हैं। धरती पर रहता है मतवाला।

आरती- दूध चढ़ावें लोटा भर के,
फूल चढ़ावें प्रेम उमड़ के।
अर्थ- आपको प्रेम के साथ लोटा भर दूध चढ़ाएं और पुष्प अर्पित अर्पित करें।

आरती- मनोकामना पूर्ण कर दे,
जो सच्चे मन से दर पे चढ़े।
अर्थ- जो भी सच्चे मन से नाग देवता की पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

आरती- वासुकि, तक्षक, कर्कोटक नागा,
भुजंग धारण करे सुर भागा।
अर्थ- वासुकि, तक्षक, कर्कोटक जैसे महान नागों का पूजन देवता भी करते हैं, आप नाग देवता दिव्य शक्तियों से युक्त हैं।

आरती- शेषनाग जो छत्र बनाए,
श्रीहरि विष्णु शयन सुख पाए।
अर्थ- शेषनाग अपने फनों से छत्र बनाकर भगवान विष्णु की सेवा करते हैं, जिससे विष्णु जी आराम से सुख की नींद लेते हैं।

आरती- शिव के गले लिपटकर जो आए,
नागराज तब भस्म रमाए।
अर्थ- जो नाग शिव के गले में सुशोभित हैं, वे स्वयं भस्म से विभूषित रहते हैं।

आरती- गंगाधर बन शिव मुसकाए,
नागदेवता पूजन पाए।
अर्थ- शिव जब गंगाधर रूप में मुस्काते हैं, तब उनके साथ ही नाग देवता की भी पूजा की जाती है।

आरती- नाग पंचमी पर्व महान,
पूजें सब नर-नारी जान।
अर्थ- नाग पंचमी का पर्व महान है, जिसे सभी नर और नारी बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।

आरती- घर में सुख-शांति बरसाए,
दोष, भय, विष दूर भगाए।
अर्थ- जो भी व्यक्ति नाग देवता की पूजा करता है, तो उसके घर में सुख-शांति आती है। इसके साथ ही आप रोग, दोष, भय और विष के प्रभाव को दूर करते हैं।

आरती-जो जन श्रद्धा से गुण गाते,
नाग देवता मन भाते।
अर्थ- जो भी व्यक्ति आरती इस आरती पूरी श्रद्धा के साथ करता है, तो नाग देवता अति प्रसन्न होते हैं।

आरती-सर्प दोष न उसको सतावे,
कालसर्प भी भागे जावे।
अर्थ- जो व्यक्ति नाग देवता की इस आरती को करता है, तो उसे सर्प दोष नहीं सताता है और कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिल जाती है।

आरती- आरती पूर्ण करें तुम्हारी,
कृपा करो अब हमारी।
अर्थ- हे नाग देव! हमने आपकी आरती पूर्ण की है, अब आप अपनी कृपा हम पर बरसाते रहें।

आरती-नित्य पूजें तुम्हें मन लागे,
जीवन में दुःख-दर्द न लागे॥
अर्थ- हे नाग देवता! हमारा मन सदा आपकी भक्ति में लगा रहे और जीवन में कभी दुःख-दर्द न आए।