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सशस्त्र बलों को पांच साल तक के युद्ध के लिए तैयार रहने का संदेश, राजनाथ सिंह का पाकिस्तान को चेतावनी भरा बयान

रक्षा मंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगा

Rajnath Singh addressing armed forces on Operation Sindoor and long-term readiness

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को महू सैन्य छावनी में आयोजित ‘रण संवाद 2025’ के दूसरे दिन तीनों सेनाओं की संयुक्त संगोष्ठी में भाग लेते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए सशस्त्र बलों को अल्पकालिक संघर्षों से लेकर लंबी अवधि तक चलने वाले युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत किसी की जमीन नहीं चाहता, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज के युग में युद्ध अत्यधिक अप्रत्याशित और अचानक होते हैं, इसलिए यह अनुमान लगाना कठिन है कि कोई युद्ध कब और कितने समय तक चलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को हर प्रकार की स्थिति के लिए तत्पर रहना चाहिए। उनका कहना था कि अगर कोई युद्ध दो महीने, चार महीने, एक साल या यहां तक कि पांच साल तक चलता है, तो इसके लिए तैयारी अनिवार्य है।

रक्षा मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सेना का विषय नहीं रह गई है, बल्कि यह संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण का मामला बन गई है। उन्होंने कहा, “हमें किसी की जमीन नहीं चाहिए, लेकिन हम अपनी जमीन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।” सिंह के इस बयान के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी सहित भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने इसे भारत के स्वदेशी मंचों, उपकरणों और हथियार प्रणालियों की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इस अभियान की उपलब्धियों ने यह साबित किया कि भविष्य में आत्मनिर्भरता सुरक्षा के क्षेत्र में एक परम आवश्यकता होगी। उन्होंने स्वीकार किया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का ‘उत्कृष्ट उदाहरण’ बताते हुए कहा कि इस अभियान ने बहादुरी और तेज़ी की नई मिसाल स्थापित की। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अभियान तकनीक-संचालित युद्ध का शानदार प्रदर्शन था, जिसकी कल्पना आतंकवादियों ने भी नहीं की होगी।

‘रण संवाद 2025’ का आयोजन ‘युद्ध कला पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव’ की थीम पर किया गया। हालांकि, सेना अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस संगोष्ठी की योजना ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही बनाई गई थी। इस कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के अधिकारी वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों, नई तकनीकों और उनके समाधान पर विचार-विमर्श कर रहे थे। इसके अलावा, कुछ संयुक्त सैन्य सिद्धांत भी जारी किए गए।

सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में युद्ध की अनिश्चितता और तेजी को देखते हुए सशस्त्र बलों की हर प्रकार की तैयारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बलों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में निरंतर योगदान दें और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का सामना करने के लिए तत्पर रहें।

रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफलताओं ने यह दिखाया है कि आधुनिक तकनीक और आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस भारतीय सशस्त्र बल किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा केवल सैन्य रणनीति नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की सामूहिक जिम्मेदारी है।

सिंह के अनुसार, ‘रण संवाद 2025’ जैसे मंच तीनों सेनाओं के बीच सहयोग और सामंजस्य को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हैं। इस संगोष्ठी में साझा की गई रणनीतियां और अनुभव भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेंगे।

अंत में, राजनाथ सिंह ने सभी सैन्य अधिकारियों को यह संदेश दिया कि लंबी अवधि के युद्ध और अप्रत्याशित सुरक्षा चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार रहना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह देश की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा की रक्षा के लिए अनिवार्य भी है। उन्होंने बलों की बहादुरी, तकनीकी दक्षता और आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की।

इस प्रकार, रक्षा मंत्री का संदेश स्पष्ट है: भारत का उद्देश्य आक्रामकता नहीं है, बल्कि अपनी सुरक्षा और सीमाओं की रक्षा के लिए हर स्थिति में तैयार रहना है। ऑपरेशन सिंदूर जैसी सफलताएं भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, रणनीति और आधुनिक तकनीक के उपयोग को दर्शाती हैं और आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा तय करेंगी।

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