Devi Brahmacharini Ki Aarti Lyrics : नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना को समर्पित होता है। वे तप, संयम और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। “ब्रह्म” का अर्थ है सर्वोच्च शक्ति और “चारिणी” का अर्थ है आचरण करने वाली। अर्थात् माँ ब्रह्मचारिणी वह देवी हैं जिन्होंने कठिन तपस्या और साधना के माध्यम से ब्रह्मज्ञान को प्राप्त किया।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत और दिव्य है। वे लाल वस्त्र धारण करती हैं और हाथ में जपमाला तथा कमल पुष्प धारण करती हैं। उनका यह रूप तपस्या, संयम और ज्ञान का प्रतीक है। नवरात्रि में इनकी पूजा करने से साधक को धैर्य, संयम, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2025 – कलश स्थापना और दुर्गा पूजन का शुभ मुहूर्त
ये भी पढ़ें: नवरात्रि व्रत कथा 2025 – दुर्गा माँ की पावन कथा विस्तार से
ये भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2025 – तिथि, महत्व और विशेषताएँ
ये भी पढ़ें: माँ शैलपुत्री आरती – प्रथम देवी का महत्व और पूजा विधि
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती (Brahmacharini Maa Aarti Lyrics)
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा।जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता।जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए।कोई भी दुख सहने न पाए॥
उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने॥
रद्रक्षा की माला ले कर।जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥
आलस छोड़ करे गुणगाना।माँ तुम उसको सुख पहुँचाना॥
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम॥
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी॥
नवरात्रि की द्वितीय देवी: माँ ब्रह्मचारिणी का महत्व
माँ ब्रह्मचारिणी संयम, तपस्या और कठोर साधना की देवी हैं। उनका स्वरूप साधक को धैर्य, ज्ञान और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। वे साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करती हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं। उनके आशीर्वाद से साधक अपने कार्यों में सफलता, घर में सुख-शांति और परिवार में सौभाग्य प्राप्त करता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती के लाभ
- आरती करने से साधक का मन शांत और एकाग्र होता है।
- घर-परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- साधक को धैर्य, संयम और मानसिक स्थिरता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और भक्ति की भावना प्रबल होती है।
- जीवन में आने वाली बाधाएँ और नकारात्मकता दूर होती हैं।
- आरती से नवरात्रि व्रत-पूजन सफल और फलदायी होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती विधि
- स्नान और शुद्धता – प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
- दीपक जलाना – देवी माँ के सामने दीपक जलाएँ।
- माता का स्मरण और पूजन –
- माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र को सजाएँ।
- उन्हें फूल, चावल, नैवेद्य और धूप अर्पित करें।
- आरती की तैयारी और करना
- थाली में दीपक, कपूर और पुष्प रखें।
- आरती गाते हुए थाली को घड़ी की दिशा में कम से कम 3–5 बार घुमाएँ।
- भक्ति और ध्यान – आरती के समय माता से धैर्य, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की प्रार्थना करें।
- प्रसाद और समापन – आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करें और परिवार में बाँटें।
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती का सही समय
सुबह: 5:00 बजे से 7:00 बजे तक
शाम: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
माँ ब्रह्मचारिणी की आरती के बाद क्या करें?
- हाथ जोड़कर माता से परिवार, सुख-शांति और रोगमुक्ति की प्रार्थना करें।
- अर्पित प्रसाद ग्रहण करें और परिवार में बाँटें।
- दिनभर माँ ब्रह्मचारिणी का स्मरण और भक्ति बनाए रखें।
- पूजा स्थान को साफ और व्यवस्थित रखें।
- सकारात्मक संकल्प लें और नए कार्य की शुरुआत करें।
नवरात्रि की प्रथम देवी माँ ब्रह्मचारिणी की आरती – अर्थ सहित
आरती: जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता
अर्थ: हे माँ ब्रह्मचारिणी! आपकी जय हो, आप अपने भक्तों को सुख और आशीर्वाद दें।
आरती: जय चतुरानन प्रिय सुख दाता
अर्थ: आप भगवान चतुर्मुख ब्रह्मा की प्रिय भक्त और सुखदायिनी हैं।
आरती: ब्रह्मा जी के मन भाती हो
अर्थ: आप ब्रह्मा जी के हृदय को प्रिय हैं और उनका आशीर्वाद पाती हैं।
आरती: ज्ञान सभी को सिखलाती हो
अर्थ: आप अपने भक्तों को ज्ञान, विवेक और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करती हैं।
आरती: ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा
अर्थ: आपका मंत्र जपने से साधक का जीवन सरल और सकारात्मक बनता है।
आरती: जिसको जपे सरल संसारा
अर्थ: जो भी भक्त आपका मंत्र जाप करता है, उसके जीवन के दुख और कठिनाइयाँ कम होती हैं।
आरती: जय गायत्री वेद की माता
अर्थ: आप गायत्री मंत्र और वेद की माता हैं, जिनकी उपासना से श्रद्धा और ज्ञान बढ़ता है।
आरती: जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता
अर्थ: जो भक्त किसी भी समय आपका ध्यान करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
आरती: कमी कोई रहने ना पाए
अर्थ: आपकी कृपा से भक्त के जीवन में कभी कोई कमी या असफलता नहीं रहती।
आरती: कोई भी दुख सहने न पाए
अर्थ: आप अपने भक्तों के सभी दुःख और कष्ट दूर करती हैं।
आरती: उसकी विरति रहे ठिकाने
अर्थ: जो भक्त आपकी महिमा को समझता और भक्ति करता है, उसकी साधना स्थिर रहती है।
आरती: जो तेरी महिमा को जाने
अर्थ: जो भक्त आपकी महानता और शक्ति को जानता है, उसकी भक्ति फलदायी होती है।
आरती: रद्रक्षा की माला ले कर
अर्थ: जो भक्त रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करता है, वह पुण्य और शक्ति प्राप्त करता है।
आरती: जापे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर
अर्थ: श्रद्धा भाव से मंत्र जपने वाला भक्त आपके अनंत आशीर्वाद का पात्र बनता है।
आरती: आलस छोड़ करे गुणगाना
अर्थ: जो भक्त आलस्य छोड़कर आपकी स्तुति और गुणगान करता है, वह सुख और सफलता पाता है।
आरती: माँ तुम उसको सुख पहुँचाना
अर्थ: हे माँ ब्रह्मचारिणी! अपने भक्त को सभी प्रकार के सुख और समृद्धि प्रदान करें।
आरती: ब्रह्मचारिणी तेरो नाम
अर्थ: हे देवी! आपका नाम ब्रह्मचारिणी है और आप सभी कार्यों में पूर्णता देती हैं।
आरती: पूर्ण करो सब मेरे काम
अर्थ: आप अपने भक्तों के सभी वैध और धर्मपूर्वक कार्य पूर्ण करें।
आरती: भक्त तेरे चरणों का पुजारी
अर्थ: जो भक्त आपके चरणों का सेवक है, उसकी भक्ति और सम्मान हमेशा बना रहे।
आरती: रखना लाज मेरी महतारी
अर्थ: माता! अपने भक्त की रक्षा और प्रतिष्ठा हमेशा बनाए रखें।