तेलंगाना हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में बार-बार हो रही फूड पॉइजनिंग की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि छात्रों द्वारा अपनी थाली, बर्तन और शौचालय स्वयं साफ करना कोई शर्म की बात नहीं है। उच्च न्यायालय यह टिप्पणी हैदराबाद के कीथिनीडी अखिल श्री गुरु तेजा द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान की। याचिका में सरकारी संस्थानों में स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की गई थी।
न्यायाधीश की टिप्पणी और शिक्षा का महत्व
मुख्य न्यायाधीश कुमार ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा, “स्कूल में पढ़ाई के दौरान, हम खाना बाँटते थे, अपनी थाली खुद साफ करते थे, फर्श पोंछते थे और शौचालय भी साफ करते थे। इनमें से कोई भी काम करने में शर्म नहीं है, बल्कि ऐसे काम करने में गर्व महसूस करना चाहिए।” न्यायालय ने कहा कि इस तरह के कार्य छात्रों को श्रम की गरिमा, आत्मनिर्भरता और दूसरों के प्रति सम्मान सिखाते हैं।
याचिकाकर्ता और सरकार की दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील चिक्कुडू प्रभाकर ने कहा कि पिछले निर्देशों और दिशा-निर्देशों के बावजूद, फूड पॉइजनिंग की घटनाएं लगातार हो रही हैं और छात्रों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। इसके विपरीत, अतिरिक्त महाधिवक्ता मोहम्मद इमरान खान ने कहा कि ये छिटपुट घटनाएं हैं और सरकार ने एसओपी के तहत सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी घटना की सूचना मिलने पर तुरंत जिम्मेदार कर्मचारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह आगामी सुनवाई से पहले एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे। रिपोर्ट में प्रति छात्र आहार आवंटन, भोजन का पोषण मूल्य और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के पालन का विवरण शामिल होना चाहिए। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि एसओपी लागू करने वाले सक्षम अधिकारियों के नाम और जिम्मेदारियां रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से हों। अगली सुनवाई 19 सितंबर के लिए निर्धारित की गई है।