Kartikeya Ji Ki Aarti: भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और गणेश जी के भाई कार्तिकेय है, जिन्हें मुरुगन, स्कंद, शक्तिधर, कुमारस्वामी, सुब्रमण्यम और षण्मुख जैसे नामों से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय छः मुखों वाले और बारह भुजाओं वाले होते हैं। उनके हाथ में वलय, भाला , धनुष-बाण आदि होते हैं। इसके साथ ही वह मोर की सवारी करते हैं। उन्हें युद्ध और वीरता के देवता माने जाते हैं। हर माह की स्कंद षष्ठी के अलावा मासिक कार्तिगाई के अलावा विशेष त्योहारों में उनकी पूजा की जाती है। इन दिनों में कार्तिकेय की विधिवत पूजा करने के बाद अंत में आरती अवश्य करनी चाहिए। यहां पढ़िए कार्तिकेय जी की आरती जय जय आरती वेणु गोपाला लिरिक्स इन हिंदी, साथ ही जानें कार्तिकेय जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और अन्य जानकारी…
Kartikeya Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi ( कार्तिकेय जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
जय जय आरती वेणु गोपाला वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर गौरी मनोहर भवानी शंकर सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य सुब्रह्मण्य कार्तिकेय ||
कार्तिकेय जी की आरती का महत्व
भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा करना काफी लाभकारी माना जाता है। इन्हें युद्ध और शक्ति का देवता कहा है। इनकी पूजा और आरती करने से जातकों को नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कार्तिकेय जी की आरती करने के लाभ
- कार्तिकेय जी की आरती करने से जातकों को डर, संकोच और हीन भावना से मुक्ति मिल जाती है।
- कार्तिकेय जी की पूजा करने से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- कार्तिकेय जी की पूजा और आरती करने से मंगल. राहु और केतु के दुष्प्रभावों कम हो जाते हैं।
- कार्तिकेय जी की पूजा करने से कई तरह की बीमारियों से निजात मिल सकती है और स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है।
- कार्तिकेय जी की आरती करने से व्यापार और धन की उन्नति होती है।
- कार्तिकेय जी की आरती करने से मन में सकारात्मकता, शांति बनी रहती है।
कार्तिकेय जी की आरती कैसे करें
पहले स्नान आदि करने के बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। हो सके, तो पीले रंग के वस्त्र पहन लें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय की तस्वीर की विधिवत पूजा कर लें। इसके बाद घी का दीपक और धूप, अगरबत्ती जलाकर कार्तिकेय जी की आरती पढ़ें।
कार्तिकेय जी की आरती का सही समय?
कार्तिकेय जी की आरती सुबह या शाम किसी भी समय की जा सकती है। इसके अलावा शनिवार, मंगलवार या षष्ठी तिथि को कार्तिकेय जी की पूजा करना विशेष फलदायक होता है।
कार्तिकेय जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
कार्तिकेय जी की आरती करने के बाद हाथ जोड़कर तीन बार भगवान को प्रणाम करें। इसके बाद भूल चूक के लिए माफी मांगे और आरती का जल से आचमन करने के बाद हर किसी को आरती दें और फिर प्रसाद वितरित करें।
कार्तिकेय जी जी की आरती अर्थ सहित
इस आरती में कार्तिकेय जी ही नहीं बल्कि भगवान कृष्ण, विष्णु, शिव, देवी दुर्गा, हनुमान, दत्तात्रेय, गणेश आदि देवताओं का गुणगान किया गया है।
आरती –जय जय आरती वेणु गोपाला, वेणु गोपाला, वेणु लोला
पाप विदुरा, नवनीत चोरा
अर्थ-हे बांसुरी बजाने वाले श्रीकृष्ण, आपकी आरती हो! आप ही हैं बांसुरी के प्रेमी, सभी पापों को दूर करने वाले और नवनीत (माखन) चुराने वाले बालगोपाल।
आरती –जय जय आरती वेंकट रमणा, वेंकट रमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
अर्थ-हे वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु) की आरती हो! आप संकटों को हरने वाले हैं। आप ही हैं सीता के राम और राधा के श्याम सबके प्रिय भगवान।
आरती -जय जय आरती गौरी मनोहर, गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
अर्थ-हे सुंदर गौरी (पार्वती जी) और शिव शंकर की आरती हो! आप ही हैं सदाशिव और उमा (पार्वती) के रूप में महेश्वर।
आरती -जय जय आरती राज राजेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी
महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा काली
अर्थ- हे देवी राजराजेश्वरी (दुर्गा का रूप), त्रिपुरसुंदरी — आप तीनों लोकों की सुंदरतम शक्ति हैं। आप ही सरस्वती (विद्या), लक्ष्मी (धन) और काली (शक्ति) के रूप में पूज्य हैं।
आरती –जय जय आरती आंजनेय, हनुमंता
अर्थ-हे आंजनेय (हनुमान जी) की आरती हो!आप बल, भक्ति और सेवा के प्रतीक हैं।
आरती –जय जय आरती दत्तात्रेय, त्रिमूर्ति अवतार
अर्थ- हे दत्तात्रेय की आरती हो! आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश — तीनों का संयुक्त अवतार हैं।
आरती – जय जय आरती सिद्धि विनायक, श्री गणेश
अर्थ- हे गणेश जी, सिद्धि और विनायक — आपकी आरती हो! आप विघ्नों को दूर करने वाले और बुद्धि प्रदान करने वाले देव हैं।
आरती –जय जय आरती सुब्रह्मण्य, कार्तिकेय
अर्थ- हे भगवान कार्तिकेय की आरती हो! आप शक्ति, वीरता और ज्ञान के देवता हैं — शिव-पार्वती के पुत्र।