नई दिल्ली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को कहा कि भारत और चीन के बीच पिछले नौ महीनों में रिश्तों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई है और इसी वजह से द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आई है।
डोभाल ने यह टिप्पणी उस समय की जब उन्होंने नई दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह बैठक स्पेशल रिप्रजेंटेटिव्स मैकेनिज़्म के तहत 24वें दौर की वार्ता थी।
सीमा विवाद पर वार्ता का अहम दौर
डोभाल और वांग की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा करेंगे और 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में शामिल होंगे।
डोभाल ने कहा,
पिछले अक्टूबर के बाद से सीमाएं शांत हैं, शांति और स्थिरता बनी हुई है। हमारे द्विपक्षीय संवाद और भी गहन हुए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कज़ान (रूस) में हुई मुलाकात के बाद से दोनों देशों ने काफी लाभ उठाया है और एक नया माहौल बना है, जिसने आगे बढ़ने का रास्ता आसान किया है।
लद्दाख गतिरोध और गालवन की याद
भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख सेक्टर की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों ने करीब 50,000 सैनिकों को तैनात कर दिया था और जून 2020 की गालवन घाटी की झड़प ने रिश्तों को छह दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया था।
बीते साल 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच समझौते के बाद यह गतिरोध खत्म हुआ। उसी के बाद पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कज़ान में मुलाकात हुई और कई ठप पड़े तंत्रों को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया।
वांग यी का बयान
वांग यी ने बैठक में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत-चीन रिश्तों को जो झटके लगे, वे दोनों देशों की जनता के हित में नहीं थे। उन्होंने कहा, पिछले साल मोदी और शी की मुलाकात ने द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय की और सीमा विवाद के समाधान के लिए प्रेरणा दी।
वांग ने आगे कहा, हमें खुशी है कि सीमाओं पर स्थिरता लौट आई है। अब द्विपक्षीय रिश्ते सुधार और विकास के महत्वपूर्ण अवसर पर खड़े हैं। चीन, प्रधानमंत्री मोदी के हमारे आमंत्रण पर चीन दौरे को बहुत महत्व देता है।
उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और स्थिर भारत-चीन संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि विकासशील देशों के लिए भी जरूरी है।
एजेंडे में बॉर्डर ट्रेड और नए आत्मविश्वास उपाय
सूत्रों के मुताबिक, डोभाल और वांग की बैठक में बॉर्डर ट्रेड, सीमा प्रबंधन और तनाव रोकने के नए उपायों पर चर्चा हुई। इन आत्मविश्वास उपायों के ज़रिए दोनों पक्ष सीमावर्ती इलाकों में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे।
भारत की आर्थिक चिंताओं पर भी बात
बैठक से पहले वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात की। इसमें उन्होंने आश्वासन दिया कि चीन भारत की उन चिंताओं को संबोधित कर रहा है जो रेयर अर्थ मिनरल्स, खाद और बड़ी टनल बोरिंग मशीनों के निर्यात पर लगी पाबंदियों से जुड़ी हैं।
रिश्तों में सुधार की उम्मीद
डोभाल और वांग की मुलाकात ऐसे समय हुई है जब दोनों देशों के बीच पिछले वर्षों के तनाव की छाया धीरे-धीरे हट रही है। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और विकास के लिए आवश्यक है।
अब सबकी नज़रें प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे पर टिकी हैं, जहां से भारत-चीन रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है।