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बीआरएस से निलंबित के. कविता, पार्टी नेतृत्व में मचा घमासान

चचेरे भाई पर दिए बयान के बाद कार्रवाई, KCR की सहमति से लिया गया फैसला

K Kavitha suspended from BRS after remarks against cousin

निलंबन की पृष्ठभूमि और विवाद की शुरुआत

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता को मंगलवार को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया गया। यह कदम उनके उस बयान के बाद उठाया गया जिसमें उन्होंने अपने चचेरे भाई और तेलंगाना के वरिष्ठ नेता टी. हरीश राव तथा राज्यसभा सांसद संतोष कुमार पर निशाना साधा था। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर बीआरएस नेतृत्व लगातार मंथन कर रहा था और अंततः पार्टी अध्यक्ष केसीआर की सहमति के बाद कार्रवाई की गई। दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब कविता ने अपने ही परिवार के खिलाफ टिप्पणी की हो। इससे पहले मई में उन्होंने बिना नाम लिए अपने भाई और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव (केटीआर) पर भी अप्रत्यक्ष हमला किया था। पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस जारी कर कहा कि कविता का आचरण और हालिया गतिविधियां बीआरएस की छवि और एकजुटता को नुकसान पहुंचा रही थीं।

अनुशासन समिति की भूमिका और KCR की सहमति

बीआरएस की अनुशासन समिति, जिसमें सोमा भारत कुमार और टी. रविंदर राव प्रमुख हैं, ने कविता को निलंबित करने का औपचारिक नोटिस जारी किया। इस नोटिस में साफ लिखा गया कि पार्टी नेतृत्व ने उनके बर्ताव को गंभीरता से लिया है और संगठन को नुकसान से बचाने के लिए कठोर निर्णय आवश्यक था। हालांकि, इस पत्र पर न तो केसीआर और न ही कार्यकारी अध्यक्ष केटीआर के हस्ताक्षर हैं। इसके बावजूद पार्टी सूत्रों का कहना है कि फैसला सीधे तौर पर केसीआर की सहमति से लिया गया है। एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुई बैठकों में शीर्ष नेतृत्व ने सभी पहलुओं पर विचार किया और आखिरकार यह तय किया गया कि कविता को पार्टी से तत्काल निलंबित कर दिया जाए। यह भी माना जा रहा है कि कविता का बार-बार नेतृत्व पर सवाल उठाना और वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खुलकर बयान देना, पार्टी के अंदर असंतोष और गुटबाजी को हवा दे रहा था।

आगे का राजनीतिक भविष्य और संभावित इस्तीफा

कविता के निलंबन के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ एमएलसी पद से भी इस्तीफा दे सकती हैं। अभी तक उन्होंने बीआरएस के फैसले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि यह निलंबन आगे चलकर पार्टी के लिए और भी संकट खड़ा कर सकता है। गौरतलब है कि बीआरएस पहले से ही तेलंगाना में अपनी स्थिति मजबूत करने की चुनौती का सामना कर रही है और ऐसे समय में पार्टी की शीर्ष नेतृत्व से जुड़ी महिला नेता का निलंबन बड़ा झटका माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला न केवल बीआरएस की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करेगा बल्कि राज्य की सियासत में भी नए समीकरण पैदा कर सकता है।

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