देवी कालरात्रि की आरती : नवरात्रि की सातवीं देवी माँ कालरात्रि अपने भयंकर रूप, अद्भुत शक्ति और दुष्टों का नाश करने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं। उनका स्वरूप काला, भयभीत करने वाला और चार हाथों वाला है, जिनमें तलवार, त्रिशूल और अभय मुद्रा होती है। माँ कालरात्रि का पूजन संकट और भय से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है।
माँ कालरात्रि की उपासना करने से असुरक्षा, नकारात्मक ऊर्जा और भय समाप्त होते हैं। साधक के घर और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। योग और आध्यात्मिक दृष्टि से माँ कालरात्रि का संबंध मूलाधार चक्र और शक्ति केंद्र से बताया गया है, जिससे साधक के मन में साहस और स्थिरता आती है।
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माँ कालरात्रि की आरती (Devi Kalaratri Aarti Lyrics In Hindi)
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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नवरात्रि की सातवीं देवी – माँ कालरात्रि का महत्व
माँ कालरात्रि संकट, भय और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली देवी हैं। उनका पूजन साधक के भीतर साहस, आत्मबल और मानसिक स्थिरता लाता है। वे दुष्टों और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा करती हैं और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुरक्षा और संतुलन स्थापित करती हैं।
योग और आध्यात्मिक दृष्टि से माँ कालरात्रि का संबंध मूलाधार चक्र से है, जो जीवन में स्थिरता और शक्ति का केंद्र माना जाता है।
माँ कालरात्रि की आरती करने के लाभ
- जीवन से भय, अशांति और नकारात्मकता समाप्त होती है।
- घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- मानसिक साहस और स्थिरता में वृद्धि होती है।
- संकट और दुर्गति से सुरक्षा मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति की भावना प्रबल होती है।
- नवरात्रि व्रत और पूजा फलदायी होती है।
माँ कालरात्रि की आरती कैसे करें?
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
- माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को लाल या काले वस्त्र से सजाएँ।
- घी का दीपक जलाएँ और धूप अर्पित करें।
- थाली में कपूर, अक्षत और नैवेद्य रखें।
- आरती करते समय थाली को घड़ी की दिशा में कम से कम तीन बार घुमाएँ।
- मन को एकाग्र करके माँ से संकट निवारण और सुरक्षा की प्रार्थना करें।
माँ कालरात्रि की आरती का सही समय
- सुबह: 5:00 बजे से 7:00 बजे तक।
- शाम: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक।
माँ कालरात्रि की आरती – अर्थ सहित
आरती: कालरात्रि जय जय महाकाली
अर्थ: हे माता! आपकी जय हो, आप समय और मृत्यु के भय से हमें बचाने वाली हैं।
आरती: काल के मुंह से बचाने वाली
अर्थ: आप भक्तों को समय और अंधकार के भय से सुरक्षित रखती हैं।
आरती: दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा
अर्थ: आपका नाम दुष्टों का संहार करने वाला है।
आरती: महाचंडी तेरा अवतारा
अर्थ: आप महाचंडी का दिव्य अवतार हैं।
आरती: पृथ्वी और आकाश पे सारा
अर्थ: आपका प्रभाव पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है।
आरती: खड्ग खप्पर रखने वाली
अर्थ: आप तलवार और कवच धारण करती हैं, और दुष्टों का नाश करती हैं।
आरती: दुष्टों का लहू चखने वाली
अर्थ: आप दुष्टों को उनके कुकर्मों का फल देती हैं।
आरती: सभी देवता और नर-नारी
अर्थ: सभी देवता और मनुष्य आपकी स्तुति करते हैं।
आरती: रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा
अर्थ: आप दुष्टों का संहार करने वाली और अपने भक्तों के लिए भोजन प्रदान करने वाली हैं।
आरती: कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
अर्थ: आपकी कृपा से किसी पर भी दुःख, बीमारी या संकट नहीं आता।
आरती: महाकाली माँ जिसे बचावे
अर्थ: जो भक्त आपकी शरण में आता है, उसे कोई कष्ट नहीं पहुंचता।
आरती: कालरात्रि माँ तेरी जय
अर्थ: हे भक्त! प्रेम और श्रद्धा से कहो, “कालरात्रि माँ तेरी जय हो।