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Chhath Puja Geet: छठ पूजा के गीत, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…

Chhath Puja Geet: यहां पढ़िए छठ पूजा के गीत कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये, बहंगी लचकत जाये, हमार सुगवा धनुष भइलन की लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें लाभ और आरती की विधि

Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर जरूर सुनें ये गीत, छठी मैया की भक्ति में डूब जाएगा माहौल

Chhath Puja 2025: छठ पर्व छठी मैया और सूर्यदेव की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है। आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और सप्तमी तिथि को समापन होता है। यह चार दिवसीय पर्व है। जिसकी शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है। दूसरे दिन खरना होता है। तीसरे दिन सूर्य देव को संध्या अर्घ्य यानी डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है और अगले दिन उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूरज को जल अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ व्रत का समापन हो जाता है और व्रती महिलाएं 36 घंटे के निर्जला और निराहार व्रत के बाद पारण करती हैं। बता दें कि छठ व्रत में खरना के दिन शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करने के बाद उषा अर्घ्य देने तक कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इसलिए यह व्रत सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है।

साल 2025 में छठ पूजा कब मनाई जाएगी

Chhath Puja Geet (छठ पूजा के गीत)

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये
बहंगी लचकत जाये, हमार सुगवा धनुष भइलन
सुगवा धनुष भइलन, अस मनवा काहे डोले
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये।


उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर…

उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर
बहंगी के पिटारा, सजल डोलिया
उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर।


केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव…

केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव
मोरा मनवा में आनंद भईल
उगेलन सूरज देव।


पटना के घाट पर, भोर के बेला…

पटना के घाट पर, भोर के बेला
उग हो सूरज देव, छठी मैया की महिमा।


हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी…

हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी
अर्घ के दिनवा हम तोहके देहब
हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी।


छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया (उषा व प्रत्यूषा) की उपासना का पर्व है।
यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत से संतान सुख, परिवार की सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
भगवान सूर्य की उपासना से जीवन में उर्जा, सकारात्मकता और समृद्धि आती है।

छठ पूजा करने के लाभ

  • सूर्य देव की कृपा से आरोग्य, आयु और उन्नति प्राप्त होती है।
  • संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि मिलती है।
  • जीवन से नकारात्मकता, रोग और दोष दूर होते हैं।
  • पारिवारिक रिश्तों में प्रेम और एकता बनी रहती है।
  • यह पर्व आत्मसंयम और शुद्ध आचरण का संदेश देता है।

छठ पूजा/आरती कैसे करें?

  1. व्रत रखने वाले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. घाट या नदी-तालाब किनारे साफ स्थान पर बाँस की टोकरी में प्रसाद (ठेकुआ, फल, ईख, नारियल) सजाएँ।
  3. डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
  4. जल, दूध और गन्ने के रस से सूर्य देव को अर्पण करें।
  5. दीपक जलाकर छठी मैया की आरती करें और गीत गाएँ।

छठ पूजा की आरती का सही समय

  • संध्या अर्घ्य : सूर्यास्त के समय (शाम 5:30–6:00 बजे लगभग)
  • उषा अर्घ्य : अगले दिन प्रातः सूर्योदय के समय (सुबह 5:30–6:30 बजे लगभग)
    इन्हीं समयों पर आरती और गीत गाना शुभ माना जाता है।

छठ पूजा की आरती अर्थ सहित

गीत – कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये।
बहंगी लचकत जाये, हमार सुगवा धनुष भइलन।
सुगवा धनुष भइलन, अस मनवा काहे डोले।
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये॥

अर्थ – यह गीत छठ पर्व की तैयारी और उत्सव की झलक दिखाता है। बाँस की कच्ची बहंगी (डंडा) में प्रसाद और डोलिया सजाकर घाट तक ले जाई जाती है। उसमें रखे सामान के भार से बहंगी डोलती है। गीत में मन की उमंग और श्रद्धा का भाव है – कि जैसे बहंगी डोल रही है, वैसे ही मन भी भक्ति और उत्साह से डोल रहा है।

गीत – उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर।
बहंगी के पिटारा, सजल डोलिया।
उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर॥

अर्थ – सूर्य देव से प्रार्थना की जा रही है कि वे उदय हों क्योंकि अर्घ्य देने का समय हो गया है। बहंगी में रखा प्रसाद और सजाई गई डोलिया सूर्य देव को अर्पित करने के लिए तैयार है। यह भक्ति और पूजा की तात्कालिकता को दर्शाता है।

गीत – केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव।
मोरा मनवा में आनंद भईल।
उगेलन सूरज देव॥

अर्थ – सूर्य देव जब उगते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे केले के पत्ते पर उनकी किरणें चमक रही हों। यह दृश्य देखकर मन आनंद से भर जाता है। यह पंक्तियाँ प्रकृति, सूर्य और श्रद्धा की सुंदर संगति का भाव व्यक्त करती हैं।

गीत – पटना के घाट पर, भोर के बेला।
उग हो सूरज देव, छठी मैया की महिमा॥

अर्थ – पटना (गंगा के तट) के घाटों पर भोर के समय का वर्णन है, जहाँ भक्तजन छठी मईया की पूजा करते हैं। यहाँ सूर्य देव से निवेदन है कि वे उदय हों और छठी मईया की महिमा से संपूर्ण वातावरण पावन हो जाए।

गीत – हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी।
अर्घ के दिनवा हम तोहके देहब।
हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी॥

अर्थ – व्रती छठी मईया से कहता है – “हे माता! हम आपके पुजारी हैं। अर्घ्य के दिन हम आपको अर्घ्य अर्पित करेंगे। कृपा करके हमारी भक्ति स्वीकार कीजिए।” इसमें छठी मईया के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा का भाव झलकता है।

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